गोमपाड़ तिरंगा यात्रा से वापसी में महिलाओं-लड़कियों को गाड़ी से उतार-उतार कर पुलिस ने खिंची तस्वीरें
प्रभात सिंह @ भूमकाल दंतेवाड़ा
बस्तर के गोमपाड़ में तिरंगा यात्रा से घबराई छत्तीसगढ़ सरकार ने आनन्गो फानन में आदिवासी दिवस पर विकासखंड स्तरीय कार्यक्रम आयोजित कर करोड़ों रुपये खर्च किया | यह छत्तीसगढ़ के इतिहास की ऐसी घटना है जिसे सालों तक याद रखा जायेगा | किसी आन्दोलन को कुचलने के लिए सरकार ने कई तरह के प्रायोजन किये | सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारियों का ऐन मौके पर आन्दोलन से दूर हटना अपने आप में प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है | वहीँ सरकारी तंत्र का पूरा ख़ुफ़िया विभाग कल्लूरी के कहने पर यात्रा में रास्ते भर फोटोग्राफी करता रहा | यदि इतनी मुस्तैद ख़ुफ़िया तंत्र रहता तो आज बस्तर में हजारों जाने सुरक्षित रहती उन्हें अकाल मृत्यु के आगोश में नहीं सोना पड़ता |
आपको मालुम ही हैं कि छत्तीसगढ़ में सरकार ने बस्तर में एडमिनिस्ट्रेशन की सारी जवाबदारी कल्लूरी के हाथ में छोड़ रखी है | कल्लूरी के इशारों पर गोमपाड़ से लौटते वक्त केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल 217 बटालियन मुरलीगुड़ा कैम्प में जवानों द्वारा अपने निजी मोबाइल फ़ोन में सभी आमोंखासनागरिकों की तस्वीरें व्यक्तिगत रूप से तस्वीरें खिंची गई । जिसमें महिलायें और लडकियां भी थी | जब हमारे पत्रकार प्रभात सिंह वहाँ पहुँचे और जवानों और अधिकारियों से फोटो खींचने का कारण जानना चाहा तो उनका जवाब था “सेक्युरिटी रीजन” |
अब सवाल यही उठता है कि सुरक्षा किसके लिए हमारी सुरक्षा की परवाह तो इन्हें थी नहीं; नहीं तो ये शिव राम प्रसाद कल्लूरी का आदेश पाकर गोमपाड़ तक सुरक्षा देने सारे दल-बल सहित पहुँचत जाते । अतः स्पष्ट है कि सुरक्षा फिर इन्हें स्वयं को चाहिए । तो जब अर्धसैनिक बालों को जब केवल अपने सुरक्षा की चिंता है तो ऐसी पुलिसिया सरकार का हम नागरिक करें क्या | जो अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए नहीं अपने स्वयं की सुरक्षा में ही सारा वक्त लगा रहे हों । यदि उन्हें बायोमैट्रिक्स तलाशी लेनी है तो सारे कैम्पों में सुविधाएँ छत्तीसगढ़ सरकार को उपलब्ध कराना चाहिए । ऐसे मोबाइल में छत्तीसगढ़ सरकार को लड़कियों और महिलाओं की निजी मोबाइल में फोटो खींचने वाली छिछोरी हरकत नहीं करनी चाहिए ।
Thanks for exposing this.