खुद की खबर छप नहीं सकती…
धनंजय सिंह @ देहरादून
उत्तरांचल प्रेस क्लब की कैंटीन को स्थाई रूप से शक्तिशाली मंत्री के इशारे पर एक ‘पत्रकार’ को समर्पित कर देने का खेल चल रहा था,विकास प्राधिकरण को निर्देश भी दे दिए गए थे,कागजी कार्यवाई अंतिम दौर में थी……… प्रेस क्लब में हडकंप मचा,लोग सक्रिय हुए जिनमें तमाम अखबारों से जुड़े वास्तविक पत्रकार और फील्ड के वरिष्ठ लोग थे. विरोध प्रदर्शन हुआ,मंत्री और सरकार की ईंट से ईंट बजा देने का संकल्प हुआ.सोनिया गाँधी से भी उस मंत्री की शिकायत करने की बात हुई…….पुतला दहन हुआ..सीएम को हस्तक्षेप करना पड़ा और क्लब की संपत्ति खुर्द-बुर्द करने की प्रक्रिया रोकी गयी…मतलब अपनी जमीन बचा लेने में फिलहाल सफलता मिल गयी है……….. खबर यह है की पत्रकारों से जुड़ी हुई इतनी बड़ी खबर अखबार में छप न सकी(दो अखबार देख चुका हूँ अभी तक),इस लाचारी को वो लोग नहीं समझ सकते जो केवल पत्रकारों की निंदा करना ही जानते हैं.एक मित्र की टिप्पणी सही थी की हम मालिक या संपादक नहीं हैं ।