बंग समुदाय को आरक्षण का बस्तर में विरोध की चिंगारी
मुख्यमंत्री रमन सिंह का पुतला फूंक शासन के आदेश की जलाई प्रति
कांकेर – अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/ पिछड़ा वर्ग संयुक्त संघर्ष मोर्चा द्वारा आज कांकेर पुराने बस स्टैंड में तीनों वर्गो से भारी संख्या में लोग एकत्रित होकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर छत्तीसगढ़ में निवासरत बंगाली समुदाय के ग्वाला, धोबी,लोहार, कुम्हार, नाई एवं तेली को शासन द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग की जाति का प्रमाण पत्र देने के संबंध में जारी आदेश को वापस लेने विरोध किया गया । संयुक्त संघर्ष मोर्चा द्वारा राष्ट्रपति के नाम कांकेर कलेक्टर को ज्ञापन सौपा गया।
संयुक्त मोर्चा द्वारा मांग किया गया कि छत्तीसगढ़ में अनु-जाति/ अनु- जनजाति वं अन्य पिछड़ा वर्ग में पूर्व में आरक्षित किये जातियों के अलावा किसी और जाति को शामिल न किया जावे । बस्तर संभाग संविधान की 05 वी- अनुसूचित से अधिशासित है तथा भारतीय संविधान 05 वीं अनुसूचित से अधिशासित क्षेत्रो में किसी प्रकार की अनुसूचि में छेड़छाड़ करने की अनुमति नही देता है ।
सर्व समाज संयुक्त मोर्चा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि संबंधित आदेश से पिछड़ा वर्ग के विभिन्न आरक्षित जातियों में प्रतिकूल असर की संभावना को देखते हुए समाज उक्त आदेश से व्यथित एवं आक्रोशित हैं जिसके कारण निकट भविष्य में सामाजिक उन्माद पनपने की पूर्ण आशंका भी है इस दृष्टि से भी तत्काल उक्त आदेश को निरस्त करने की मांग संयुक्त मोर्चा करता है, मांग पूरी नही होने पर संयुक्त मोर्चा द्वारा उग्र कदम उठाने के लिए मजबूर होगी जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन–प्रशासन की होगी ।
आदिवासी युवा नेता नारायण मरकाम ने बताया कि आदिवासी समुदाय यहां सदियों से पिछडे वर्ग के मूल निवासियों के साथ परस्पर सहजीविता के साथ रूढ़ी प्रथा परम्पराओं के साथ जीवन निर्वहन करते आ रहे है यदि बंग समुदाय को पिछडे वर्ग में सम्मिलित किया जाता है तो यह भारतीय संविधान के 13 (3) क व 244 (1) का सीधा उल्लंधन है तथा यहां के मूल निवासियों के लिये इससे जीवन निर्वहन की दुरह स्थिति निर्मित होगी । इससे कई मूल निवासी प्रजातियों के लुप्त होने का भी डर बना हुआ हैं । अनुसूचित जाति का 16 प्रतिशत आरक्षण काट कर 12 प्रतिशत किया गया है उसे पूर्वरत् 16 प्रतिशत रखा जावें।