कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय यूजीसी के नियमों का उडा रहे है धज्जियां. एमफिल/ पीएचडी में गड़बड़ी…
हमेशा की तरह विवादों का गढ़ बना रहा है, पत्रकारिता विश्वविद्यालय
ब्रम्हा सोनकर
रायपुर:- छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित एकमात्र पत्रकारिता विश्वविद्यालय, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर कि हम बात करते है जो हरदम अपने कारनामों के चलते हमेशा सुर्खियों में रहता है. एक बार फिर चर्चा का विषय बना हुआ है. जहां पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पीएचडी में गड़बड़ी की शिकायते सामने आई है. जिसकों लेकर राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके और कुलपति से इसकी जांच की मांग की गई है. शिकायतकर्ता का आरोप है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशों की अवहेलना कर विश्वविद्यालय में शोधकार्य करवाया जा रहा है. यूजीसी के अनुसार शोधार्थी की पीएचडी कोर्स वर्क में उपस्थिति अनिवार्य है, जबकि पत्रकारिता विश्वविद्यालय द्वारा उपस्थिति व प्लैगेरिजम प्रमाणीकरण पीएचडी की डिग्री पीएचडी बांट दी गई.
आप को बता दे कि शिकायतकर्ता समाजसेवी, शहर जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता- ब्रम्हा सोनकर ने अपनी लिखित शिकायत में पत्रकारिता विवि में हो रही गड़बडिय़ों की ओर राजभवन का ध्यान आकर्षित कराया है. उन्होंने शिकायत में कहा है कि यूजीसी के एमफिल/ पीएचडी अधिनियम 2009 नियमानुसार कोई भी नियमित शोधार्थी अपने शोध कार्य के दौरान किसी अन्य संस्था चाहें वह सरकारी हो या गैर सरकारी का नियमित वेतन भोगी नहीं हो सकता, किन्तु विश्वविद्यालय के सत्र 2010 में पंजीकृत शोधार्थियों द्वारा यूजीसी के इस नियम को भी पूरी तरह अनदेखा किया गया. नियमित शोधकार्य के साथ उम्मीदवार प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों के मुख्य पदों में नियमित वेतनभोगी रहें हैं. जिसकी जानकारी शोध निर्देशक को भी रही, किन्तु उनके द्वारा शोधार्थियों को विशेष छुट प्रदान करते हुए पीएचडी अवार्ड करवा दी गईं.
इसी तरह यूजीसी के नियमों की अनदेखी का सिलसिला केवल पीएचडी तक नहीं रहा बल्कि विश्वविद्यालय में होने वाले एमफिल पाठ्यक्रम में भी अधिनियम 2009 की धज्जियां उड़ाई गई जिसमें नियमों को मजाक बनाते हुए सत्र- 2015-16 में एक साथ 30 छात्रों को एक एसोसिएट प्रोफेसर एवं एक सहायक प्रोफेसर द्वारा एमफिल कराई गई. शिकायतकर्ता का आरोप है कि वर्तमान में सत्र-2013 में पंजीकृत 06 शोधार्थियों को इन्हीं विसंगतियों के साथ पीएचडी अवार्ड करने की तैयारी की जा रही है.
उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व व वर्तमान में किए जा रहे शोध कार्यों एमफिल/पीएचडी में यूजीसी नियमों द्वारा प्रवेश में आरक्षण नियमों का पालन, कोर्स वर्क में उपस्थिति, कार्यरत उम्मीदवारों से अनापत्ति प्रमाणपत्र, प्लैगेरिजम से सम्बंधित प्रमाण पत्र, शोध डिग्रीयों के यूजीसी नियमानुसार जारी होने का प्रमाण पत्र, पंजीयन व पुनर पंजीयन में अनियमितता, शोध निदेशक के साथ 200 दिनों की उपस्थिति, छमाहि प्रगति प्रतिवेदन, शोध पत्र प्रकाशन जैसे नियमों की जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है.
ब्रम्हा सोनकर