ई रजिस्ट्री के नाम पर भाजपा सरकार के समय से शुरू हुआ घोटाला अब कांग्रेस के समय भी बदस्तूर जारी
जनता की जेब से लूट कर निजी कंपनी को दिया जा रहा 30 करोड़
एनआईसी के सॉफ्टवेयर से अगर काम हो तो मात्र चार करोड़ में हो सकता है, जानबूझकर लटकाया गया है प्रस्ताव
ऑडिट रिपोर्ट में 46 गलती और बिना गो लाइव जांच के धड़ल्ले से लूटा जा रहा जनता से 5 गुना अधिक का शुल्क
” प्रदेश के मुख्यमंत्री जहां रजिस्ट्री की कीमत कम करने की नीतियां बनाने में लगे हुए हैं वही दूसरी ओर तमाम शर्तों का उल्लंघन करने और ऑडिट रिपोर्ट में 46 से अधिक गलती निकलने के बाद भी इस कंपनी को केवल स्कैन करने का ₹60 प्रति पेज की दर से 25 पेज का शुल्क 15 सौ रुपये जनता की जेब से लूटने का अधिकार दे दिया गया है , साथ ही इस लूट में अपनी हिस्सेदारी तय करने के लिए ही संभवतः12 पेज में होने वाली रजिस्ट्री अब 25 पेज कर दी गई है । ध्यान रहे कि बाजार में स्कैन करने का खर्च प्रति पेज 50 पैसे से भी कम बैठता है । विभाग के ही अधिकारियों द्वारा ध्यान दिलाए जाने के बाद भी राजस्व विभाग के मंत्री, सचिव और पंजीयन महा निरीक्षक की चुप्पी इस मामले में उनकी भूमिका पर संदेह का सवाल उठाती है ।”
शुभांकर शुक्ला
रायपुर । प्रदेश में ई रजिस्ट्री के नाम पर एक बड़े घोटाला का खेल चल रहा है, पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में 2017 में शुरू हुए इस घोटाले का सूत्रधार जो अधिकारी रहा वही, अभी भी इस अभियान का संचालक बना हुआ है । एनआईसी के माध्यम से ही ई रजिस्ट्री का जो काम केवल चार करोड़ में संपन्न हो जाएगा उसके लिए एक निजी कंपनी को ₹30करोड़ सालाना का भुगतान किया जा रहा है । यह पूरा पैसा जनता की जेब से लूटकर भुगतान किया जा रहा है । नियमानुसार शर्तों के उल्लंघन करने की वजह से यह टेंडर निरस्त हो जाना चाहिए था किंतु पर्दे के पीछे किसी समझौते के तहत जनता के साथ बदस्तूर लूट की प्रक्रिया जारी रखी गई है।
” प्रदेश के मुख्यमंत्री जहां रजिस्ट्री की कीमत कम करने की नीतियां बनाने में लगे हुए हैं वही दूसरी ओर तमाम शर्तों का उल्लंघन करने और ऑडिट रिपोर्ट में 46 से अधिक गलती निकलने के बाद भी इस कंपनी को केवल स्कैन करने का ₹60 प्रति पेज की दर से 25 पेज का शुल्क 15 सौ रुपये जनता की जेब से लूटने का अधिकार दे दिया गया है , साथ ही इस लूट में अपनी हिस्सेदारी तय करने के लिए ही संभवतः12 पेज में होने वाली रजिस्ट्री अब 25 पेज कर दी गई है । ध्यान रहे कि बाजार में स्कैन करने का खर्च प्रति पेज 50 पैसे से भी कम बैठता है । विभाग के ही अधिकारियों द्वारा ध्यान दिलाए जाने के बाद भी राजस्व विभाग के मंत्री और सचिव की चुप्पी इस मामले में उनकी भूमिका पर संदेह का सवाल उठाती है ।”
ज्ञात हो कि फरवरी 2017
में हैदराबाद की कंपनी एमआरएस और आईटी सॉल्यूशन को ई रजिस्ट्रेशन का सॉफ्टवेयर बनाने और संचालन करने का कार्य बकायदा टेंडर निकाल कर बीओटी पद्धति से सशर्त सौंपा गया था । इसमें कुछ ही शहरों पंजीयन कार्यालय में कंपनी ने अपने कंप्यूटर और कर्मचारी रखकर ई रजिस्ट्री का कार्य शुरू किया लेकिन शर्त के तहत सॉफ्टवेयर को ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक बिना जांच ( गो लाइव ) के प्रारंभ कर दिया । यह गड़बड़झाला पिछली भाजपा सरकार के समय से ही शुरू कर दिया गया था ।
निविदा की शर्तों के तहत कंपनी को पहले 2 महीने के भीतर प्रदेश के 105 पंजीयक कार्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर सहित सेटअप बिठाकर और सारी गड़बड़ी दूर कर प्रदेश सरकार से गो लाइव रिपोर्ट हासिल करना था उसके बाद ही इस कंपनी को ई रजिस्ट्री के कार्य के लिए अधिकृत किया जाना था । परंतु कांग्रेस की सरकार आने के बाद दिसंबर 2018 में प्रदेश भर में इस सॉफ्टवेयर से ही रजिस्ट्री का काम चालू कर दिया गया । इस समय कांग्रेसी सरकार अधिकारियों की नब्ज भी नहीं समझ पाई थी, अन्य विभागों की तरह राजस्व विभाग में भी भाजपा सरकार के समय के घाघ और भ्रष्टाचारी अधिकारियों ने हड़बड़ी में अपना एजेंडा लागू कर दिया । सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के क्षेत्र से जुड़े जानकारों के अनुसार ई रजिस्ट्री का ठेका प्राप्त करने वाले कंपनी आईटी सॉल्यूशन प्रदेश के पिछली सरकार के कुख्यात अधिकारी के नजदीकी का है ।
ऑडिट रिपोर्ट में सबसे खतरनाक खुलासा यह हुआ है कि प्रदेश में ई रजिस्ट्री बिना बायोमेट्रिक लिंक के की जा रही है । इस वजह से फर्जी रजिस्ट्री की संभावना बढ़ गई है । ऑनलाइन बायोमैट्रिक लिंक नहीं होने के कारण कोई व्यक्ति फर्जी आधार कार्ड और पैन कार्ड बनाकर किसी के नाम रजिस्ट्री करा सकता है । विशेषज्ञों के अनुसार पैन कार्ड और आधार कार्ड में अपना फोटो और नाम लगाकर रजिस्ट्री कराया जा सकता है । साथ ही इसी कारण से यह काली कमाई वालों के लिए भी काफी फायदेमंद होगा क्योंकि ऑनलाइन लिंक ना होने के कारण रजिस्टर्ड संपत्ति आयकर विभाग के जानकारी में नहीं आ पाएगा । इसके अलावा ऑडिट रिपोर्ट में पता चला है कि ई रजिस्ट्री करने वाले सॉफ्टवेयर में 46 खामियां हैं । रिपोर्ट में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि बायोमेट्रिक लिंक नहीं होने की वजह से ई रजिस्ट्री में आसानी से सेंधमारी की जा सकती है।
प्रदेश भर में हो रही रजिस्ट्री की ऑडिट रिपोर्ट महा निरीक्षक को सौंपी गई है इसमें यह बताया गया है कि 12 पन्नों की रजिस्ट्री में 46 गड़बड़ियां की गई है । हालांकि सच तो यह है कि 12 पन्नों में होने वाली है रजिस्ट्री अब 25 पन्नों की कर दी गई है और प्रति व्यक्ति ₹60 की दर से एक रजिस्ट्री का पंद्रह सौ रुपये वसूल किया जा रहा है । जबकि 25 पन्नों का स्कैन का खर्चा 10 या ₹12 से ज्यादा नहीं पड़ेगा और यह भी वसूली उस सॉफ्टवेयर के लिए किया जा रहा है जो किसी मानक पर प्रमाणित नहीं है । रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कंपनी ने किसी भी नियम और शर्त का पालन नहीं किया है ।
सर छत्तीसगढ़ सरकार को ब्लैकमेल पर उतारू कंपनी
कुछ महीने पहले राजस्व विभाग पंजीयन महानिरीक्षक जब कार्तिकेय गोयल हुआ करते थे, तो उन्होंने कंपनी के कार्यों में अनियमितता और गड़बड़ी की शिकायत की वजह से 7 माह के करोडो रूपयों के भुगतान पर रोक लगा दिया था । तब अचानक कंपनी ने पूरे प्रदेश में ई रजिस्ट्री का कार्य ठप कर सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना लगाया था, अंततः मजबूर होकर सरकार को ई रजिस्ट्री के काम में तमाम गड़बड़ियों के बावजूद मार्स टेलीकॉम और आईटी सलूशन के काम को जारी रखना पड़ा था ।
एक अक्टूबर 2019 को महानिरीक्षक पंजीयन धर्मेश साहू ने छत्तीसगढ़ शासन वाणिज्य कर विभाग को ई पंजीयन के लिए नियुक्त सेवा प्रदाता कंपनी मार्स टेलीकॉम लिमिटेड और आईटी सलूशन की विभिन्न अनियमितताओं और लंबित कार्यों को पूरा करने में कोई विशेष रूचि नहीं लेने की जानकारी देते हुए स्पष्ट रूप से उनकी निविदा पेनाल्टी क्लास के तहत टर्मिनेशन की कार्यवाही किए जाने की अनुशंसा की थी । इसके पहले भी कई बार इन सेवा प्रदाता कंपनियों को नोटिस जारी कर उनके द्वारा सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी को सुधार करने और अपूर्ण कार्य को पूर्ण करने लिखित में जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था मगर आज की तिथि तक इन दोनों कंपनियों के जावाबदार अधिकारियों ने इस संबंध में विभागीय बैठक में ना तो उपस्थित होना उचित समझा और ना कोई जवाब दिया ।
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वर्तमान में पदस्थ सचिव पर पिछली सरकार के समय अदानी को 3000 करोड़ का फायदा पहुंचाने का लगा था आरोप
ज्ञात हो कि वर्तमान में पदस्थ राजस्व विभाग के सचिव सुबोध सिंह पर आरोप है कि पिछली सरकार के समय राज्य के प्रमुख कोल माफिया कारपोरेट अदानी को सरकार और यहां की जनता का हित प्रभावित करते हुए 3000 करोड़ रूपया का राजस्व नुकसान कर फायदा पहुंचाया गया था । तब सुबोध सिंह ने अडानी की कंपनी को कोयला परिवहन और उत्खनन पर प्रति टन पर लगने वाला राजस्व शुल्क को बदल कर रॉयल्टी के हिसाब से कर दिया गया था, इससे सरकार को लगभग 3000 करोड रुपए का नुकसान हुआ । प्रदेश के कई जन संगठनों ने तब इसका जमकर विरोध किया था खुद कांग्रेसी भी इस मोर्चे पर विरोध में थी , मगर आश्चर्य है की इसी सुबोध सिंह को पुणे राजस्व विभाग का मुख्य सचिव बना दिया गया । ऑडिट रिपोर्ट में पूरी तरह से इन सेवा प्रदाता कंपनियों की गलतियां निकलने, व तमाम प्रकार के जांच में अनेक प्रकार की अनियमितता बरतने, निर्देश के बावजूद अनेक कार्यों को अपूर्ण रखने के बावजूद ई रजिस्ट्री के लिए इन सेवा प्रदाता कंपनियों की सेवा लगातार जारी रखना सन्देह प्रकट करती है ।
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एनआईसी के साफ्टवेयर से होगा पांच गुना खर्च कटौती
पर छतीसगढ़ सरकार नही ले रही रुचि , लूट को छूट
एनआईसी पुणे के माध्यम से एनजीडीआरएस स्कीम के तहत सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है इस परियोजना के तहत सॉफ्टवेयर तैयार कर विभिन्न राज्यों में प्रचलित प्रावधानों के तहत कस्टमाइज किया गया है । अब तक यह सॉफ्टवेयर पंजाब, झारखंड , गोवा , अंडमान निकोबार ,मणिपुर , मिजोरम और हिमाचल प्रदेश का सफलतापूर्वक कार्य कर रहा है । ज्ञात हो कि एनआईसी ने छत्तीसगढ़ के प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया है एनआईसी के सॉफ्टवेयर के क्रियान्वयन से खर्च में पांच गुना कटौती होगी, पंजीयन प्रक्रिया सरली कृत होगा और पंजीयन में लगने वाले समय में भी कमी आएगा । इस सॉफ्टवेयर से भू अभिलेख, आधार, ई स्टांपिंग, आयकर, ई चालान व बैंकिंग प्रणाली से जुड़े होने के कारण विभिन्न व्यवहारिक सहूलियतें होगी तथा अनेक प्रकार के वित्तीय अनियमितताओं पर रोक लगेगी । इन सभी बातों को लेकर विभाग ने राज्य के राजस्व सचिव को कई बार इस संबंध में पत्र भी लिखा है पर आश्चर्य है की भाजपा सरकार के समय जारी जनता की जेब से करोड़ों रुपयों की अवैध वसूली का यह खेल अभी निरंतर जारी है ।
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ऑडिट रिपोर्ट में पाई गई खामियां और शर्तों का उल्लंघन
● अंगूठा का निशान जीपीजी फॉरमैट में सेव किया जा रहजो बायोमेट्रिक नियम के अनुसार सही नहीं है । इसमें कभी भी हेरफेर संभव है ।
● सॉफ्टवेयर बिना गो लाइव सर्टिफिकेट के संचालित किया जा रहा है । जबकि 2 महीने के भीतर से इसे हा
● हर रजिस्ट्री की जानकारी एलईडी बोर्ड पर नहीं दिखाया जा रहा है ।
● ऑनलाइन गेट भी नहीं होने के कारण ई पेमेंट की सुविधा नहीं।
● प्रतिदिन का डाटा महानिरीक्षक उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है
● लूट के लिए ही रजिस्ट्री के पेज 12 से बढ़ाकर 25 कर दिए गए प्रति पेज ₹60 की दर से अब देने पड़ रहे हैं 15 सो रुपए प्रति रजिस्ट्री
● कंपनी के किसी भी कर्मचारी को सॉफ्टवेयर के बारे में कोई अतिरिक्त या विशेष प्रशिक्षण नहीं
सेवा बर्खास्त करने के बजाय, अगले पांच साल जनता को लूटने की खुली छूट देने की तैयारी, कार्यवाही में टाल-मटोल
निविदा की शर्तों के अनुसार सेवा प्रदाता कंपनी को प्रदेश के सभी 105 पंजीयन कार्यालय में सालभर के भीतर अपना सेटअप बिठाकर गड़बड़ी और अनियमितता ठीक करने के बाद , केवल 2 माह का समय दिया जाना था । इस दो माह में सॉफ्टवेयर को ठीक से चला कर दिखाना था जिसके बाद इसे पंजीयन विभाग द्वारा गो लाइव सर्टिफिकेट प्राप्त करना था । पर अब 2 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है ऑडिट में साफ्टवेयर की 46 से ज्यादा गलतियां निकल चुकी है , सैकड़ों कार्य पेंडिंग में है । पर अभी भी इन कंपनियों को प्रदेश के राजस्व विभाग द्वारा मौके पर मौका दिया जा रहा है अभी तक उसे गो लाइव सर्टिफिकेट के लिए बाध्य नहीं किया गया । ध्यान रहे कि इन तमाम गड़बड़ियों के बाद भी उसे चोरी छिपे पीछे दरवाजे से गो लाईव सर्टिफिकेट देने की कोशिश की जा रही है । एक बार अगर इन्हें गो लाइव सर्टिफिकेट प्राप्त हो जाता है तो उसके बाद निविदा की शर्तों के अनुसार इन्हें अगले 5 साल तक काम करने से रोका नहीं जा सकेगा । जबकि मार्स और आईटी साल्यूशन को पब्लिक की जेब से लूट कर दिए जा रहे कुल लागत से पांच से भी कम गुना लागत में एनआईसी काम करने को तैयार है पर सरकार अभी तक इन निजी कंपनियों के भरोसे संदेहास्पद रूप से खड़ी है । सरकार अब तक इन कंपनियों को जनता की जेब से निकालकर 50 करोड़ से ज्यादा की रकम सौंप चुकी है ।