संविधान मौन हुआ। शासक मुंह जोर है।।
आज की कविता : 1 संविधान मौन हुआ। शासक मुंह जोर है।। =————————= ये लिंचिंग का दौर है। नृशंसता का
Read moreआज की कविता : 1 संविधान मौन हुआ। शासक मुंह जोर है।। =————————= ये लिंचिंग का दौर है। नृशंसता का
Read moreमेरी हत्या एक भीड़ ने की अदालत में जिरह हुई कि आरोपी छह थे मैं सबके नाम जानता हूं योर
Read moreतुम्हें दरकार है एक मखमली आलिंगन की और मेरे बदन में चिपक रहा है लहू मैं यह लहू छिपाना चाहता
Read more( आज कवि दिलीप कुमार कौल का जन्म-दिन है । जन्म-दिन की हार्दिक बधाई के साथ उन की एक मशहूर
Read moreकल अपनी पुरानी सोसाइटी में गया था। वहां मैं जब भी जाता हूं, मेरी कोशिश होती है कि अधिक से
Read moreतानाशाह बचपन से तानाशाह नहीं था बचपन में वो बस एक बच्चा था पर उसे रखा गया किसी अमानत की
Read moreतानाशाह बचपन में खाता था मूंगफली तो गिनता जाता था दाने और छिलके लाशों और सिर की गिनती करने के
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