अपने खून-पसीने से जिन्होंने देश और दुनिया बनाई उन्हें बधाई
मजदूर दिवस (Labour Day) उन लोगों का दिन है जिन्होंने अपने खून पसीने से देश और दुनिया के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. किसी भी देश, समाज, संस्था और उद्योग में मजदूरों, कामगारों और मेहनतकशों की अहम भूमिका होती है. मजदूरों और कामगारों की मेहनत और लगन की बदौलत ही आज दुनिया भर के देश हर क्षेत्र में विकास कर रहे हैं. मजदूर दिवस का एक महत्वपूर्ण स्थान है. मजदूर दिवस को लेबर डे, मई दिवस, श्रमिक दिवस भी कहा जाता है.
मजदूर दिवस या मई दिवस हर साल दुनिया भर में 1 मई (1 May) को मनाया जाता है. इस दिन देश की लगभग सभी कंपनियों में छुट्टी रहती है. सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के करीब 80 देशों में इस दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है (जमीनी हकीकत की बात अलग है).
कामकाजी लोगों के सम्मान में मनाया जाता है. भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत सबसे पहले चेन्नई में 1 मई 1923 को हुई थी. उस समय इसको मद्रास दिवस के तौर पर प्रामाणित कर लिया गया था. इस की शुरुआत भारतीय मजदूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने शुरू की थी.
भारत में मद्रास हाईकोर्ट सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया गया और एक संकल्प पास करके यह सहमति बनाई गई कि इस दिवस को भारत में भी मजदूर दिवस के तौर पर मनाया जाए और इस दिन छुट्टी (Labour Day Holiday) का ऐलान किया जाए. उस समय भारत में मजदूरों की जंग लड़ने के लिए कई नेता सामने आए जिनमें बड़ा नाम दत्तात्रेय नारायण सामंत उर्फ डॉक्टर साहेब और जॉर्ज फर्नांडिस का था.
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस (International Labour Day) की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई, जब अमेरिका में कई मजदूर यूनियन ने काम का समय 8 घंटे से ज्यादा न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी. इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमार्केट में बम धमाका हुआ था. यह बम किस ने फेंका किसी का कोई पता नहीं.
लेकिन प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए पुलिस ने मजदूरों पर गोलियां चला दी और कई मजदूर मारे गए. शिकागो शहर में शहीद मजदूरों की याद में पहली बार मजदूर दिवस मनाया गया.
इसके बाद पेरिस में 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में ऐलान किया गया कि हेमार्केट नरसंघार में मारे गये निर्दोष लोगों की याद में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन सभी कामगारों और श्रमिकों का अवकाश रहेगा. तब से ही भारत समेत दुनिया के करीब 80 देशों में मजदूर दिवस को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाने लगा.