जिला खनिज संस्थान न्यास मद के उपयोग में ताक पर रखे जा रहे हैं नियम कायदें, चहेते फर्म को लाभ पहुंचाने किया गया गड़बड़झाला
उचित शर्मा
रायपुर। प्रदेश में हर साल अलग.अलग जिलों में जिला गौण खनिज मद में करोड़ों रुपए जमा होते हैं, इस मद का उपयोग करने का अधिकार प्रभारी मंत्री की अनुसंशा पर डीएमएफ कमेटी की सहमति से कलेक्टर को दिए गए हैं। ये वो फंड होता जिसे स्थानीय विकास या आपदा के दौरान खर्च किया जाना है। मगर अफसर कोरोना काल में इन नियमों को दरकिनार कर इस मद का उपयोग अपनी जेब भरने में कर रहे हैं।
ऐसा की एक मामला जांजगीर जिले में स्कूलों के लिए ग्रीन बोर्ड खरीदी में सामने आया है। जिसमें जेम पोर्टल के माध्यम से अपने चेहते फर्म को लाभ पहुंचाने करोड़ों रुपए आर्डर जारी किए गए हैं।
सक्ती शैक्षणिक जिला में सामने आया मामला
सक्ती शैक्षणिक जिला के अंतर्गत संचालित खदान प्रभावित क्षेत्र के शासकीय शालाओं में जिला खनिज संस्थान न्यास मद से मैग्नेटिक ग्रीन बोर्ड की खरीदी होनी है। कलेक्टर के अध्यक्षता में काम करने वाले जिला खनिज संस्थान न्यास मद से खदान प्रभावित क्षेत्रों के शासकीय शालाओं में मैग्नेटिक ग्रीन बोर्ड खरीदी के प्रस्ताव के लिए 15 नवंबर 2019 पत्र क्रमांक 8624 में जिला शिक्षा अधिकारी सक्ती ने अपने मांग पत्र में 109 प्राथमिक साला के लिए 373 ग्रीन बोर्ड 89 पूर्व माध्यमिक शाला के लिए 267 नग ग्रीन बोर्ड 8 हाईस्कूल के लिए 24 नग ग्रीन बोर्ड तथा 20 हायर सेकेंडरी स्कूल के लिए 60 नग ग्रीन बोर्ड कुल 724 नग ग्रीन बोर्ड का प्रस्ताव भेजा था। जिसकी लागत एक करोड़ 9 लाख 93940 रुपए अनुमानित बताई गई थी। इस कार्य के लिए सक्ती शैक्षणिक जिला के लिए 6834560 रुपए आवंटन प्राप्त हुआ। आवंटन की खबर मिलते ही जिले के अधिकारी और सप्लायर ने अपना खेल शुरू कर दिया।
टीआरपी के पास इस बात की पुख्ता जानकारी है कि एक फर्म के संचालक ने सक्ती जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय सरकार के किसी उच्च अधिकारी तक अपनी पहुंच का धौंस दिखाकर करोड़ों का काम हथियाने लिया और तो और उक्त ठेकेदार ने जेम पोर्टल में ऑर्डर भी कर दिया।
अलग-अलग तारीख में 5 लाख के कई ऑर्डर
बता दें संबंधित फर्म ने अलग-अलग तारीख में 5 लाख से कुछ कम राशि की कई ऑर्डर लगाए हैं। जबकि, छत्तीसगढ़ का क्रय नियम अनुसार जेम पोर्टल बिल एक लाख तक की तीन फर्म के तुलनात्मक कोटेशन के आधार पर ही खरीदी कर सकते हैं। मगर अफसरों से मिलीभगत कर पांच पांच लाख तक के अलग-अलग ऑर्डर किए गए हैं। छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम यह कहता है कि 1 लाख तक ही तीन कोटेशन के आधार पर खरीदी की जा सकती है। उसके ऊपर की राशि पर BID/RA के आधार पर ही ऑर्डर लगाना होगा।
छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम की आरक्षित वस्तु होने के बावजूद उद्योग विभाग की NOC लिए बग़ैर GEM पोर्टल के माध्यम से ख़रीदी की गई है।लेकिन, अफसरों ने यहां अपने चहेते लोगों को फायदा पहुंचाने के कारण इस नियम को भी नजरअंदाज कर दिया।
डीएमएफ फंड के उपयोग की कलेक्टर पर होती है जिम्मेदारी
बता दें कि डीएमएफ फंड कलेक्टर के अधीन होता है। इस फंड के उपयोग के लिए हर जिले में कमेटी का गठन किया गया है, जो किस काम के लिए फंड का उपयोग हो इस पर अपनी सुझाव देती है, अंतिम मंजूरी के लिए प्रभारी मंत्री की अनुसंशा जरुरी होती है। मगर जांजगीर चांपा जिले के सक्ती शैक्षणिक जिला में कमेटी से ना तो सुझाव लिए गए और ना ही प्रभारी मंत्री की अनुसंशा का मापदंड पूरा किया गया। केवल डीईओ ने मांगपत्र भेजा और कलेक्टर की ओर से अनुमति दे दी गई। दरअसल इस खेल की पीछे वही लाबी काम कर रही है जो साल से डीएमएफ फंड की बंदरबांट से अपनी जेबे भर रही हैं। ऐसे ही खरीदी आर्डर कोरबा और कोंडागाव में भी जारी हुए हैं। जिसे लेकर बड़े पैमाने में भ्रष्ट्राचार की सुगबुगाह शुरु हो गई है।
सबूतों पर बात की तो कलेक्टर हो गए मौन
आपको बता दें जेम पोर्टल की आड़ में डीएमएफ फंड के दुरुपयोग जब टीआरपी ने सबूतों के साथ कलेक्टर जांजगीर चांपा से फोन से चर्चा करना चाहा तो उन्होंने फोन उठाना जरूरी नहीं समझा, टीआरपी की ओर से 17 बार उनका पक्ष जानने के लिए फोन किए गए हैं मगर कोई जवाब नहीं दिया गया। इस फोन की कॉल डिटेल्स और ग्रीन बोर्ड के सप्लाई आर्डर में जेम पोर्टल की आड़ में की गई गड़बड़ी के पूरे दस्तावेज टीआरपी के पास मौजूद है।
आपको बता दें कि डीएमएफ फंड की बंदर बांट का यह पहला मामला नहीं है, सालों से ये खेल चल रहा है। बताया जा रहा है मामला पुराने कलेक्टर से लेकर वर्तमान कलेक्टर के कार्यकाल से बिना हिचक चल रहा है। डीएमएफ फंड की बंदर बांट में सप्लायर्स के लेकर अफसरों की एक बड़ी लाबी सालों से यह काम कर रही है। इस खरीदी में भी उसी लाबी के होने के बात सामने आई है। फिलहाल इस मामले की शिकायत सीएम हाउस तक पहुंच गई है, अब आगे क्या होता है ये आने वाले समय में पता चलेगा।
उचित शर्मा