अंततः गांधीवादी जिद के सामने नतमस्तक हुई सरकार और जेल से रिहाई की मांग को लेकर आंदोलन की मिली अनुमति
अब से कुछ ही देर बाद नकुलनार में होगा शांतिपूर्ण आंदोलन
जेल में बंद हजारों निर्दोष आदिवासियों की रिहाई की मांग को लेकर लाठी डंडे खाकर भी सप्ताह भर से डटे हुए हैं आदिवासी
दंतेवाड़ा । जेल में बंद हजारों निर्दोष आदिवासियों की रिहाई के लिए पिछले सप्ताह से दंतेवाड़ा जिले के पालनार गांव के बाजार सेड में डटे हजारों आदिवासियों को प्रशासन ने एक दिन के आंदोलन की अनुमति अंततः दे दी है, अतः आज सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक बस्तर के विभिन्न क्षेत्रों से आए आदिवासी नकुलनार के खेल मैदान में शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर सकेंगे ।
ज्ञात हो कि इस आंदोलन में शामिल होने आए आदिवासियों पर पुलिस ने बिना कारण लाठी भी चलाए थे और सभा का नेतृत्व करने आ रही आदिवासी नेत्री सोनी सोनी को घर से ही गिरफ्तार कर लिया था । अपने घरों से दाल चावल लेकर आए इन आदिवासी काफी दिक्कत और परेशानियों के बाद भी मोर्चे पर डटे रहे । अंततः उनके गांधीवादी जिद के आगे प्रशासन को मजबूर होकर उन्हें एक दिन के आंदोलन की अनुमति देनी पड़ी । हालांकि पुलिस के आला अधिकारी आदिवासियों की इस आंदोलन को माओवादी प्रेरित बताते रहे हैं ।
ज्ञात हो ज्ञात हो कि इसके पहले 5000 से अधिक आदिवासियों ने किरंदुल और बैलाडीला की पहाड़ियों के पीछे के किसी गांव में दंतेवाड़ा विधानसभा उप चुनाव के समय भी इसी मुद्दे को लेकर एक बड़ी रैली निकाली थी और सभा भी किया था । आदिवासियों की मांग है की कांग्रेसी चुनाव से पहले किए गए अपने इस वादे को पूरा करें कि जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों को छोड़ा जाएगा ।
आप नेता सोनी सोरी और भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी के नेता मनीष कुंजाम और कई अन्य नेता आदिवासियों के निवेदन पर उनके आंदोलन का नेतृत्व करने पहुंचे हुए हैं । इन नेताओं का कहना है कि कांग्रेस की सरकार ने जेल में बंद हजारों निर्दोष आदिवासियों को छोड़ने के लिए अभी तक कोई कारगर पहल नहीं की है बल्कि उल्टे नौ माह के दौरान ही सैकड़ों और आदिवासियों को फर्जी मामलों में मचा कर जेल भेज दिया गया है ।