जहां जीना मौत को चुनौती देना है, वहां बच्चों का भविष्य गढ़ रही हैं शिक्षिकाएं
पवन कुमार
सुकमा । शिक्षकों को समाज में सर्वाधिक सम्मान का दर्जा प्राप्त है और हो भी क्यों ना शिक्षक ही बच्चों का भविष्य गढ़ते हैं और उन्हें इंसान बनाते हैं, भारत देश के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिले सुकमा के ब्लॉक कोण्टा में महिला शिक्षिकाएं कुछ ऐसा कर रही है जिन्हें देख कर आपके मन में उनके प्रति सम्मान और भी बढ़ जाएगा बल्कि आपको उन पर गर्व होगा ।
महिला शिक्षिकाएं नक्सल प्रभावित इलाकों में सेवाएं दे रही हैं बच्चों का भविष्य गढ़ रही हैं । जहां जाना भी आम लोगों के लिए मौत को चुनौती देना है । कोण्टा ब्लॉक से 10 से 15 किलोमीटर अंदरूनी इलाका माना जाता है,वहां पर जाती है और रोजाना बच्चों को पढ़ाती है भविष्य गढ़ते हैं,और उन्हें इंसान बनाते हैं।
यह पूरे इलाके दरअसल नक्सलियों और सुरक्षाबलों का एक तरह से युद्ध क्षेत्र है और यहां पर नक्सली लगातार इस फिराक में रहते हैं कि यदि इस इलाके में सुरक्षा बल पहुंचे तो उन्हें नक्सली अधिक से अधिक नुकसान पहुंचा सकें और इसी के मद्देनजर इन इलाकों में नक्सली न केवल भूमिगत बम बिछाए रहते हैं बल्कि स्पाइक होल के जरिए भी कोशिश करते हैं कि सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचे कई वारदात ऐसे हो चुके हैं जिनमें मवेशी और यहां तक की पाठशाला की विद्यार्थी भी इन भूमिगत बमों की चपेट में आकर घायल हुए हैं और मारे भी गए हैं, ऐसे में इन इलाकों में जाना और वहां पर सेवाएं देना अपने आप में बेहद जोखिम पूर्ण और समर्पण का काम है इसके बावजूद कोण्टा ब्लॉक के 6 स्कूलों में 6 शिक्षिकाएं रोजाना तमाम खतरों के बावजूद अपने स्कूलों में पहुंचती है और सारा दिन बच्चों को शिक्षा प्रदान करती हैं ।
नक्सली जहां चाहते हैं कि नई पीढ़ी नक्सलवाद से जुड़े वहां लोकतंत्र और सरकार के खिलाफ में शिक्षा का उजियारा पहुंचाना अपने आप में एक प्रकार से देशभक्ति का काम भी है पाठ्यक्रम की किताबें पढ़ेंगे तो देश और लोकतंत्र के बारे में जानेंगे तब वे समझ पाएंगे कि नक्सलवाद की हकीकत क्या है । एक समय था जब यहां पर स्कूल संचालित हुआ करते थे लेकिन नक्सलवाद के आने के साथ ही नक्सलियों ने यहां की सड़कें काट दी थी और सभी सरकारी भवनों को ध्वस्त कर दिया था आज भी नहीं चाहते कि यहां पर कोई मजबूत निर्माण हो और ऐसे में एक तरह से कमजोर और अस्थाई स्ट्रक्चर में रहकर यहां बच्चे पढ़ते हैं और शिक्षिकाएं इन्ही में इन बच्चों को अध्ययन करवाती हैं।