विश्व आदिवासी दिवस पर आज की कविता
जंगल के योद्धा हम तो जंगल के योद्धा हैं साहेबहमें डराना नहींजेल की सलाखों सेजब से जन्म लिए हैंतब से
Read moreजंगल के योद्धा हम तो जंगल के योद्धा हैं साहेबहमें डराना नहींजेल की सलाखों सेजब से जन्म लिए हैंतब से
Read moreआज की कविता मैं बीजेपी में नही जाऊंगा डोली रख दो कहारोमहीने दो महीने नही जाऊंगा डोली रख दो कहारोमैं
Read moreआज की कविता लहू पीती सड़कों पर चला हूँ ,अब मैं गांव की ओर चला हूँ।पेट पालने आया था शहर
Read moreआज की कविताब: सैफ़ के दो नज़्म बस आप सोईये नज़्म: 1 काट रहा है ज़बान तो ये निज़ाम, आप
Read moreकोरोना महामारी और अनियोजित लॉक डाउन के कारण किसानों, ग्रामीण गरीबों, दिहाड़ी और प्रवासी मजदूरों तथा आदिवासियों के समक्ष उत्पन्न
Read moreआज की कविता वो दबे-कुचले लोगों की आवाज़ बनता था, वो राजनीति से नाक-भौं सिकोड़ने वाले लोगों को जगाने का
Read moreगणतंत्र दिवस के अबसर पर आपको बधाई ! ‘किसकी है जनवरी किसका अगस्त है ? कौन यहां सुखी है कौन
Read moreतुम कब्र खोद सकती हो अपने अस्तित्व मिटाने वालो का शोषण का साम्राज्य चलाने वालो का तुम कब्र खोद सकती
Read moreअब कैसे मिलेगी आजादी? तुम कहते थे लेंगे आजादी। किस किस से लोगे आजादी? हत्याओं से आजादी या हथियारों से
Read moreहत्यारे जब कविता लिखते हैं ! हमारे समय के अँधेरे में हत्यारों, दंगाइयों, बर्बरों और फासिस्टों के गिरोहों के सरगना
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