संयुक्त वक्तव्य बस्तर की पीड़ित आदिवासी जनता के साथ अधिक से अधिक संख्या में खड़े हों
रायपुर । आज छत्तीसगढ़ के वामपंथी, प्रगतिशील व जनवादी संगठनों की एक बैठक आयोजित की गई थी।बैठक में बीजापुर जिले के सिलगेर में पुलिस गोलीबारी की कड़ी निंदा करते हुए एक संयुक्त वक्तव्य प्रसारित किया गया।वक्तव्य में कहा गया कि पहले की बीजेपी की फ़ासिस्ट रमन सिंह की सरकार की तरह वर्तमान कांग्रेस सरकार भी जल जंगल जमीन की अधिक से अधिक लूट के लिए कॉरपोरेट घरानों के इशारों पर कार्य कर रही है।
भा क पा (मा ले) रेड़ स्टार, आदिवासी भारत महासभा,अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा(मज़दूर कार्यकर्ता समिति), छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा व आदिवासी युवा छात्र संगठन ने अपने सयुंक्त बयान में कहा है कि छत्तीसगढ़ के निरंकुश कांग्रेस शासन का यह एक सुनियोजित हमला है। यह सरकार, कथनी में यह ग्रामसभा,पांचवी अनुसूची और पेसा कानून के सम्मान की बात करती है मगर आदिवासियों के शोषण दमन के मामले में यह बीजेपी से प्रतियोगिता करती है।ग्रामसभा की अनुमति के बिना सुकमा बीजापुर जिले की सीमा पर स्थित ग्राम सिलगेर में सुरक्षाबलों का कैम्प बनाया जा रहा था, जिसका 15 ग्रामों के हजारों ग्रामीणों द्वारा विगत 14 मई से विरोध किया जा रहा था।CRPF कैम्प हटाने को लेकर आंदोलनरत आदिवासी जनता में युवा एवं महिलाएं भी बड़ी संख्या में थे।17 मई को पुलिस ने निर्मम रूप से लाठीचार्ज एंव फायरिंग किया,जिसमें 4 की मृत्यु हो गई है और दर्जनों लोग घायल हुए हैं, ग्रामीणों के अनुसार कई लोग लापता भी हैं।बस्तर की इस बर्बर घटना ने आदिवासियों का हितैषी बनने का ढोंग करने वाली भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार की निरंकुश दमनकारी चेहरे को उजागर कर दिया है।तथाकथित माओवादियों के दमन के नाम पर सलवा जुडूम के समय से ही UPA सरकार के गृह मंत्री चिदंबरम के पूर्ण समर्थन से रमन सरकार ने आदिवासियों की जिंदगी को नरक बना दिया था।आज भी वही सब हो रहा है। सलवा जुडूम की तरह आत्मसमपर्ण करने वाले माओवादियों को लेकर डिस्ट्रिक्ट रिज़र्व गार्ड (DRG) बनाया गया है जो ,पुलिस व अर्धसैनिक बलों की मदद से आदिवासियों पर कहर ढा रहे हैं।आदिवासी महिलाओं पर आये दिन बलात्कार , दमन और फ़र्ज़ी मुठभेड़ों की घटनाएं बढ़ती ही जा रही है।भूपेश बघेल सरकार द्वारा किये गए वादों के विपरीत निरपराध गरीब हजारों आदिवासी आज भी जेलों में बंद हैं। बस्तर में एक लाख के करीब अर्धसैनिक बल एंव पुलिस को लगा रखा गया है, जिनका दमन चक्र बदस्तूर जारी है।पूरे बस्तर संभाग में पुलिस राज कायम है।सिलगेर बस्तर की इस अमानवीय घटना को राज्य शासन, नक्सलियों और पुलिस बल के बीच मुठभेड़ की एक घटना बता रही है। कॉरपोरेट घरानों की दलाल फासीवादी मोदी सरकार की तर्ज़ पर राज्य की निरंकुश कांग्रेस सरकार की इस जन विरोधी कृत्य की हम तीव्र निंदा करते हैं।बीजापुर प्रशासन ने छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, आम आदमी पार्टी व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधिमंडल को घटनास्थल पर जाने से रोक दिया है।पत्रकारों और तथ्यान्वेषण करने वालों को रोकने के लिए पूरे उसूर को कन्टेनमेंट जोन में बदल दिया गया है ।यह घोर निंदनीय है और नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।इसके अलावा सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार द्वारा आंदोलन को भटकाने और फुट डालने के लिए षड्यंत्रकारी प्रयास किया जा रहा है ,जो कि घोर निंदनीय है।
संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर करने वाले सभी संगठन राज्य सरकार से मांग करते हैं कि इस कोविड महामारी के दौर में जहां अति अमीरों को छोड़कर , प्रत्येक व्यक्ति परेशान है,जनता को भोजन, दवा एंव स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाने की जगह आदिवासी क्षेत्रों में अर्धसैनिक बलों के नए शिविर बनाने पर तुरंत प्रभाव से रोक लगे। बस्तर में सरकार, सैन्यीकरण से बाज़ आये। पांचवी अनुसूची,पेसा कानून एंव ग्रामसभा के अधिकारों का कड़ाई से पालन हो। सिलगेर पुलिस फायरिंग की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कर दोषी पुलिस अधिकारियों को कड़ी सजा दी जाय।मारे गए पीड़ितजनों के परिवार को समुचित मुआवजा दिया जाय। घायलों का समुचित इलाज व मुआवजा दिया जाय। गिरफ्तार किये गए सभी लोगो को तत्काल रिहा किया जाय।इसके साथ ही बस्तर सहित सभी आदिवासी क्षेत्रों में विकास(जल,जंगल, जमीन), मानवाधिकार के मुद्दे पर प्रशासन व आदिवासी जनता के बीच सकारात्मक बातचीत की शुरुआत की जाय।