कोयला खनन का अनुबंध एक समय कांग्रेस को करोड़ो का घोटाला नजर आता था, जैसे ही सत्ता में आये उसे बचाने में लग गए
राफेल की कीमत सार्वजनिक होनी चाहिए लेकिन कोयला खनन की कीमत सार्वजनिक नही होनी चाहिए : कांग्रेस
आलोक शुक्ला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मित्र गौतम अडानी की परियोजनाओं के लिए तमाम नियमों कानूनों की धज्जियां तो पहले ही उड़ाई जाती रही हैं लेकिन जब देश की सर्वोच्च न्याय संस्था सुप्रीम कोर्ट ही किसी कारपोरेट के हितों को साधने लगे तो सच मे यह मानिए कि स्थिति गंभीर हैं।
ऐसी परिस्थितियों में बैलाडीला, हसदेव, गोड्डा झारखंड के उन आदिवासी समुदाय की अपने जंगल -जमीन, गांव को बचाने के संघर्षो का क्या होगा जब पूरा तंत्र ही कारपोरेट के साथ खड़ा हो जाये ।
आज पूरा देश कश्मीर से धारा 370 के समाप्त होने पर गर्व की अनुभूति कर रहा हैं ठीक उसी समय एक सुनियोजित कारपोरेट लूट को अंजाम देने रास्ते तैयार किये जा रहे हैं । सार्वजनिक उपक्रमो को कौड़ियों के दाम निजी समूहों को सौपने की पूरी तैयारी है। और देश के मुखिया ने तो इन धनाढ्य वर्गों को सम्मान से देखने की नसीहत भी दे डाली अर्थात इन कारपोरेटों ने पूरी ईमानदारी से विशाल साम्राज्य खड़े किए हैं इनके खिलाफ किसी को बोलना नही चाहिए। मोदी की इसी मंशा अनुरूप केंद्र सरकार के सारे मंत्रालय उन समस्त अड़चनों को समाप्त करने में लगे है जो इनकी आर्थिक वृद्धि में रुकावट पैदा करते हैं।
सच मे काफी बदलाव आ गया । एक समय जब यह रिपोर्ट आई थी कि देश के 70 करोड़ लोग 20 रुपये दिन पर गुजारा करते हैं तो बड़ी बड़ी बहसें हो रही थी लेकिन आज उन बातों का कोई मतलब नही हैं। हाल ही में जारी ऑक्सफैम की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017 निर्मित में देश का 73 प्रतिशत धन 1 प्रतिशत लोगों के हाथों में गया । अर्थात 99 प्रतिशत के हाथ मे 27 प्रतिशत धन । आय की इस असमानता में आज कोई चर्चा नही करना चाहता हैं। बल्कि लोग गर्व महसूस कर रहे हैं कि 1 प्रतिशत और अमीर हो गया ।
दल असल यही तो विकास का असली नया मॉडल हैं। इसी मॉडल के अनुरूप इस अमिरियत को बरकरार रखने सभी तंत्रो को अपनी भूमिका निभानी ही चाहिए और निभा भी रहे हैं चाहे वह कार्यपालिका हो या न्यायपालिका। अब छत्तीसगढ़ का ही उदहारण देख लो कोयला खनन का अनुबंध mdo एक समय करोड़ो का घोटाला कांग्रेस को नजर आता था जैसे ही सत्ता में आये उसे बचाने में लग गए । राफेल की कीमत सार्वजनिक होनी चाहिए लेकिन कोयला खनन की कीमत सार्वजनिक नही होनी चाहिए । यही सत्ता का चरित्र हैं।
( आलोक शुक्ला लंबे समय से जल जंगल जमीन बचाने के संघर्ष से सक्रिय रूप से जुड़े हैं, वे छत्तीसगढ़ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक हैं )