भारत सरकार ने आरोग्य सेतु एप के बहाने जासूसी का एक नया खेल शुरू किया
सौमित्र राय
इजरायल के मशहूर जासूसी वायरस पेगासस का नाम सुना तो होगा।
मोदी सरकार ने मेरे जैसे देश के 1400 पत्रकारों की जासूसी के लिए इसका इस्तेमाल किया था। अलबत्ता, मिला कुछ नहीं।
भारत सरकार ने कोरोना के बहाने जासूसी का एक और खेल खेला है। नाम है आरोग्य सेतु।
सरकार इस एप्प को जबरदस्ती हमारे मोबाइल में ठूंसवाना चाहती है। कोरोना की रोकथाम के नाम पर।
कल राहुल गांधी ने और आज दिग्विजय सिंह ने आरोग्य सेतु के बहाने इजराइली कंपनी की मदद से सरकार पर जासूसी का शक जाहिर किया है।
इजराइली कंपनी NSO ने पेगासस नाम के मैलवेयर को तैयार किया। अब Motherbord की रिपोर्ट पढ़ें।
साफ लिखा है कि इसी NSO ने एक और सर्विलांस टूल बनाया है जिसका नाम है फ्लेमिंग।
यह सॉफ्टवेयर भारत सहित दुनिया के कई देशों को बेचा गया है। इसमें आप रोज कहाँ जाते हैं, किससे कब तक मिलते हैं, सारी जानकारी लोकेशन के साथ मिल जाती है।
अब सबसे खतरनाक बात। NSO ने यही टूल पाकिस्तान को भी बेचा है।
अब मोदी जी आरोग्य सेतु को बढ़ावा दे रहे हैं तो कुछ सोचकर ही कर रहे होंगे।
दिक्कत यह है कि फ्लेमिंग से मिली जानकारी इसराइल अपने पास नहीं रखता। सब दूसरों को बेच देता है। किनको? कोई नहीं जानता। मुमकिन है इन जानकारियों में दिलचस्पी रखने वालों में आतंकी भी होंगे।
फ्लेमिंग लोगों की उनके आईडी के आधार पर नज़र रखता है। ये आईडी क्या हो सकती है? जी। आधार नंबर।
इटली का एक सॉफ्टवेयर CY4 गेट भी है। लेकिन यह यूजर की सहमति के बाद ही जासूसी शुरू करता है।
सवाल यह पैदा होता है कि मोदी सरकार आरोग्य सेतु एप्प के सहारे क्यों 136 करोड़ लोगों की जासूसी करना चाहती है?
इस डेटा के आतंकियों और देशद्रोहियों के हाथ न पड़ने की क्या गारंटी है?
पाकिस्तान का इसमें क्या कनेक्शन है? क्यों सेना को आरोग्य सेतु डाउनलोड न करने को कहा गया?
आरोग्य सेतु एप्प से मिली जानकारियां कितनी सुरक्षित हैं?
आखिरी सवाल- क्या इन जानकारियों का सीधा संबंध NRC से है?
सौमित्र राय