पत्रकारों से दुर्व्यवहार सीआरपीएफ की खबरों का बहिष्कार
दंतेवाड़ा वह जिला है जहाँ के पत्रकारों की निष्पक्ष ख़बरों की देश दुनिया में मिसालें दी जाती हैं । जहाँ के पत्रकारों ने तमाम आलोचनाओं के बावजूद ख़बरों की निष्पक्षता को अब तक बनाये रखा है । इस कारण यहाँ के पत्रकारों को लगातार धमकी एवं दुर्व्यवहार का भी कई मौकों पर सामना करना पड़ा है । जिसका दंतेवाड़ा के पत्रकारों ने हमेशा विरोध किया ।
हाल ही में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की 195 बटालियन बारसूर क्षेत्र में अधिकारियों द्वारा पत्रकारों से बदसलूकी की गई । जिसके विरोध में दंतेवाड़ा के पत्रकारों ने निर्णय लिया की हम इसका विरोध करेंगे । पत्रकारों ने कहा मसला दुर्व्यवहार के साथ आत्मसम्मान से भी जुड़ा है ।
घटनास्थल पर कवरेज के दौरान पत्रकारों से दुर्व्यवहार और उनकी फोटोग्राफी कराए जाने को लेकर दंतेवाड़ा के पत्रकारों ने कड़ा रूख अख्तयार किया है। गुरूवार को पुराने विश्राम गृह में आहुत बैठक में जुटे पत्रकारों ने विषय को गंभीर मानते हुए सीआरपीएफ के सिविक एक्शन कार्यक्रम समेत दूसरे आयोजनों की रिपोर्टिंग का बहिष्कार का निर्णय लिया है।
इस दौरान पत्रकारों ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सुझाव भी दिए। बप्पी राय ने कहा कि सीआरपीएफ के एक जिम्मेदार अधिकारी के द्वारा पत्रकारों के साथ ऐसा सलूक दुर्भाग्यपूर्ण है। दक्षिण बस्तर में हालात संवेदनशील बने हुए हैं। आए दिन नक्सली घटनाओं, जमीनी समस्याओं के कवरेज के लिए पत्रकार जान का खतरा मोल लेते हैं। खासकर एनकाउंटर, ब्लास्ट जैसी घटनाओं के वक्त जिंदगियाँ दांव पर होती है। सातधार में हमारे साथी अपनी ड्यूटी पूरी कर रहे थे। संबंधित बटालियन के द्वितीय कमान अधिकारी के द्वारा उनसे बदसलूकी को कतई बर्दाशत नहीं किया जाएगा।
ऐसा नहीं है कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की 195 बटालियन के बारसूर हेडक्वार्टर क्षेत्र में यह पहला मामला हो जहाँ पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार किया गया है । इससे पहले कई मौकों पर 195 बटालियन के अधिकारियों ने पत्रकारों को बारसूर क्षेत्र में पत्रकारिता करने से रोका और दुर्व्यवहार किया है । लोकसभा विधानसभा चुनाव में पत्रकारों को इंद्रावती नदी के उस पार के गाँवों में लोकतंत्र के महापर्व के दौरान पत्रकारिता करने से रोकने के अलावा इस बटालियन में जवानों की आत्महत्या की ख़बरों पर यहाँ के अधिकारों द्वारा पर्दा डालने की नाकाम कोशिश पहले की जा चुकी है ।
इस बार मामला दुर्व्यवहार के साथ पत्रकारों के आत्मसम्मान से भी जुड़ा हुआ है, इसलिए सीआरपीएफ के सिविक एक्शन जैसे कार्यक्रमों का बहिष्कार करने के साथ किसी भी प्रेस कांफ्रेस में यदि सीआरपीएफ के अधिकारी मौजूद होंगे तो उसका भी बहिष्कार किया जाएगा। सहमति इस पर भी बनी कि अगर दोषी अधिकारी के द्वारा कृत्य के लिए खेद जताया जाता है तो भी आंदोलन खत्म नहीं होगा। भविष्य में घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसे ध्यान में रखते हुए पुर्नविचार कर निर्णय लिया जाएगा। इस दौरान विनोद सिंह, यशवंत यादव, अब्दुल हमीद सिद्दीकी समेत दंतेवाड़ा के पत्रकार मौजूद थे।