नारायणपुर में फिर से सांप्रदायिकता व अराजकता फैलाने की कोशिश
*फूलसिंह कचलाम*
नारायणपुर जिले में धर्म की लड़ाई थम नही रही है , पिछले साल भातपाल से ही 20 अक्टूबर 2023 से ईसाई धर्म पर विश्वास करने वाले परिवार के मृत शरीर को दफन को लेकर बवाल हो गया था, बाद में इसका बड़ा विरोध होकर नारायणपुर जिले में दंगा होने लगा। तब माना जा रहा था कि यह सब चुनावी माहौल के कारण राजनीतिक फायदा उठाने के लिए किया जा रहा है । पर अब पुनः इस माह की 14 जुलाई को लहारू सलाम पिता नोहरू सलाम 70 वर्षीय बुजुर्ग पुरुष की अपनी ही जमीन में दफन की गई लाश निकलने की कोशिश को लेकर बवाल हो गया है । पता चला है कि जन जाति सुरक्षा मंच के सदस्यों द्वारा दफनाया हुआ लाश को निकलने का प्रयास किया गया ।
इस संबंध एक संविधान विशेषज्ञ ने नाम नही बताए जाने की शर्त पर बताया कि संविधान प्रदत मूल अधिकारों का हनन किया जा रहा है । जबकि सविधान कहता है, राज्य ऐसी कोई विधि नहीं बनाएगा जो इस भाग द्वारा प्रदत अधिकारों को छिनती है(मूल अधिकार ) या इसका न्यून करती है और इस खंड के उल्लंघन में बनाई गई प्रत्येक विधि उल्लंघन की मात्रा में शून्य होगी, अनुच्छेद 13(३) रूढ़ी परंपरा भी शून्य होगी लिखा है इस अनुच्छेद में जब तक कि संदर्भ में अन्यथा अभिषेक ना हो । विधि के अंतर्गत भारत के राज्य क्षेत्र में विधि का बल रखने वाला कोई अध्यादेश आदेश अप विधि नियम विधि विनिमय अधिसूचना रुदिया प्रथम इसके साथ-साथ यह भी लिखा है अनुच्छेद 13(२) का तीन चार में इस अनुच्छेद को कोई बात अनुच्छेद में 368 का दिन किए गए संविधान के किसी संशोधन को लागू नहीं होगा ।
इसके बाद भी स्थानीय प्रशासन की अकर्मण्यता वह एक पक्षीय रवैया के कारण संविधान का पालन नहीं हो पा रहा है और संविधान के मूल अधिकारों का हनन किया जा रहा है स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 19 के अनुसार मूल अधिकारों के प्रयोग पर साधारण जनता के हितों में या किसी अनुसूचित जन जाति हितों की संरक्षण के लिए युक्ति युक्त निबंधन जहां तक कोई विद्यमान विधि आरोपित करती है वहां तक उसके परिवर्तन पर प्रभाव नहीं डालेगी वैसे निबंधन आदि आरोपित करने वाली कोई विधि बनाने से राज्य को निर्वासित नहीं करेगी ऐसा इसमें संविधान में उल्लेख है इसके साथ-साथ संविधान में मूल अधिकार धर्म की स्वतंत्रता का 25 (१) (२) क,ख का घोर उलंगल किया जा रहा है किया जा रहा है , जिला प्रशासन सविधान का पालन करवाने में समर्थ नहीं हो रहा है जिससे भविष्य में बड़ी घटना को निमंत्र दिया जा रहा है पिछले साल में भी शासन द्वारा अनदेखी किया गया था।
ज्ञात हो कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के पूर्व इसी मुद्दे पर आदिवासी अंचलों में दो पक्षों के बीच काफी तनाव बना हुआ था और कई गांव में दफन हुई लाश को उखाड़ने और दफन करने के विरोध को लेकर हिंसा की घटना हुई थी । इस मुद्दे पर नारायणपुर में एक बड़ा बवाल हुआ था जिसमें तत्कालीन पुलिस अधीक्षक पर भी उपद्रवियों ने हमला किया था, जिसमें वह घायल हो गए थे ।