जनहित याचिका के दबाव में आई सरकार, नारायणपुर-ओरछा सड़क निर्माण की घोषणा; वास्तविक मुद्दों पर लीपापोती का आरोप
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के लोग लंबे समय से जर्जर सड़कों की समस्या से जूझ रहे हैं। हाल ही में, सीपीआई नेता और जिला सचिव फुलसिंग कचलाम ने इस मुद्दे पर आवाज़ उठाते हुए जनहित याचिका (WPPIL 82 of 2024) के माध्यम से उच्च न्यायालय में सरकारी लापरवाही के खिलाफ कानूनी लड़ाई छेड़ी। इसके बाद सरकार ने आनन-फानन में नारायणपुर-ओरछा सड़क के 12 किलोमीटर हिस्से के निर्माण की घोषणा कर दी है, जिसे स्थानीय नागरिकों के बीच “ऊंट के मुँह में जीरा” कहकर आलोचना मिल रही है।फुलसिंग कचलाम ने नारायणपुर से ओरछा तक की 66 किलोमीटर लंबी सड़क के दयनीय हालात को सुधारने के लिए जनहित याचिका दायर की थी। कचलाम की ओर से पेश अधिवक्ता सुधीर बौद्ध ने कोर्ट में ठोस तर्क रखे, जिसमें बताया गया कि यह सड़क क्षेत्र की मुख्य जीवनरेखा है। उन्होंने तर्क दिया कि खराब सड़क के कारण लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और अन्य आवश्यक सुविधाओं तक पहुंचने में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, बारिश के मौसम में सड़क इतनी खराब हो जाती है कि यातायात लगभग ठप हो जाता है।
जनहित याचिका दायर करने के बाद सरकार ने कोर्ट में जवाब दाखिल किया, जिसमें पल्ली-छोटेडोंगर-ओरछा और पल्ली-बारसूर मार्ग की तस्वीरें पेश की गईं, जिसमें सड़कों को अच्छी स्थिति में दिखाया गया। अधिवक्ता बौद्ध ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई और कोर्ट को अवगत कराया कि सरकार द्वारा प्रस्तुत तस्वीरें और तथ्य गुमराह करने वाले हैं और असल मुद्दे को नजरअंदाज किया जा रहा है।इस आपत्ति को मानते हुए माननीय चीफ जस्टिस ने सरकार के अधिवक्ता को दिपावली के बाद इस मामले में विस्तार से सही तथ्यों के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया। इस आदेश के बाद प्रशासन में हलचल मच गई और आनन-फानन में 12 किलोमीटर सड़क के निर्माण की घोषणा कर दी गई। यह घोषणा करके सरकार अपनी पीठ थपथपाने का प्रयास कर रही है, लेकिन स्थानीय लोगों और विपक्ष ने इसे “ढोल पीटना” करार दिया है।
सीपीआई के जिला सचिव फुलसिंग कचलाम का कहना है कि यह केवल जनहित याचिका का ही असर है कि सरकार अचानक सक्रिय हो गई है और आंशिक निर्माण की घोषणा कर रही है। उन्होंने इसे ‘आम जनता के साथ छलावा’ बताते हुए कहा कि नारायणपुर-ओरछा मार्ग के संपूर्ण 66 किलोमीटर को पुनःनिर्मित करने की आवश्यकता है, ना कि केवल 12 किलोमीटर के हिस्से की।स्थानीय निवासियों का भी कहना है कि जब तक पूरी सड़क को सुधार नहीं किया जाएगा, तब तक समस्या का समाधान नहीं होगा। क्षेत्र के लोग सड़क के खराब हालात की वजह से कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं, खासकर स्वास्थ्य और आपातकालीन स्थिति में उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।