और अब अम्बिकापुर के पत्रकार मनीष पर एफ आई आर
वे तीन पीढ़ियों से इस जमीन पर खेती कर रहे हैं। 1962 में तो महेंद्र कुशवाहा को इस कृषि भूमि का 5 एकड़ का पट्टा भी मिल चुका है। बाकी दोनों किसान परिवारों को भी मिल जाना चाहिए था, लेकिन नहीं मिला। लेकिन पट्टे और पीढ़ियों के अधिकार से अम्बिकापुर नगर निगम और उसके महापौर अजय तिर्की को कुछ लेना-देना नहीं। उसे तो अपनी सर्र की ताकत का प्रदर्शन करना था। पूरे प्रदेश में हर कांग्रेसी यही करके मुख्यमंत्री दरबार में अपनी टीआरपी बढ़ा रहा है, तो अब यह महापौर ही पीछे क्यों रहे! सो उसने अपनी ताकत का अहसास कराया उन तीन गरीब किसान परिवारों की धान की फसल को रौंदकर, जो चंद दिनों बाद — जी, केवल 15 दिनों बाद ही! — पककर ही उनके घरों में पहुंचकर कईयों की भूख शांत करने के लिए लहलहा रही थी।
इन गरीब किसानों को पता नहीं कि कब उनके पट्टे वाली और कब्जे वाली जमीन नगर निगम के कागजों में दर्ज हो गई और वहां अटल आवास परियोजना खड़ी हो गई। वैसे, दो नंबर की कमाई हो तो कांग्रेसी राज में भी भाजपाई परियोजनाओं को धड़ल्ले से आगे बढ़ाया जा सकता है — तब न उन्हें अटल नाम से परहेज होगा, न दीनदयाल से। जवाहर के बाद अब बेचारे इंदिरा-राजीव भी पृष्ठभूमि में धकेले जा चुके हैं!!
जब मीडिया में यह रिपोर्ट चलने लगी, तो आंख के अंधे कांग्रेसियों को पूरे शहर की नजरों में खड़ी धान की फसल #घास नजर आ रही है, बावजूद इसके कि निगम के इस कृत्य की आलोचना से घबराए महापौर कह रहे हैं कि मानवता के आधार पर किसानों की फ़सल नष्ट नहीं करना था! लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करते उनके हाथ थरथरा रहे हैं, किसानों को उनके नुकसान की भरपाई के मामले में मुंह सिले हुए हैं।
किसान थाने पहुंचे, तो निगम के खिलाफ उनकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। लेकिन इस मामले को उजागर करने वाले पत्रकार #मनीष_कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज जरूर कर ली गई है। इन्हीं मनीष के खिलाफ इसी 15 अक्टूबर को अम्बिकापुर पुलिस ने ही उनकी फेसबुक पोस्ट को आधार बनाकर राजद्रोह का मामला दर्ज किया है, जिसकी सीआईडी जांच चल ही रही है।
पत्रकार सुरक्षा कानून लाने की लफ्फाजी करने वाली सरकार शर्मकरो! धन्य है इसके सलाहकार जो पत्रकारों के दमन की सलाह इस सरकार को देरहे हैं!!
छत्तीसगढ़ किसान सभा अम्बिकापुर निगम प्रशासन के किसान विरोधी कृत्य की निंदा करती है और किसानों को हुए संपूर्ण नुकसान की भरपाई की मांग करती है। किसान सभा पत्रकार मनीष कुमार पर दर्ज झूठी एफआईआर को खारिज करने और पत्रकारों को उनके काम मे संरक्षण देने की मांग राज्य सरकार से करती है।
इस टिप्पणी को कमेंट बॉक्स में Priya Shukla के ट्विटर पर रखे गए वीडियो के साथ देखे, पढ़े और समझे कि किसानों के लिए मध्यप्रदेश के भाजपा राज और छत्तीसगढ़ के कांग्रेस राज में क्या अंतर है :