सेलरी न मिलने पर हिंदुस्थान समाचार का रिपोर्टर आफिस से कई कंप्यूटर उठा ले गया घर!
वेतन न मिलने से हिन्दुस्थान समाचार के कर्मचारी गुस्से में, रायपुर का एक रिपोर्टर घर उठा ले गया ऑफिस का सामान, रिपोर्टर पर बनाया जा रहा था नेताओं को ब्लैकमेल कर वसूली करने का दबाव
समाचार एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार में इन दिनों कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। एजेंसी के अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सदस्य आर के सिन्हा द्वारा एक वर्ष का अवकाश लेने और कर्मचारियों को तीन माह से वेतन नहीं देने से सभी राज्य कार्यालयों में अफरातफरी का माहौल है। कर्मचारी इस बात से परेशान हैं कि उन्हें वेतन मिलेगा या नहीं। एजेंसी के रायपुर स्तिथ छत्तीसगढ़ ब्यूरो में कार्यरत एक रिपोर्टर रंजन झा आर्थिक तंगी से इतना परेशान हुआ कि कार्यालय के तीन कम्प्यूटर और कुछ अन्य सामान घर उठा ले गया।
इस बात की खबर जैसे ही नोएडा मुख्यालय को लगी तो उच्च प्रबंधन ने तुरन्त उस रिपोर्टर के खिलाफ पुलिस में शिकायत करने के किए अपने स्थानीय ब्यूरो को निर्देश दिया। साथ ही यह भी कहा कि इस बात की खबर अन्य राज्यों में न फैले। अब प्रबंधन को यह डर सता रहा है कि इस तरह की घटनाएं दूसरे राज्यों में भी संस्थान के कर्मचारी कर सकते हैं। मुख्यालय से मिले निर्देश के बाद संस्थान के स्थानीय ब्यूरो ने अपने रिपोर्टर रंजन झा पर कार्यालय का सामान चोरी करने की शिकायत रायपुर के राजेंद्र नगर थाने में की है।
रिपोर्टर रंजन झा के मुताबिक उसे छत्तीसगढ़ ब्यूरो चीफ द्वारा सूबे के मंत्रियों को ब्लैकमेल करने का दबाव बनाया जा रहा था। उसकी चार महीने से सैलरी भी नहीं दी गयी थी। ब्यूरो चीफ केशव शर्मा द्वारा यह कहा जा रहा था कि छत्तीसगढ़ में सभी नेताओं की सीडी बनी है, उसका सहारा लेकर वसूली करो। रंजन झा ने इसकी शिकायत रायपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से भी की है। सूत्रों के मुताबिक हिन्दुस्थान समाचार प्रबन्धन रंजन झा को हटाने जा रहा है। ब्यूरो चीफ केशव शर्मा संस्थान की सीईओ रत्ना सिन्हा का खास व्यक्ति है और वह हमेशा से ही रंजन झा का विरोधी रहा है। रिपोर्टर रंजन झा और केशव शर्मा के बीच हमेशा से ही झगड़े होते रहे हैं।
दूसरी ओर कई महीनों से रायपुर कार्यलय का किराया भी लैंडलॉर्ड को नहीं दिया गया है। मकान मालिक द्वारा लगातार किराये की मांग करने और कार्यालय खाली करने की धमकी दी जा रही है। मौजूदा हालात को देखते हुए कर्मचारी यह निर्णय नहीं ले पा रहे हैं कि संस्था में रहें या इसे छोड़ दें। उन्हें आशंका है कि यदि छोड़ देते हैं तो उनका कई महीनों के वेतन का पैसा डूब जाएगा और यदि बने रहते हैं तो पता नहीं संस्थान आगे चलेगा व उनका बकाया पैसा मिल पायेगा कि नहीं।
कर्मचारियों में पूरी तरह से असमंजस और भय का माहौल व्याप्त है।
साभार: bhadas4media.com