सोनबत्ती की पथराई आंखों में झांकती है पति कवाची के लौटने की उम्मीद
नारायणपुर (छत्तीसगढ़)। बस्तर का नाम आते ही सबसे पहले लोगों के जेहन में एक शब्द जो गूंजता है वह नक्सलवादी हिंसा है। दिमाग में दूसरी बात नक्सल उन्मूलन के नाम पर यहां चप्पे-चप्पे पर तैनात सुरक्षा बलों के जवान और उनकी छवि होती है। इसी से निकलता हुआ तीसरा पहलू भी है जो इन्हीं दोनों से मिलकर बना है। वे इन दोनों पाटों के बीच पिसते आदिवासियों के जिंदा किस्से हैं। जिन्हें बस्तर में हर कहीं सुना जा सकता है। ऐसी ही एक जिंदा कहानी पुलिस आरक्षक शोभिराम कवाची की है। बस्तर का एक जिला नारायणपुर है जो अबूझमाड़ की अबूझ पहेलियों के लिए जाना जाता है। ये किस्से सिर्फ किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं। उसका दायरा नक्सलवाद से लेकर इलाके की प्राकृतिक सुंदरता और उसकी सांकृतिक विरासत तक फैला हुआ है। अबूझमाड़ की इन्हीं वादियों में पुलिस का एक जवान पिछले एक साल से अबूझ पहेलियों की तरह गायब हो गया है।
पुलिस के महकमे तक को पता नहीं है कि आखिर उस जवान को जमीन खा गयी या आसमान निगल गया? कहते हैं जब कोई इंसान लापता हो जाता है तो उसे ढूंढने का काम पुलिस करती है। लेकिन पुलिस का जवान यहां हथियार सहित दिनदहाड़े गायब हो गया और आज तक पुलिस महकमा उसका कोई सुराग नहीं हासिल कर सका।
पुलिस का जवान शोभिराम कवाची छत्तीसगढ़ के बस्तर स्थित नारायणपुर जिले में पदस्थ था। वह पिछले एक साल से लापता है। पुलिस की दलील है कि गश्त के दौरान आरक्षक साथी जवान का हथियार छीन कर नक्सलियों के इलाके में भाग गया। शोभिराम कवाची कि पत्नी इन आरोपों को सिरे से खारिज कर देती हैं। उनका कहना है कि नक्सली आतंक और हमले का तो खुद उनका परिवार ही शिकार है। 2010-11 में नक्सली आंतक के चलते उनका परिवार खुद जान बचा कर अपने गृहग्राम गांव कोहकामेटा को छोड़ कर नारायणपुर आ गया था। इस बीच साल 2013 में उनके पति की नौकरी नारायणपुर पुलिस विभाग में लग गई। ऐसे में नक्सलियों के साथ उनके रिश्ते को जोड़ना किसी भी रूप में जायज नहीं कहा जा सकता है।
लापता आरक्षक कि पत्नी सोनबत्ती कवाची पूरी कहानी कुछ यूं बताती हैं। 19 अप्रैल 2018 को उनके पति कुछ परेशान लग रहे थे, घर से ड्यूटी पर निकलते समय जब पत्नी ने परेशानी का कारण पूछा तो शोभिराम ने कुछ बताने से इंकार कर दिया। उसी दिन पुलिस पार्टी रोड ओपनिंग के लिए जिला मुख्यालय से ओरछा की ओर जाने वाली थी जिसमें वह भी एक सदस्य के तौर पर शामिल थे। लेकिन शाम होते ही यह खबर आयी कि उनका पति सहयोगी जवान का रायफल छीन कर फायरिंग करते हुए जंगलों में भाग गया।
सोनबत्ती आगे बताती हैं कि मेरा पति नियमित रूप से नौकरी करता था। जिस दिन वह गश्त में गया उसको रायफल नहीं दी गयी थी। सहयोगी पुलिस कर्मियों ने बताया कि उसे बिना रायफल के नक्सली इलाके में गश्त के लिए ले जाया गया था। यह बात उसके एक सहयोगी पुलिसकर्मी ने बतायी थी जो उनके घर आया था और परिजनों की मदद के लिए 200 रुपये भी दिए थे। उसने कहा था कि शोभिराम पुलिस की रायफल छीनकर भाग गया था। शोभिराम कवाची की पत्नी कहती हैं मेरे पति को उसके साथी भगोड़ा, देशद्रोही कह रहे हैं। रायफल छीन कर नक्सलियों की तरफ भाग गया बोल रहे है? पत्नी का कहना है कि न मेरे पति देशद्रोही हैं और न भगोड़ा। वह तो अपने गांव वालों के लिए लड़े फिर दूसरे दिन दोबारा घर ही नहीं आए!
नक्सली गश्त से गायब हुए जवान के भाई इस पूरी घटना पर अपना पक्ष रखते हुए कहते हैं कि उसका भाई नक्सलियों से जान बचाकर साल 2013 में सहायक आरक्षक के रूप में भर्ती हुआ था। घटना के दिन कुछ पुलिसकर्मियों से गाली गलौच होने के बाद महकम के लोग उसे बिना किसी हथियार के ओरछा गश्त में ले गये थे। जहां उस पर अपने साथी का हथियार छीन कर फायरिंग करते हुए जंगल में भागने का आरोप लगा है। इस घटना के बाद उसको ढूंढने लिए पुलिस से मदद मांगी गयी लेकिन पुलिस ने कोई मदद नहीं की। लिहाजा थक हारकर उसने खुद ही अपने भाई की खोजबीन के लिए घटना स्थल व आसपास गांवों में जाकर ग्रामीणों से पूछताछ की और घटना के बारे में जानकारी हासिल करने कि कोशिश की। लापता आरक्षक के भाई सनकू कवाची बताते हैं कि पुलिस का पक्ष और उनकी निजी राय बिलकुल अलग हैं। भाई को अब इस बात की चिंता है कि कहीं उसके भाई के साथ किसी तरह की अनहोनी तो नहीं हो गयी। जिसके चलते लापता जवान के सहयोगी उस जवान का नाम तक नहीं बता रहे हैं जिसका उसने कथित तौर पर हथियार छीना था।
भाई का कहना है कि घटना के एक दिन पहले उनके गांव के दर्जनों ग्रामीणों को पुलिस उठा ले गयी थी। उनके भाई ने इसका विरोध किया था। इसी बात को लेकर पुलिस के अधिकारियों से उनकी नोक-झोंक हो गयी थी। फिर उसके दूसरे दिन ही बिना हथियार के उन्हें गस्त पर भेज दिया गया। और फिर हथियार लेकर भागने की घटना सामने आती है। पूरा घटनाक्रम ही कई तरह के संदेह पैदा करता है।
उनके परिवार और भाई को भी अब गवाछी के लौटने की उम्मीद बहुत कम हो गयी है। बावजूद इसके अभी उनका इंतजार बना हुआ है। इस घटना से बेसुध आरक्षक कि पत्नी सोनबत्ती ने अपने पति की तलाशी के लिए जब थाने में जाकर गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करानी चाही तो महकमे के अफसरों ने उसे दर्ज करने से मना कर दिया। पत्नी सोनबत्ती का कहना है कि समाज के मार्फत भी पुलिस कप्तान से अपने पति को खोजने के लिए गुहार लगाई। लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला।
मौजूदा समय में सोनबत्ती जिला मुख्यालय की नजूल जमीन पर बसे शान्ति नगर में तीन छोटे-छोटे मासूम बच्चों के साथ एक झोपड़ीनुमा मकान में गुजर-बसर कर रही हैं। आय का कोई दूसरा स्रोत न होने के चलते उन्हें मजदूरी के लिए उतरना पड़ा है। तीन मासूम बच्चों के बोझ और ऊपर से पति के गायब होने की घटना ने सोनबत्ती को अंदर से तोड़ दिया है। लेकिन उन्होंने अभी हौसला नहीं छोड़ा है। उनको उम्मीद है कि उनका पति एक दिन जरूर लौटेगा। और इसी आस और उम्मीद में वह अपने तीन बच्चों के साथ घर की गाड़ी खींच रही हैं। पति के लापता होने या भाग जाने के बाद नारायणपुर पुलिस ने मदद के नाम पर तिनका भी नहीं दिया। जब भी अच्छे पहनावे वाला कोई शख्स उनकी चौखट पर दस्तक देता है तो उनकी उम्मीदों का परवान हिलोरे मारने लगता है। लेकिन जब पति की कोई खबर नहीं मिलती वह उतने ही गहरे अवसाद में बदल जाती है। डेढ़ साल के इंतजार के बाद भी उन पथरायी आंखों को अपने पति को देखने की आस बाकी है। बच्चों को अपने पिता के साये का इंतजार है। पिता के बारे में पूछने पर जवाब की जगह मासूम आंखों से आंसू निकलता देखकर किसी का भी कलेजा फट जाएगा। लेकिन अगर किसी का नहीं फट रहा है तो वह पुलिस महकमा है।
वैसे मासूम बच्चों कि आंखों में पिता की तस्वीर अब धुंधली होने लगी है। कुछ यादों के बारे में पूछने पर उनका कहना है कि उनके पिता अच्छी पढ़ाई करने के लिए अक्सर कहा करते है। सोनबत्ती के पास भी पति की यादों के नाम पर सिर्फ एक पासपोर्ट फोटो और भारत सरकार से मिले पहचान पत्र के अलावा और कुछ नहीं है।
तकरीबन सवा साल से पुलिस के लिए भगोड़ा और परिजनों के लिए लापता जवान के मसले पर स्थानीय पुलिस अधिकारी कुछ भी कहने से मना कर देते हैं। वो मामले को पुराना बता कर अब इस पर बात करने से भी परहेज करते हैं। तत्कालीन नारायणपुर एसपी ने इस सम्बन्ध में पुराना मामला कहकर और अभी आने का हवाला देकर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। वहीं बस्तर रेंज के आईजी इस सवाल के जवाब में बस इतना कहते हैं कि लापता जवान की खोजबीन जारी है।
तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।