मलकानगिरी जिले में लोग मर रहे हैं… सरकार तमाशबीन है…
Jayant Tiyadi @ Malakangiri
मलकानगिरी जिले के गोबिंदपाल्ली ग्राम पंचायत के कोमलापोदर ओर गजिआगुडा गाँव के हजारो आदिवासी सप्तधारा नदी जान जोखिम में डाल कर पार करते हैं | भारत की स्वतंत्रता के ७० वर्ष बाद भी यहाँ के लोगो को कोई भी सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है | यहाँ के लोग सरकार को ५ वर्ष में एक बार वोट तो जरुर देते है; लेकिन उन्हें यह भी नहीं मालूम की भारत स्वतंत्र हो चूका है | गोबिंदपाल्ली पंचायत के कोमलापोदर ओर गजिआगुडा गाँव जिसकी हालत क्या है इस तस्वीर में आप स्वयं देख सकते है | सरकार द्वारा स्कूल तो बनाये गये है लेकिन सप्तधारा नदी पार कर कोसों दूर पैदल चलकर टीचर यहाँ आना नहीं चाहते है | माओवादियों का भी खौफ ऐसा कि कोई अधिकारी भी झाँकने नहीं आते हैं | यहाँ दूर दूर तक कोई सुविधा नहीं है | बिजली क्या चीज है उन्हें मालूम हीं नहीं ! १ रूपये किलो चावल खरीदने के लिये भी लोगो को नदी पार कर कोसों दूर पैदल चलना पड़ता है | ग्राम पंचायत भी नदी पार कर गाँव तक चावल पहुँचाने में असमर्थ है | आम जनता को काम देने वाली मनरेगा जैसी तमाम योजनायें धरातल पर पहुँची ही नहीं है | इन गाँवों के ८५ प्रतिशत लोग अनपढ़ है | गर्भवती महिलाओ के लिए बनाई गयी जननी सुरक्षा योजना का उन्हें लाभ नहीं मिल रहा है | स्थिति इतनी दुःखद है कि कई बार अस्पताल ले जाते या तो वह नदी में बह जाती है या रास्ते में हीं दम तोड़ देती है | इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा लोगों को मिलती ही नहीं है | इनमें मलेरिया पीड़ित मरीजों की सख्या अधिक होती है |मरीजों को को नाव जैसी छोटी सुविधा नहीं होने से ट्यूब में बैठकर जान जोखिम में डालकर उफनती नदी पार करना पड़ता है | नदी में बहने से बच गया तब वहाँ से ६० किलोमीटर दूर निजी वाहन किराए पर लेकर जाना पड़ता है | मलकानगिरी अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस की बात तो सोची भी नहीं जा सकती है | क्षेत्र में गरीबी ऐसी की गाँव के लोग चारपाई पर वाले मरीजों को कंधे से उठाकर पैदल अस्पताल ले जाने मजबूर है | यही नहीं अस्पताल ले जाने के बाद मृत घोषित व्यक्ति के शरीर को भी खाट पर कंधे में उठाकर सप्तधारा नदी पार कर पैदल गाँव ले जाने को ग्रामीण मजबूर है |
(Jayant Tiyadi के फेसबुक वाल से )