ग्यारह साल बाद शुरू हुआ था टेकमेटला में स्कूल, तीन साल से कागजों में हो रहा है संचालन

शिक्षक नदारद, बच्चों की पढ़ाई छूट गई, मध्यान्ह् भोजन भी बंद

गणेश मिश्रा की रिपोर्ट

बीजापुर। उसूर ब्लाक के टेकमेटला गांव में तीन वर्षों से प्राईमरी स्कूल कागजों में चल रहा है। यह मामला तब प्रकाश में आया जब पत्रकारों की टीम ग्रामीणों के बुलावे पर टेकमेटला गांव पहुंची थी।

     बासागुड़ा स्टेट हाईवे से लगभग पंद्रह किमी दूर बसा पोलमपल्ली ग्राम पंचायत का आश्रित गांव टेकमेटला में प्राईमरी स्कूल का संचालन झोपड़ी में किया जा रहा है और यह झोपड़ी भी पंचायत से आर्थिक सहयोग मिलने के बाद ग्रामीणों ने श्रमदान कर तैयार किया है। स्कूल में कुल 18 बच्चे दर्ज है और बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक जवा रामसन की नियुक्ति है, शिक्षक के अलावा मध्यान्ह भोजन के लिए गांव के ही युवक समैया इरपा की नियुक्ति है ।  बावजूद गत तीन वषों से स्कूल का संचालन कागजों में किया जा रहा है। 

         दरअसल ग्रामीणों की शिकायत हैं कि पदस्थ शिक्षक जवा रामसन स्कूल नहीं आते हैं। विगत तीन वर्षों में शिक्षक तीस दिन भी स्कूल नहीं आए। जिससे स्कूल बंद पड़ा हुआ है। शिक्षक के नहीं आने पर बच्चों ने भी स्कूल जाना छोड़ दिया। इस तरह मध्यान्ह् भोजन का संचालन भी बंद हो गया। जो बच्चे दर्ज है वे स्कूल जाने के बजाए कुछ घुमंतु बन गए हैं तो कुछ मवेशी चराते फिरते हैं। 

           गांव के पटेल शंकर गटपल्ली की मानें तो स्कूल के नियमित संचालन के लिए कई दफा शिक्षक जवा रामसन से संपर्क किया गया, बावजूद स्कूल नहीं आए। पटेल का कहना है कि गांव के लोग शिक्षा के प्रति जागरूक है। बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं, काबिल बनाना चाहते हैं, लेकिन शिक्षक के गैरजिम्मेदाराना रवैये से ना सिर्फ बच्चों की पढ़ाई चौपट हो रही है बल्कि भविष्य गर्त में जा रहा है। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि शिक्षक की शिकायत को लेकर कई दफा जिम्मेदार अफसरों से भी संपर्क का प्रयास किया गया फिर भी बच्चों की पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई। 

*शिक्षक को आवास देने भी तैयारः*-

      बच्चों की पढ़ाई प्रभावित ना हो और स्कूल का संचालन नियमित रहें, इसलिए ग्रामीण शिक्षक के लिए निःषुल्क आवास सुविधा देने भी तत्पर है। पटेल शंकर गटपल्ली व अन्य ग्रामीणों की मानें तो उन्होंने षिक्षक से संपर्क कर उनके रहने का बदोबस्त करने का भरोसा गांव वालों की तरफ से दिया था, बावजूद स्कूल आने के वह मनमानी पर उतारू है।

मिड डे मिल भी बंदः-

*शिक्षक के लगातार नदारद रहने से जहां बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया, वही राशन की व्यवस्था ना हो पाने से मध्यान्ह् भोजन पकना भी बंद हो गया। रसोईया समैया इरपा के मुताबिक मिड डे मिल के लिए प्रदत्त राशि भी गुरूजी अपने पास जमा रखते हैं। पैसे नहीं मिलने से दाल, चावल, सब्जी समेत जरूरी राशन भी दुकानदान ने उधार पर देने से मना कर रखा है।*

ग्यारह साल बाद खुला था स्कूलः-

    2005 में सलवा जुडूम के शुरुवात में ही नक्सलियों ने बीजापुर जिले में नक्सली उत्पात के चलते जिले में कई स्कूल बंद हो गए थे। टेकमेटला का प्राईमरी स्कूल भी इनमें शामिल था। उस दौरान टेकमेटला गांव भी वीरान हो गया था। नक्सली भय से ग्रामीण गांव से पलायन कर शिविर में पनाह लेने मजबूर हुए थे। कुछ सालों बाद ग्रामीणों के वापस लौटने के बाद स्कूल दोबारा शुरू करने का फैसला किया। 2016 में पंचायत सचिव के सहयोग से एस्बेस्टस सीट खरीदकर छत तैयार कर स्कूल को पुनः शुरू किया गया था, लेकिन शिक्षक की लापरवाही के चलते धीरे-धीरे बच्चों की पढ़ाई ही छूट गई। गांव के एक मोहल्ले में झुपड़ीनुमा स्कूल अब भी मौजूद है, लेकिन अब घंटी की टन-टन सुनाई नहीं पड़ती। 


   जांच के बाद होगी कार्रवाईः-*.  इस मामले में बीआरसी ने बताया कि टेकमेटला में स्कूल तीन साल से संचालित है, लेकिन शिक्षक के स्कूल नहीं जाने की शिकायत पहले नहीं मिली थी। चूंकि मामला अब उनके संज्ञान में हैं, इसलिए जांच अवश्य होगी। अगर शिकायत सही पाई जाती है तो शिक्षक पर कार्रवाई जरूर होगी।

गणेश मिश्रा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!