तानाशाह से मत डरो – 6
तानाशाह
बचपन से तानाशाह नहीं था
बचपन में
वो बस एक बच्चा था
पर उसे रखा गया
किसी अमानत की तरह
घर से बाहर निकलने पर
रोक लगी
डराया गया भूत-प्रेतों से
और बताया गया
कि किन बच्चों के साथ
खेलना नहीं
इतने बच्चों के साथ
खेलने से रोक दिया गया उसे
कि वो
दरअसल अकेले ही खेलता रहा
तानाशाह
तब से अपने आप से ही बातें करता है
तानाशाह
हमेशा पसंद करता था
एक लड़की को
लेकिन उसे बताया गया
कि स्त्री के चक्कर में
जीवन व्यर्थ हो जाता है
तानाशाह
पड़ सकता था
किसी पुरुष के प्रेम में भी
लेकिन यहां उसको पाप
और नर्क से ख़ौफ़ज़दा किया गया
तानाशाह
प्रेम से ऐसा वंचित रहा
कि नफ़रत
उसके जीवन का स्थायी भाव हो गई
वो प्रेम भी करना चाहता
तो नफ़रत ही करता
ख़ुद से भी…
तानाशाह
कमज़ोर था, अस्वस्थ भी
और डरा हुआ भी
उसे उपाय बताया गया
कि ऐसे हाथ जोड़ कर
ये वाला मंत्र पढ़ते रहना है
यही सूत्र है
भय, मोह और प्रेम से मुक्ति का
तानाशाह ने मंत्र इतना पढ़ा
कि उसे भयभीत होते रहने की
आदत हो गई
तानाशाह
रास्ता नहीं, ढूंढता रहा
रास्ता दिखाने वाला गुरु
गुरु मिला ईनाम दिखाने वाला
ईमान नहीं
धर्म को देश समझाया गया उसे
देश को सत्ता
और शक्ति को कर्तव्य
तानाशाह
डरता है कि कुर्सी और धर्म नहीं रहे
तो कितना अशक्त
और कितना अदेशज हो जाएगा वो
तानाशाह
मरने से डरता था
अंदर के डर को मारना असंभव था
पर आसान था
अंदर के मनुष्य को मारना
उसने समझा
कि अपने डर से मुक्ति नहीं
पर डर के अहसास से मुक्ति संभव है
बाकियों को डरा कर
उसने सबको डराया
और अकेला हो गया
तानाशाह ने समझा
कि आसान है
अकेला हो जाना
अद्वितीय होने से
वह अकेला हो गया
और अपने अद्वितीय होने की बात
छपवाता गया डराए गए
अख़बारी काग़ज़ों पर
तानाशाह का आकार
जितना बड़ा होता गया
उसका कद उतना ही छोटा
अभी तानाशाह डरता है
काले कपड़े
काली रात
काले रंग
और काले अक्षर से
तानाशाह का डर
उसके चेहरे पर नहीं दिखता
उसके हाथों को ग़ौर से देखिए
जैसे नन्हा बच्चा
अंधेरे में डरता है
और नहीं निकला सकता है आवाज़
कि वाकई कोई प्रेत हो
तो सुन लेगा…
तानाशाह
का बचपन
उसके मन से गया नहीं है
तानाशाह को डांटिए मत
उसे गले लगाइए
तानाशाह के जीवन में
प्रेम बचपन से गायब है
एक मुल्क हुआ करता था
वहां करोड़ों बच्चे पल रहे थे
इस तानाशाह के बाद
तानाशाह बनने के इंतज़ार में
उन को कोई ढंग से प्यार नहीं करता था
आप तानाशाह से डरते हैं
तानाशाह बच्चा है महज
उससे डरिए मत
आजकल बच्चे पुचकार से भी
डर जाते हैं…