सबसे बड़े राजस्व वसूली वाले विभाग उद्योग और आबकारी मंत्री अनपढ़ को बनाने के पीछे क्या है षडयंत्र ?
आबकारी विभाग में चल रहा बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितता
निर्धारित कीमत से ज्यादा लेकर खुलेआम बेचा जा रहा है मिलावटी शराब
रायपुर । छत्तीसगढ़ में चाहे सरकार भाजपा की रही हो या कांग्रेस की आबकारी विभाग हमेशा ही विवादों में रहा, आपको पिछली सरकार के कार्यकाल में समुंद सिंह का किस्सा याद होगा !! अगर नही तो गूगल कर लीजिए । वर्तमान सरकार ने जनता से वादा करके भी पिछली सरकार के घोटालों से परदा हटाने के बजाए, व दारू बंदी की कसम से भी मुकर कर इसी विभाग को राजस्व वसूली का सबसे बड़ा साधन बना लिया ।
उद्योग व नशा के कारोबार एक दूसरे के पूरक हैं, एक दूसरे के बिना अधूरा हैं, शायद इसीलिए छत्तीसगढ़ में एक अनपढ़ को इन दोनो विभाग की जवाबदारी देकर यहां के मुख्यमंत्री ने कमान अपने हाथ रखी है । ज्यादातर इन्ही दो विभाग में हुए लूट खसोट से कांग्रेस देश में फिर से खड़े होने की कोशिश कर रही है, और इस कोशिश में छत्तीसगढ़ सरकार के योगदान के सामने कांग्रेस में सुधार लाने की कोशिश से अपनी नेतागिरी की शुरुवात करने वाले राहुल अब इन भ्रष्ट ताकतों के सामने नतमस्तक हैं । फिलहाल आज इस पोस्ट में हम आबकारी विभाग के घोटालों की बात करेंगे । हमारे पास तथ्य व सबूत भी हैं । कहने के लिए मात्र इस विभाग के मंत्री कवासी लखमा हैं, पर उनकी बात तो उनके निजी सचिव भी नही सुनते । मंत्री वी विभाग के सचिव की दस्तख़त होने के बाद भी फाइलें विभाग के संयुक्त सचिव के पास अटकी रहती है । ऐसी ही स्थिति कई और मंत्रियों के विभागों की भी है, केंद्र की मोदी सरकार की तर्ज में यहां भी बस दो या तीन मंत्री ही काम कर पा रहें है, बाकी का काम बंगले के हस्तक्षेप से चल रहा । आपको याद होगा कि स्वास्थ्य मंत्री को मीटिंग में शामिल किए बगैर कोरोना जैसी महामारी से निपटने की खबर खूब वायरल हुई थी, बाद में ऐसे ही अनावश्यक हस्तक्षेप की वजह से बाबा ने पंचायत मंत्री का पद छोड़ दिया था । इस राजनीति पर फिर कभी बात करेंगे ।
प्लेसमेंट कर्मचारियों का बोनस का पैसा निकला मगर कर्मचारियों के खाते नही पहुंचा, आखिर गया कहां ?
ताजा मामला आबकारी विभाग का है जहां पिछले चार सालों से प्लेसमेंट कर्मचारियों के बोनस के नामपर भ्रष्टाचार के खेल हो रहा है । प्रदेश में चार प्लेसमेंट कंपनी के तहत शराब दुकानों में हजारों कर्मचारियों के नाम से अरबों रुपया बोनस के नामपर जारी होता है पर यह उनके खाते तक नही पहुंचता है । यहां हम एक प्लेसमेंट एजेंसी सुमीत फेसलिटिज के खाते में बीते साल का जारी बोनस राशि सर्विस टैक्स और GST मिलाकर लगभग 24 करोड़ का जिक्र कर रहे हैं, जो कर्मचारियों तक नही पहुंचा । आबकारी विभाग के सूत्रों के अनुसार यह राशि #भारतजोड़ोयात्रा में चली गई ।
आबकारी विभाग में इस तरह की तमाम गड़बड़ी के सूत्रधार केंद्र से प्रतिनियुक्ति पर आए यहां के संयुक्त सचिव व महाप्रबंधक छत्तीसगढ़ मार्केटिंग कार्पोरेशन लिमिटेड आबकारी विभाग द्वारा धडल्ले से किया जा रहा है । यह महोदय बीएसएनएल के अधिकारी हैं, यह इतने चालाक हैं कि इन्हे मोदी के आने के तुरंत बाद एहसास हो गया था कि बीएसएनएल डूबने वाला है, तभी से इन्होंने अपनी प्रति नियुक्ति छत्तीसगढ़ राज्य के आबकारी विभाग में करवा लिया था । तब भाजपा की सरकार के समय आबकारी विभाग में घोटालों की भरमार थी, और यह महोदय तब के बहुचर्चित अधिकारी समुंद सिंह के अधीनस्थ हुआ करते थे । आबकारी विभाग के कुछ अनुभवी अधिकारी तो थ भी बताते हैं कि समंदर सिंह का नाम बस बदनाम हुआ पर काम इन्ही ने किया था ।
प्रतिनियुक्ति के बाद दूसरी प्रतिनियुक्ति पाने वाले एक मात्र अधिकारी जो दो राज्यों में दे रहे अपनी सेवा
संभवतः इनके अवैध राजस्व संकलन की भूमिका से प्रभावित होकर छत्तीसगढ़ सरकार ने इनका प्रतिनियुक्ति जारी रखा और ये अपने काम से इतना चर्चित हुए कि अब देश भर के एक मात्र इकलौते अधिकारी बन गए हैं जिन्हे प्रतिनियुक्ति के बाद भी और प्रतिनयुक्ति मिली, अब इनकी क्षमता का प्रयोग झारखंड सरकार भी कर रही है, जहां अब एक बड़े आर्थिक पैकेज में आबकारी सलाहकार का पद भी संभाल रहे ।
पूरे प्रदेश में निर्धारित मूल्य से ऊपर और नकली व मिलावटी शराब व बीयर विक्रय के मामलों पर लगातार खबरें व वीडियो वायरल हो रहे हैं । मामला विधानसभा में भी उठ चुका है, पर सरकार इस मामले पर बिलकुल चुप बैठी है । आरोप तो यह भी है कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार पर पूरे देश में कांग्रेस पार्टी के चुनावी खर्च उठाने का दबाव है, जिसे इन्ही दोनो विभाग में अनियमितता व जनता को नुकसान पहुंचाकर किया जा रहा है ।
इनके खिलाफ ईडी और आईटी का छापा भी पड़ चुका हैं, इनके यहां पड़े छापा के बाद ही सुराग मिलने पर प्रदेश के कई नेता, अधिकारी व व्यापारियों तक आंच पहुंची । जिसके चपेट में आकर प्रदेश के मुख्यमंत्री की सचिव सौम्या व एक आइएएस को भी जेल जाना पड़ा, अभी तक ईडी व आईटी ने इनके बारे में अपने अपनी रिपोर्ट जारी नही की है, इनके खिलाफ शिकायत है कि इन्होंने विदेशों में भी संपत्ति खरीद रखी है, और खुद और पत्नी सहित कई रिश्तेदारों के नाम से करोड़ों की संपत्ति खरीद रखी है । प्रधानमंत्री व ईडी को की गई शिकायत की एक प्रति भूमकाल समाचार को प्राप्त हुई है जिसमे इनके बिना विभाग को बताए विदेश यात्राओं व अन्य गंभीर आरोप है । इस शिकायत पत्र में उल्लेखित तथ्यों की पुष्टि करने के बाद ही उसे सार्वजनिक किया जा सकता है ।
इस शिकायत पत्र के आधार पर श्री त्रिपाठी से बात चीत करने की कई कोशिश की गई, पर उन्होंने जवाब नही दिया, मंत्री जी ने साफ के दिया कि वे हिंदुस्तान से बाहर गए ही नही, मंत्री जी ने विभाग में किसी भी प्रकार के घोटाला व निर्धारित कीमत से ज्यादा में बिक्री व नकली शराब विक्रय को भी निराधार बताया । जबकि विभाग के सचिव ने उनके विदेश यात्रा के मुद्दे पर कोई जानकारी होने से इन्कार कर दिया है ।