भाजपा की कुल संपत्ति मात्र 14 हजार करोड़, पर देश भर में बनाए 1000 से ज्यादा भव्य कार्यालय 20 हजार करोड़ से ज्यादा में
काला धन, धोखा-घड़ी, भ्रष्टाचार चंदा खोरी सब में अब तक की सबसे बड़ी पार्टी,
जनता का ध्यान भटकाने के लिए मीडिया, राम और राष्ट्रवाद को बनाया हथियार,
कमल शुक्ला
वर्तमान में मात्र 14 हजार करोड़ की संपत्ति घोषित करने वाली भाजपा ने देशभर में 1000 से ज्यादा भव्य कार्यालय, प्रति कार्यालय जमीन और कंस्ट्रक्शन मिला कर दो करोड़ लगभग भी अनुमान लगाएं तो बीस हजार करोड़ से ज्यादा खर्चा करके कैसे बनाया क्या यह चीज आपको चौकाती नहीं है ? ध्यान रहे कि इसमें अकेले दिल्ली का जो कार्यालय है उसकी कीमत 13 हजार करोड़ आंकी गई है । क्या अच्छे दिन के हिस्से में आप का कोई हक नहीं था ? क्या इन पैसों से देश भर में 1000 से ज्यादा सर्व सुविधा युक्त हॉस्पिटल या स्कूल नहीं बनाए जा सकते थे ? आप मानो या ना मानो देश नही भाजपा की यह उपलब्धि विश्व के अब तक के सबसे बड़े घोटाला नोटबंदी की ही उपलब्धि है । नोटबंदी से जो काला पैसा जनता के हिस्से में आना चाहिए था वह भाजपा सरकार के बनाए गए इन 1000 से ज्यादा भव्यतम बिल्डिंगों के नीव में घुस गए । सच यही है चाहे अब राम भजो जय हिंद बोलो पाकिस्तान मुर्दाबाद बोलो या मुझे देशद्रोही बोलो सच को कोई फर्क नहीं पड़ेगा ।
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली मास्टरप्लान, 2021 में इस प्लॉट को ‘आवासीय उपयोग’ की श्रेणी में रखा गया था. हालांकि अब इसमें बदलाव करते हुए ‘सार्वजनिक और अर्ध-सार्वजनिक सुविधाओं’ की श्रेणी में डाल दिया गया है.
भाजपा मुख्यालय को दो एकड़ ज़मीन देने के लिए केंद्र ने दिल्ली मास्टरप्लान में अचानक बिना किसी सूचना व आपत्ति मंगाए गुमराह करते हुए बदलाव किया । भाजपा को दी जाने वाली 2.189 एकड़ की अतिरिक्त भूमि 3बी, डीडीयू मार्ग पर है. पहले ये प्लॉट आवासीय उपयोग की श्रेणी में था. हालांकि, इसमें संशोधन करके सार्वजनिक और अर्ध-सार्वजनिक सुविधाओं की श्रेणी में कर दिया गया.
दैनिक आज के अनुसार देश में भाजपा सरकार को आये 6 साल से ज्यादा हो गए, इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी के वादे अनुसार भारत के अच्छे दिन तो आये नहीं लेकिन भारतीय जनता पार्टी और उनके नेताओं के अच्छे दिन या कहें मालामाल वाले दिन जरूर दिखने लगे हैं। बता दें कि एक तरफ जहाँ भाजपा के बैंक खाते में हजारों करोड़ का चंदा जमा हो चुका है, वहीँ इन विगत 5 वर्षों के दौरान ख़ासकर नोटबंदी के पहले भाजपा ने पूरे देश में कार्यालयों के नाम पर कई हजार करोड़ की सम्पतियाँ भी खरीद ली हैं तथा अपने कई कार्यालयों को भव्य आलिशान बिल्डिंगों में तब्दील कर दिया है। बता दें कि नोटबंदी के बाद ही भाजपा ने दिल्ली स्थित अपने भव्य केंद्रीय कार्यालय का उद्घाटन किया था, जिसकी अनुमानित लागत लगभग 1300 के करीब आंकी गयी है।
उत्तर प्रदेश के भदोही में कभी एक छोटी सी दुकान जैसे कमरे में अपना कार्यालय चलाने वाली भाजपा ने एक आलिशान आधुनिक कार्यालय बनवा दिया है। 5 साल पहले एक दूकान वाले कार्यालय से रणनीति बनाकर 2014 का चुनाव जीतने वाली भाजपा ने 2019 का चुनाव इसी भव्य और आधुनिक कार्यालय में रणनीति बना कर जीती है । 10 साल केन्द्र और 15 साल यूपी में वनवास काटने के बाद सत्ता में लौटी भारतीय जनता पार्टी ने धन के मामले में दिन दोगुनी और रात चारगुणी तरक्की की है। एक तरफ जहाँ नई दिल्ली में भव्य मुख्यालय बनाने के बाद अब जिलो में भी आधुनिक सुख-सुविधाओं वाले भव्य पार्टी कार्यालय बना रही है। उन्हीं आलिशान कार्यालयों में से एक भदोही कार्यालय का उद्घाटन अमित शाह ने बुलंदशहर में एक कार्यक्रम के दौरान किया। बीते पांच सालों में भाजपा सिर्फ भदोही जैसे छोटे जिले में ही नहीं बल्कि पूरे देश में कई हजार करोड़ की संपत्ति बनाकर फर्श से अर्श पर पहुंच गयी है। भदोही का कार्यालय बीते पांच सालों में भाजपा ने जो अपना आर्थिक विकास किया है यह उसकी सिर्फ एक झलक मात्र है।
गौरतलब है दिल्ली, लखनऊ, भदोही सहित पूरे देश में भाजपा ने हजारों कार्यालयों का भव्य निर्माण कराया है। भाजपा ने इन पांच सालों में अपना इतना अधिक आर्थिक विकास कर लिया है जो कांग्रेस के 60 सालों पर भी भारी है। यही कारण है कि पैसों (फण्ड) के मामले भाजपा आज सबसे आगे है। अब प्रश्न ये उठता है कि क्या भाजपा अपने अच्छे दिनों का वादा करके सत्ता में आयी थी या देश के अच्छे दिनों का ?
भारतीय जनता पार्टी की खासियत है कि वह कांग्रेस को तो भ्रष्ट बताती है पर अपनी ईमानदारी नहीं बताती। ऐसा कोई दावा नहीं करती। 2014 और इससे पहले कुछ किया भी हो, अब करने लायक भी नहीं है। दूसरी ओर, नोटबंदी के समय खबर छपी थी कि अलग-अलग शहरों में पार्टी ने जमीन खरीदी है – ज्यादातर मामलों में नकद देकर। उस खबर का कोई फॉलोअप नहीं हुआ और पार्टी ने कोई सफाई भी नहीं दी। गोदी मीडिया में चूंकि भाजपा के विरोधियों के भ्रष्ट होने के आरोप ही छपते हैं इसलिए भाजपा से ना कोई सवाल करता है, ना भाजपा मौका देती है और ना ही पूछे जाने पर जवाब देती है। आरटीआई कानून लाने वाली पार्टी को भाजपा ने भ्रष्ट घोषित कर रखा है और मीडिया की दुम मरोड़े बैठी पार्टी ने खुद की छवि ईमानदार की बना ली है। इसके लिए पार्टी अपनी संपन्नता और उपलब्धियों का भी बखान नहीं करती है। दिल्ली में पार्टी का भव्य कार्यालय बना है। हम लोग फोटो देखने के लिए अभी तक तरस रहे हैं। अब खबर आ रही है कि देश भर में पार्टी के भव्य कार्यालय बने हैं। पर कोई खबर नहीं कोई दावा नहीं खुद पीठ थपथपाने का मामला भी नहीं। नामदारों की पार्टी ने 70 साल में जितने कार्यालय नहीं बनाए ईमानदार भाजपा ने पांच साल में उससे ज्यादा और महंगे कार्यालय बना लिए हैं। वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने प्राइम टाइम में यह सूचना दी और फेसबुक पर यह पोस्ट लिखी है।
2019 में रवीश कुमार की पोस्ट के अनुसार बहुमंज़िला जनता पार्टी- बीजेपी ने दो साल में बना लिए कई सौ नए बहुमंज़िला कार्यालय… क्या आप किसी ऐसी पार्टी के बारे में जानते हैं जिसने दो साल से कम समय के भीतर सैंकड़ों नए कार्यालय बना लिए हों? भारत में एक राजनीतिक दल इन दो सालों के दौरान कई सौ बहुमंज़िला कार्यालय बना रहा था, इसकी न तो पर्याप्त ख़बरें हैं और न ही विश्लेषण। कई सौ मुख्यालय की तस्वीरें एक जगह रखकर देखिए, आपको राजनीति का नया नहीं वो चेहरा दिखेगा जिसके बारे में आप कम जानते हैं।
भारतीय जनता पार्टी 6 अप्रैल को यूपी में 51 नए दफ़्तरों का उद्घाटन करने जा रही है। वैसे सभी 71 ज़िलों में नया दफ्तर बन रहा है मगर उद्घाटन 51 का होगा। कुछ का उद्घाटन पहले भी हो चुका होगा। हमने प्राइम टाइम में फ़ैज़ाबाद, मथुरा, श्रावस्ती, बुलंदशहर, मेरठ, फिरोज़ाबाद के नए कार्यालयों की तस्वीर दिखाई। सभी नई ख़रीदी हुई ज़मीन पर बने हैं। इनकी रुपरेखा और रंग रोगन सब एक जैसे हैं। बीजेपी ने सादगी का ढोंग छोड़ दिया है। उसके कार्यालय मुख्यालय से लेकर ज़िला तक भव्य बन गए हैं।
इससे पता चलता है कि राजनीतिक दल के रूप में बीजेपी अपनी गतिविधियों को किस तरह से नियोजित कर रही है। संगठन को संसाधनों से लैस किया जा रहा है। कार्यकर्ताओं को कारपोरेट कल्चर के लिए तैयार किया जा रहा है। 2015 में लाइव मिंट की एक ख़बर है। बीजेपी दो साल के भीतर 630 ज़िलों में नए कार्यालय बनाएगी। 280 ज़िलों में ही उसके अपने मुख्यालय थे। बाकी किराये के कमरे में चल रहे थे या नहीं थे। दो साल के भीतर इस लक्ष्य को साकार कर दिखाया है।
दिल्ली में जब भाजपा का मुख्यालय बना तो कोई नहीं जान सका कि इसकी लागत कितनी आई। 2 एकड़ ज़मीन में 7 मंज़िला इमारत का दफ्तर बन कर तैयार हो गया और उसे भीतर से किसी ने देखा तक नहीं। मतलब मीडिया ने अंदर से उसकी भव्यता दर्शकों और बीजेपी के ही कार्यकर्ताओं को नहीं दिखाया। इस मुख्यालय में 3-3 मंज़िला इमारतों के दो और ब्लॉक हैं। आम तौर पर नया भवन बनता है तो उसकी रिपोर्टिंग हो जाती है। लेकिन किसी चैनल ने आज तक उसकी रिपोर्टिंग न की। इजाज़त भी नहीं मिली होगी। यही नहीं, अध्यक्ष के कमरे तक तो कार्यकर्ता से लेकर पत्रकार सब जाते होंगे मगर वहां की या गलियारे की कोई एक तस्वीर तक मेरी नज़र से नहीं गुज़री है।
दिल्ली में जब भाजपा का मुख्यालय बना तो कोई नहीं जान सका कि इसकी लागत कितनी आई। 2 एकड़ ज़मीन में 7 मंज़िला इमारत का दफ्तर बन कर तैयार हो गया और उसे भीतर से किसी ने देखा तक नहीं। मतलब मीडिया ने अंदर से उसकी भव्यता दर्शकों और बीजेपी के ही कार्यकर्ताओं को नहीं दिखाया। इस मुख्यालय में 3-3 मंज़िला इमारतों के दो और ब्लॉक हैं। आम तौर पर नया भवन बनता है तो उसकी रिपोर्टिंग हो जाती है। लेकिन किसी चैनल ने आज तक उसकी रिपोर्टिंग न की। इजाज़त भी नहीं मिली होगी। यही नहीं, अध्यक्ष के कमरे तक तो कार्यकर्ता से लेकर पत्रकार सब जाते होंगे मगर वहां की या गलियारे की कोई एक तस्वीर तक मेरी नज़र से नहीं गुज़री है।
दिल्ली मुख्यालय के अलावा बाकी जगहों पर मीडिया के लिए पाबंदी नहीं है। तभी तो हमने प्राइम टाइम में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई कार्यालयों को भीतर से भी दिखाया। इन सब में 200-400 लोगों के बैठने का काफ्रेंस रूम है। प्रेस के लिए अलग से कमरा है। ऊपरी मंज़िल पर कार्यकर्ताओं के लिए गेस्ट हाउस है। बाहरी बनावट में थोड़े बहुत बदलाव के साथ हर जगह डिज़ाइन एक सी है। इन सभी को एक नेटवर्क से जोड़ा गया है। जबलपुर और रायपुर का कार्यालय देखकर लगता है कि कोई फाइव स्टार होटल है। ऐसे ही सब हैं।
मध्य प्रदेश के 51 ज़िलों में से 42 में नए दफ़्तर बन कर तैयार हैं। बाकी बचे हुए ज़िलों में बन रहा है। छत्तीसगढ़ में 27 ज़िलों में नए कार्यालय बने हैं। सिर्फ तीन राज़्यों को जोड़ दें तो बहुमंज़िला कार्यालयों की गिनती सौ से अधिक हो जाती है। बीजेपी के भीतर एक किस्म की रियल स्टेट कंपनी चल रही है। यही सब बीजेपी के कार्यकर्ता और समर्थकों को जानना चाहिए। नोटबंदी के समय पटना से कशिश न्यूज़ के संतोष सिंह ने कई रिपोर्ट बनाई थी। नोटबंदी से ठीक पहले बीजेपी ने देश के कई ज़िलों में ज़मीन ख़रीदी थी। उनकी रिपोर्ट में था कि बिहार में कई ज़िलों में नगद पैसे देकर ज़मीनें ख़रीदी गईं थीं। कांग्रेस ने थोड़े समय के लिए मुद्दा बनाया मगर छोड़ दिया।
क्या यह नहीं जानना चाहिए कि बीजेपी के पास कहां से इतने पैसे आए? कई सौ इमारतों को बना देना आसान नहीं है। कई राज्यों और दिल्ली में मज़बूती से सरकार चलाने के बाद भाजपा न तो इतने अस्पताल बनवा सकी होगी और न ही इतने कालेज खोल पाई होगी। यूनिवर्सिटी की बात तो छोड़िए। मगर 600 से अधिक मुख्यालय बना लेना आसान बात नहीं है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स के अध्ययन के मुताबिक 2017-18 में बीजेपी ने अपनी आय 1027 करोड़ बताई है। 2016-17 में 1034 करोड़ आय थी। मीडिया रिपोर्ट में है कि अब जो भी चंदा राजनीतिक दलों को मिलता है उसका 80 से 90 फीसदी बीजेपी के हिस्से में जाता है। बीजेपी के पास पैसा आया है। सिर्फ एक पार्टी के पास ही अधिकतम चंदा पहुंच रहा है, यह भी बहुत कुछ कहता है ।
चंदे के पैसे से तो कई सौ बहुमंज़िला कार्यालय नहीं बन सकता। बीजेपी की ज्ञात आय तो 1000 करोड़ है। इतने में दिल्ली से लेकर बहराइत तक ज़मीन खरीद कर अपार्टमेंट जैसा कार्यालय बनाना संभव नहीं जान पड़ता। वैसे भी बीजेपी पूरे ख़र्चे के साथ साल भर चुनावी और राजनीतिक सभाएं करती रहती हैं। आप अमित शाह की रैलियों की ही तस्वीर देखिए। शामियाने में सभा होने के दिन चले गए। उन सभी को देखकर भी लगता है कि कोई केंद्रीकृत व्यवस्था होगी। यही नहीं बीजेपी के विज्ञापन का खर्च का भी ध्यान रखें। उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए सबसे अधिक पैसा और संसाधन बीजेपी देती है। इन सबके बीच 600 से अधिक कार्यालय बने हैं।