भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड बिकने के कगार पर 2016 में ही चुपके से अम्बानी को सौंपने रचा गया था षड्यंत्र
विक्रम सिंह चौहान
देश के साथ मोदी की गद्दारी देखिये.अम्बानी के साथ मोदी का याराना देखिये.जिस रिलायंस के 1400 पेट्रोल पंप मनमोहन सिंह के दौर में बंद पड़े थे.3000 पेट्रोल पंप को मनमोहन सिंह सरकार ने लाइसेंस देने से मना कर दिया था वह रिलायंस अब देश की 1.11 लाख करोड़ रुपये मार्केट कैप वाली कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) की खरीदी के लिए बोली लगाने वाला है.सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) में अपनी पूरी 53.29 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है. इसके चलते BPCL को पूरी तरह से प्राइवेट कंपनी बनाने का प्रस्ताव है.
इस बीच यह भी सामने आया कि सरकार ने चुपके से कंपनी को राष्ट्रीयकृत बनाने वाले कानून को 2016 में रद्द कर दिया. इसके चलते अब कंपनी को प्राइवेट और विदेशी कंपनियों को बेचने से पहले संसद की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं रह गई है.रिपीलिंग एंड अमेंडिंग एक्ट ऑफ 2016 ने कई प्रचलित कानूनों को रद्द किया था. इसमें 1976 का वह कानून भी शामिल था, जो पहले बुरमाह शेल के नाम से जानी जाने वाली बीपीसीएल को राष्ट्रीयकृत करता था.सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2003 में आदेश दिया था कि बीपीसीएल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) का निजीकरण संसद द्वारा उस कानून में संशोधन होने के बाद ही हो सकता है, जो इन दोनों कंपनियों को राष्ट्रीयकृत करता है. यह फैसला तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार द्वारा दोनों कंपनियों के निजीकरण का प्रस्ताव रखे जाने के बाद आया था.अब सुप्रीम कोर्ट की यह शर्त लागू नहीं रह गई है क्योंकि रिपीलिंग एंड अमेंडिंग एक्ट ऑफ 2016 ने बीपीसीएल को राष्ट्रीयकृत करने वाले कानून को रद्द कर दिया है. रिपीलिंग एंड अमेंडिंग एक्ट ऑफ 2016 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद 9 मई 2016 को गजट नोटिफिकेशन जारी किया जा चुका है.
मतलब भारत पेट्रोलियम को बेचने का खेल 2016 में ही खेला जा चूका है.चुपचाप मोदी ने उस कानून को ही बदल दिया जिससे ये कंपनी राष्ट्रीयकृत थी।अब न विरोध होगा न संसद में सवाल उठेगा.लाखों बेरोजगार होंगे.मीडिया तो पहले से पालतू कुत्ता बन चूका है,2016 में जब संशोधन हुआ तब भी देश को नहीं बताया था,अब बिक रहा है तो प्रतिस्पर्धा से दाम कम होंगे ,फायदा होगा,विदेशी निवेश आएगा जैसे न्यूज़ सुनने मिलेंगे.
जब भी मैं मोदी अम्बानी की याराना की कहानी सुनाता हूँ तो ऊपर तस्वीर की याद आ जाती है.मालिक का हाथ नौकर के कंधे में हैं.और नौकर कितनी ईमानदारी से अपना काम कर रहा है,वफादारी निभा रहा है.इतना ईमानदार नौकर आजकल मिलता कहाँ है?
विक्रम सिंह चौहान
“मीडिया तो पहले ही पालतू कुत्ता बन चुका है। ”
मीडिया का मीडिया के प्रति इतनी कडवाहट ?