धरती पर पानी की एक-एक बूँद पर पूँजीपतियों का क़ब्ज़ा होना चाहिए और आपको बिना पैसे दिये एक भी बूँद नहीं मिलनी चाहिए।
अरुण प्रकाश मिश्रा
पीने के पानी को आम आदमी की पहुंच से दूर ले जाने के लिए बड़े और व्यापक स्तर पर कॉरपोरेट घरानों द्वारा षड्यंत्र रचा जा रहा है । विज्ञापन और अन्य माध्यमों से लोगों को नल और प्रकृतिक जल स्त्रोत के खिलाफ
नेस्ले के चेयरमैन पीटर बरबैक लटमेथ का कहना है कि अफवाह रच कर भड़काया जा रहा है ।
“धरती पर पानी की एक-एक बूँद पर पूँजीपतियों का क़ब्ज़ा होना चाहिए और आपको बिना पैसे दिये एक भी बूँद नहीं मिलनी चाहिए।” पेप्सी के उपाध्यक्ष रॉबर्ट मौरीसन का कहना है – “नल का पानी सबसे बड़ा दुश्मन है।” यहाँ उनका मतलब मुनाफ़े से है कि नल का पानी उनके मुनाफ़े का सबसे बड़ा दुश्मन है। ये लोगों को किसी भी तरह मुफ़्त मिलता पानी बर्दाश्त नहीं कर सकते। इसी तरह अमेरिका की कुआकर ओट्स कम्पनी की प्रधान सूजन वेलिंगटन के मुताबिक़ – “जब हम अपना काम कर चुके होंगे, तब नल का पानी नहाने-धोने के लायक ही रह जायेगा।” कोका कोला ने भी लोगों को होटलों, रेस्तराओं आदि में नल का पानी पीने से “बचाने” की योजना बनायी है जिसके अन्तर्गत लोगों को नल के पानी की जगह बोतलबन्द पानी, कोल्ड-ड्रिंक व अन्य बिकने वाले पेय पदार्थ पीने के लिए प्रेरित किया जायेगा।