विश्व मातृ दिवस के अवसर पर एक मां की संवेदनाएं

हाल ही में माओवादी गुरिल्लाओं के कब्जे से छूटे राजेश्वर मनहास की पत्नी के नाम एक माओवादी गोरिल्ला मां का मार्मिक पत्र


“मीनू आखिरी में मैं यह बताना चाहती हूं कि हमारी क्रांति तमाम मानव जाति के मुक्ति के लिए चल रही है । हमारी क्रन्तिकारी आशय महान है , हमारे न्याय पूर्ण आंदोलन लुटरे शासकों को सहन नही हो रहा है । इसलिए तुम्हारे पति लोगों के जरिये कोबरा जैसे विष नाग को तैयार कर रहे हैं । एक जगह आस्क, दूसरी जगह कारप्यान, किसी जगह ग्रेहाउंड्स और एक जगह जग्वार जैसा एक एक नाम से क्रूर जानवरों की तरह पुलिस को तैयार कर जनता को उकसाया जा रहा है । शासकों ने जनता के बीच फूट डालकर फायदा उठा रहा है । ये तमाम पुलिस लुटरे वर्गों के सुरक्षा में और उनके हितों के लिए पगार लवकर काम कर रहे हैं । इसीलिए अपार प्रकृतिक संशाधनों का केंद्र हमारी दंडकारण्य व झारखण्ड के जंगलों में पुलिस आ बैठा है । सही में उन लोगों को लूट के बारे में जानकारी नही है , उन लोगों को अपने अधिकारीगण से दिमाग मे घुसाए गए गलत देश भक्ति एवं जनता की सेवा के रूप में पगार के लिए सम्पन्न लोगों की सेवा में डुबे हैं । इस देश मे माओवादी कहने से उग्रवाद के रूप में शासकों ने अपने मीडिया द्वारा प्रचार कर रहे हैं, यह काम वे लोग कितना मजबूती से कर रहे हैं जब आपके राजेश्वर हमारे गिरफ्त में थे तभी पता चला इसलिए मैं मेरी बहन समान मीनू के लिए इतना बड़ा लेख लिख रही हूं । हम उग्रवादी नही हैं , दूसरे को लूटना हमें पता नही, जबरदस्ती हमारे शब्दकोश में नही है, हम जनवादी को पूजते है वह भी जनता के जनवादी , संसदीय जनवाद तो एकमात्र ढकोसला है ।” -इसी पत्र का एक अंश

पीडीएफ में प्राप्त पत्र बिना सम्पादित किये प्रकाशित किया गया है

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