कब तक चुप रहना है मेरे रायपुर उर्फ अपराधपुर ?
(प्रदेश के प्रसिद्ध आरटीआई एक्टिविस्ट कुणाल शुक्ला ने सोशल मीडिया में एक पत्र जारी किया है उन्होंने अपने पत्र में रायपुर शहर में बढ़ते अपराध पर चिंता जताई है और इस संबंध में राज्यपाल से शिकायत करने की बात की है यहां उनका पत्र ज्यों का त्यों प्रस्तुत कर रहे हैं )
रायपुर के हालात बैटमैन और जोकर के काल्पनिक शहर गॉथम सिटी के तरह हो गए हैं जहां पर राज है अपराध और अपराधियों का।
गॉथम सिटी की तरह यहां पर भी पुलिस प्रशासन चुप है या अपराधियों के साथ मिल कर संघटित अपराध को अंजाम दे रहा है।
हमारा रायपुर जहां हो रहे हैं मर्डर,चाकूबाजी,लूट औऱ चल रही हैं सड़कों पर गोलियां।
रायपुर जहां हुक्का बार के नाम पर नशे का कारोबार चल रहा है जहां मिलते हैं विभिन्न प्रकार के कैमिकल ड्रग्स।
रायपुर जहां स्पा सेंटर के नाम पर खुली हैं जिस्म की मंडियां जहां देसी विदेशी हर प्रकार की लड़कियां उपलब्ध हैं।
रायपुर जहां हैं इधर उधर सरपट मोटरसाइकिल दौड़ाते बाइकर्स गैंग वाले जो कि छेड़ते हैं लड़कियां।
रायपुर जहां पान दुकानों में अथवा भिखारी के पास आसानी से उपलब्ध है गांजा और बस्तियों में खिलाया जाता है सट्टा।
रायपुर जहां हैं सुप्रीमकोर्ट हाईकोर्ट का मखौल उड़ाते डीजे वाले, जिन्होंने हाल फ़िलहाल दो बुजुर्ग दिल के मरीजों की जान ली है।
रायपुर जहां हैं रात तीन चार बजे तक खुले रहने वाले शराब बार,जहां पर शराब के साथ परोसा जाता है तेज़ संगीत नग्नता फूहड़ता।
रायपुर जहां राह चलते पत्रकार साथी का मोबाइल लुटेरे छीन कर भाग जाते हैं।
इस तरह मरते मेरे रायपुर को देख कर बुद्धिजीवी चुप,मीडिया चुप,नपुंसक विपक्ष चुप,सिविल सोसायटी चुप। लेकिन पानी सर के ऊपर बह रहा है और मैं चुप नहीं रहूंगा।
रायपुर के मरते हालातों को लेकर राज्यपाल से शिकायत करूँगा और मांग करूँगा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय तक मेरी आवाज़ पहुंचाए जिससे शायद स्थिति नियंत्रण में हो सके और मेरा रायपुर मरे न।
कुणाल शुक्ला (सोशल एंड आरटीआई एक्टविस्ट)