क्या होगा इस बच्चे के सपने में?
विनोद वर्मा
मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने कहा था, “मेरा एक सपना है.” पाश ने कहा, “ख़तरनाक होता है सपनों का मर जाना.”
जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने कहा, “जब तुम कोई चीज़ देखते हो तो कहते हो, क्यों? मैं सपना देखता हूं और हर बार कहता हूं, क्यों नहीं?”
हम सबके पास अपने सपने हैं. सब अलहदा सपने हैं. हम सब जानते हैं कि सपनों का सच होना ज़रूरी नहीं. लेकिन कुछ सपनों को हम साकार करना चाहते हैं. अपनी पूरी उर्जा लगाकर उसे सच करने की कोशिश करते हैं.
सपनों के लिए सच का होना ज़रूरी नहीं होता. हालांकि मनोवैज्ञानिक तर्क देते हैं कि हर सपने का हमारे सच से ताल्लुक़ ज़रूर होता है. लेकिन सपना तो सपना होता है.
लॉक-डाउन के दौरान अपने घर लौट रहे इस बच्चे की तस्वीर ने सच को इस तरह से नंगा किया है कि इसे लेकर सिर्फ़ दु:स्वप्न ही आ सकते हैं.
लेकिन आपने कभी सोचा कि इस बच्चे के पास इतनी थकान है कि वह इस तरह भी सो सकता है. कुछ लोग कहेंगे कि वह बस फ़ोटो खिंचवा रहा है. लेकिन मैं यक़ीन करना चाहता हूं कि वह सो रहा है. और सपने देख रहा है.
ऐसे समय में जब जीवन के सारे आधार बिखर रहे हैं. मीलों मील पैदल चलना है और विश्राम का कोई आश्वासन नहीं है. न यह पता है कि कब रोटी मिलेगी और न यह कि पानी भी मिलेगा या नहीं.
अब्दुल कलाम ने कहा था, “सपना वो होता है जो सोने नहीं देता.”
हो सकता है कि यह बच्चा सपने में एक पुरसुकून नींद देख रहा हो. या एक रोटी या मां की गोद में थोड़ा विश्राम?
तो इस बच्चे का सपना क्या होगा इस वक़्त?
विनोद वर्मा