सुकमा फर्जी मुठभेड़ को लेकर समाज सेवी ममता शर्मा की शिकायत पर मानव अधिकार आयोग में हुआ मामला दर्ज
बस्तर । सुकमा के गोडेलगुड़ा गांव में चार बच्चों की माँ की हार्डकोर नक्सली बताकर मार डाला गया था , तब “भूमकाल समाचार ” की रिपोर्ट को आधार बना कर रायपुर के प्रसिद्ध समाजसेवी ममता शर्मा ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को शिकायत की थी , जिस पर मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर लिया है ।
“पोडियाम सुखी अपने दो पड़ोसी महिलाओं के साथ रोज की तरह सुबह सुबह ही खाना बनाने के लिए लकड़ी लेने गयी थी । तीनो आपस में सुर मिलाकर धीरे धीरे ” रे रेला रेला रे ” के धुन में लोकगीत भी गन- गुना रहे थे कि अचानक बूटों की धमक सुनाई दी , इसके पहले कि वे सम्भलते और समझते अचानक तीस- चालीस जवान बिल्कुल उनके नजदीक आकर खड़े हो गए । उन्हें निशाना बनाकर जवानों ने बहुत पास से गोलियां चलानी शुरू कर दी । तीनो महिला चिल्लाती रह गयी कि उन्हें क्यों मार रहे हैं पर पोडियाम सुखी को कई गोलियां लग चुकी थी , वह गिर कर तड़पने लगी थी । कलमों को भी जांघ में गोली लग चुकी थी , वह भी जांघ पकड़ कर बैठ गयी थी । जबकि अपने सिर के ऊपर बालों को छूती हुई निकली गोली ने सोमडी को सन्न कर दिया था ।”
यह किसी कहानी का हिस्सा नही , बल्कि बस्तर में अक्सर घटने वाली घटनाओं की तरह पिछले फरवरी माह की 2 तारीख को घटी सच्ची घटना का अंश है । तब छत्तीसगढ़ में फर्जी मुठभेड़ रोकने का वादा करने वाली नई सरकार को शपथ लिए एक माह हो चुके थे । सुकमा जिले के दोरनापाल से 35 किमी दूर गोलीगुड़ा गांव की कलमों और सुकड़ी ने बताया कि वे गांव से जंगल की ओर दो सौ मीटर भी दूर नही थे । यह उनके रोज के दिनचर्या का हिस्सा था ।
सुबह 8 बजे ही वे बंदूकों के साथ धमक आये और हमारे बताने पर भी कि इसी गांव के हैं और लकड़ी लेने आये हैं , उन्होंने बिल्कुल पास से गोली चला दी । कलमों का कहना है कि उसकी जांघ में गोली लगी और वह गिर गयी । बेहोंश होने से पहले उसने देखा कि सुखी तड़प रही है । फिर मेरी आँखें अस्पताल में खुली । सुकड़ी का कहना है कि उसकी ऊंचाई कम होने की वजह से गोली सर से पार हो गयी पर वह तड़पती हुई सुखी को देख सन्न थी । फिर उसने जोर जोर से चिल्लाना शुरू किया । कुछ ग्रामीण महिलाएं हिम्मत कर पास पहुंची तो देखा कि फोर्स के जवान तड़पती हुई सुखी को अपने साथ लाये वर्दी पहनाने की कोशिश कर रहे हैं । तब इन्होंने चिल्ला चिल्ला कर विरोध करना शुरू किया तो उन्होंने वर्दी पहनाना छोड़ जीवित स्थिति में ही सुखी को पॉलीथिन में लपेटने लगे । विरोध करने पर ग्रामीण महिलाओं को उन्होंने बन्दूक दिखाकर डराया । इस ग्राम के अनेक ग्रामीणों ने घटना के वक्त नक्सलियों की उपस्थिति को साफ इंकार करते हुए इस घटना को जान बूझकर फोर्स द्वारा अपना डर और दहशत बनाये रखने के लिए फर्जी मुठभेड़ बताया । यह पूरा खबर यहां है ।
यह मामला छत्तीसगढ़ के नव निर्वाचित सरकार के पहले विधान सभा मे भी मुद्दा बना था । विधायक शिवरतन शर्मा ने सुकमा में फर्जी मुठभेड़ का मामला विधानसभा में उठाया था। यह मामला बीजेपी विधायक शर्मा ने शून्यकाल के दौरान उठाया। उन्होंने कहा कि सुकमा में चार बच्चों की मां को नक्सल बताकर मार दिया गया।
सरकार के मंत्री कवासी लखमा ने ही इसे फर्जी मुठभेड़ बताकर मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी थी । तब सरकार ने तुरन्त 5 लाख का मुआवजा घोषित कर दिया था ।
समाज सेवी ममता शर्मा ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा इस मामले को पंजीबद्ध करने की जानकारी देते हुए आशा जाहिर की कि निष्पक्ष जांच होने पर दोषियों को सजा मिलेगी ।
इस मामले को सड़क से लेकर हर मंच तक लाने वाली समाजसेवी सोनी सोढ़ी ने बताया कि वे मानव अधिकार की जांच टीम को इस मामले के सभी चश्मदीद से मिलवायेगी व सभी साक्ष्य उपलब्ध कराने में सहयोग करेगी ।