नसबंदी कांड के अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही करे कांग्रेस सरकार : माकपा
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने 6 वर्ष पूर्व भाजपा राज के समय बिलासपुर जिले के तखतपुर विकासखंड के सकरी गांव में हुए नसबंदी कांड के अपराधियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने की मांग की है। पार्टी ने कहा है कि तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा दोषियों को मिले राजनैतिक-प्रशासनिक संरक्षण के खिलाफ तब कांग्रेस ने भी दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग की थी, लेकिन सत्ता में आने के बाद वह इस मामले को भूल गई है और दोषी चिकित्सक सहित सभी जिम्मेदार उच्च पदस्थ अधिकारी खुले आम घूम रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 8 नवम्बर 2014 को नसबंदी के लिए सरकार द्वारा निर्धारित स्वास्थ्य संबंधी मानक प्रक्रियाओं का उल्लंघन और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों की अवहेलना करते हुए 4 घंटे से भी कम समय में 83 महिलाओं की नसबंदी की गई थी, जिसके बाद संक्रमण के चलते 30 वर्ष से कम आयु की 13 माताओं सहित 18 लोगों की मृत्यु हो गई थी। सभी मृतक महिलाएं गरीब थीं और अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग से संबंधित थी, जो इन समुदायों के प्रति सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये को ही प्रदर्शित करता है। संक्रमण से हुई इन मौतों के लिए सरकारी सर्जन आर के गुप्ता को मुख्य रूप से दोषी माना गया था, जिन्होंने अमानवीय तरीके से नसबंदी करने के बाद ऑपेरशन-पश्चात देखभाल और स्वच्छता का भी ध्यान नहीं रखा था। इसके साथ ही एक दवा निर्माता कंपनी, जिसकी दवा में चूहा मार कीटनाशक की मौजूदगी पाई गई थी, को भी दोषी माना गया था।
माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि इस नसबंदी कांड के संबंध में कई सरकारी और गैर-सरकारी जांच दलों की तथ्यपरक रिपोर्ट्स सामने आई हैं, इसके बावजूद दिखावे के लिए कुछ निचले स्तर के कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर तत्कालीन भाजपा सरकार पूरे मामले को दबाने में कामयाब हुई है। उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में जन स्वास्थ्य अभियान से जुड़े अमूल्य निधि और गायत्री सुमन ने “जस्टिस डिनाइड – स्टरलाईजेशन डेथ्स इन बिलासपुर” के नाम से जो रिपोर्ट प्रकाशित की है और जिसकी प्रति उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी भेजी है, चौंकाने वाली है।
इस रिपोर्ट के हवाले से माकपा नेता ने बताया है कि पूर्व भाजपा सरकार की तरह ही वर्तमान कांग्रेस सरकार ने भी मुख्य अभियुक्त डॉ. गुप्ता को मिली जमानत को रद्द करने के लिए अभी तक कोई पहलकदमी नहीं की है और न ही भारतीय चिकित्सा परिषद को लाइसेंस रद्द करने के लिए सिफारिश की हैं। इसके साथ ही न तो घटिया दवा का निर्माण करने वाली कंपनी के खिलाफ लैब टेस्ट को सार्वजनिक किया गया है और न ही इस दवा को बिना किसी परीक्षण के खरीदने वाली मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्यवाही की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर और जनता के प्रति जिम्मेदार बनाने की जगह कांग्रेस सरकार कॉरपोरेटों के हित में स्वास्थ्य माफिया और निजीकरण की नीति को ही बढ़ावा दे रही है।
माकपा नेता ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जीवन का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और दिशा निर्देशक सिद्धांतों का अनुच्छेद-47 गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार बनाता है। बिलासपुर के नसबंदी कांड में राज्य के नागरिकों के इन दोनों अधिकारों का हनन हुआ है। उन्होंने मांग की है कि जवाबदेही और पारदर्शिता के साथ छत्तीसगढ़ सरकार विशेषज्ञों की एक स्वतंत्र टीम की मदद से इस पूरे मामले की समीक्षा करे और जिम्मेदार अपराधियों के खिलाफ उल्लेखनीय कार्यवाही करें।
संजय पराते