मानव तस्करी के लिए दो गांव के 12 बच्चों को कमरे में किया था बंद, लोगों ने बचाया
कांकेर (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के कोयलीबेडा ब्लॉक में मानव तस्करी का मामला सामने आया है। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कोयलीबेडा के एक मकान से 12 बच्चों को बरामद किया और उन्हें पुलिस को सौंपा दिया। पुलिस ने जिस युवक के घर से बच्चे मिले हैं उसे गिरफ्तार कर लिया है। वहीं इस मामले में दो आरोपी अनिमेश चौधरी और संजय हालदार फरार हैं।
मानव तस्करों को पकड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सहदेव उसेंडी बताते हैं ”दो दिन से मुझे जानकारी मिल रही थी कि गांव में अज्ञात लोग घूम रहे हैं और लड़के-लड़कियों को मोटर साइकिल पर बैठाकर कहीं ले जा रहे हैं। मैनें जानकारी जुटाई तो पता चला कोयलीबेडा के एक मकान में इन बच्चों को गांव से लाकर रख रहे हैं। मैंने अपने साथियों को और पुलिस को इस बारे में बताया, फिर हमने बच्चों को मुक्त करा लिया। बता दें कि कोयलीबेडा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित क्षेत्र में भी आता है।
कोयलीबेडा के मकान से बचाए गए 12 बच्चों में से 8 लड़कियां हैं और 4 लड़के हैं, इनमें से 7 नाबालिग हैं। जानकारी के मुताबिक, कोयलीबेडा थाने के गांव कागबरस व गट्टाकाल से शनिवार शाम से लड़के लड़कियां गायब होने शुरू हो गए थे। रविवार दोपहर तक इन दोनों गांव से कुल 12 बच्चे गायब हो चुके थे। इस बात की जानकारी से गांव में हड़कंप मच गया।
इसके बाद ग्रामीणों ने अपने स्तर पर पड़ताल शुरू की। मामला इलाके के जनप्रतिनिधियों तक पहुंचा। जानकारी हुई कि कागबरस व गट्टाकाल से लापता हुए बच्चों को कोयलीबेडा के मोबाइल दुकान के पीछे एक मकान में बंद कर रखा गया है। इसके बाद सामाजिक कार्यकता और बच्चों के माता पिता उस घर पर पहुंचे और बच्चों को वहां से छुड़ा लिया। मकान मालिक मिथुन चौधरी भी वहां मौजूद था, जिसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया गया।
पूछताछ में यह बात सामने आई कि बच्चों को अनिमेश चौधरी और संजय हालदार द्वारा मकान में लाया गया था। यहां से उन्हें जिले व राज्य से बाहर भेजने की तैयारी थी। फिलहाल दोनों आरोपी फरार हैं। पुलिस मकान मालिका मिथुन चौधरी से पूछताछ कर रही है। आदिवासी समाज के नेता सहदेव उसेंडी, केसोकोड़ी सरपंच पीलूराम उसेंडी, पूर्व जनपद सदस्य सोनसाय दुग्गा ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
बताया जा रहा कि अंचल के गांवों में नाबालिग बच्चों की मानव तस्करी की जाती है। आदिवासी परिवार की नाबालिग बच्चियों को बाहर भेजा जाता है। इससे पहले क्षेत्र से गायब नाबालिग बच्चों का अभी तक सुराग नहीं मिला है। कोयलीबेडा थाना प्रभारी उमेश पाटिल ने बताया कि पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धारा 363, 374, 34 आईपीसी के तहत अपराध दर्ज कर लिया है।
आदिवासी इलाकों में अशिक्षा, रोजगार के कम अवसर और मूलभूत सुविधाओं के अभाव में यहां मानव तस्करी से जुड़े दलाल सक्रिय हो गए हैं। यह अपने चंगुल में नाबालिग बच्चों और युवक युवतियों को फंसाते हैं और फिर उन्हें दूसरे शहरों में भेज देते हैं, जहां इनके शोषण जैसी घटनाएं होती हैं। बस्तर में ही समय-समय पर मनाव तस्करी के मामले लगातार सामने आते रहते है।