आदिवासी समाज का गुस्सा फूटा…
प्रदेश सरकार आदिवासियों को रिझाने के लिए लाख दावे और वादे करे लेकिन हकीकत की धरातल में सच्चाई कुछ और ही है जिसके प्रत्यक्ष प्रमाण; बालोद जिले के सड़कों पर देखने को मिला है। पूरे प्रदेश में भू-माफिया संरक्षित होकर गरीब आदिवासियों की जमीनों पर येन-केन-प्रकारेण से कब्जा कर रही है। वहीं शासन और प्रशासन से जुड़े लोग कंबल ओढ़ कर घी पी रहे हैं। गरीब आदिवासियों के साथ प्रदेश भर में भेदभाव किया जा रहा है तो वहीं पैसे और पहुंच वाले लोग पैसो के दम पर अपने बड़े-बड़े काम चुटकी बजाते ही निपटा रहे हैं।
बालोद । आदिवासियों पर हो रहे अन्याय के खिलाफ; जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन, भू-माफिया व परदेशिया के विरुद्ध जिले के सर्व आदिवासी समाज द्वारा बुधवार को नया बस स्टैंड में एक धरना प्रदर्शन कर जिला प्रशासन, एसडीएम व भू-माफियाओं के खिलाफ जमकर हमला किया। समाज के वक्ताओ ने भू-माफियाओं के हाथों मोटी रकम लेकर एसडीएम को बिकने का आरोप लगाया है। इस दौरान सर्व आदिवासी समाज के लोगो ने जिला मुख्यालय के गंजपारा में स्थित टंडन लाल कावरे के तोड़े गए बाउंड्रीवाल और दुकान में जाने के लिए रैली की शक्ल में निकले थे, जिसे पुलिस के द्वारा दिल्ली तिराहे और गंजपारा में रोकने का प्रयास किया गया लेकिन पुलिस आदिवासी समाज के लोगो को रोक नही पाई और टंडन लाल कावरे के टूटे मकान में पहुचकर भू-माफिया, एसडीएम और जिले में आदिवासियों के मकान तोड़ने के मामले पर कार्यवाही को लेकर मुख्य मार्ग में लगभग आधे घंटे से अधिक समय तक चक्काजाम कर दिया।
इस बीच आदिवासी समाज की ओर से पूर्व सांसद सोहन पोटाई ने अपर कलेक्ट एके वाजपेयी, अतरिक्त पुलिस अधीक्षक से चर्चा किया जिसमें प्रशासन के द्वारा भू-माफिया को 72 घंटे में गिरप्तार करने व आदिवासियों की जमीन के मामले पर 20 दिनों के अंदर समाधान करने की लिखित में देने पर आदिवासियों ने धरना प्रदर्शन समाप्त किया गया। धरना को सबोधित करते हुए पूर्व सांसद सोहन पोटाई ने जिला प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि बालोद जिले में आदिवासियों के साथ लगातार अत्याचार किया जा रहा है।
यहाँ के टीआई भी आदिवासी हैं और आदिवासियों के साथ अत्याचार किया जा रहा हैं ! रिटायरमेन्ट के बाद इसी समाज मे आना है, प्रदेश सरकार भी आदिवासियों के साथ अन्याय कर रही हैं जो हाल रमन सिंह का हुआ था वैसा ही हश्र भूपेश बघेल का होना है, उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा एक आदिवासी परिवार के दुकान को तोड़ दिया है, जिसका आदिवासी समाज विरोध करता हैं। प्रशासन द्वारा भू-माफिया के खिलाफ कार्यवाही करने व आदिवासी की जमीन के मामले को लेकर 20 दिनों में समाधान करने की आश्वासन दिया गया है, यदि प्रशासन द्वारा 20 दिनों के अंदर समाधान नही किया गया तो बालोद में फिर बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी प्रशासन को दिया है।
एसडीएम और भूमाफिया से मिलीभगत कर आदिवासियों पर किया जा रहा अन्याय
बालोद जिला के आदिवासी समाज के अध्यक्ष गजानंद प्रभाकर ने बताया कि बालोद गंजपारा निवासी टंडनलाल कावरे पिता शंकर लाल कावरे के दुकान व बाउंड्रीवाल को बालोद एसडीएम सिल्ली थॉमस ने बिना किसी पूर्व सूचना एव बिना किसी पेशी में सुनवाई किए हुए ही 8 अगस्त 2020 को भू-माफिया के लोगो को बने मकान और दुकान तोड़ने का आदेश दिया गया, एसडीएम ने अपने पद का दुरूपयोग कर भू-माफियाओं से मिलीभगत कर इस प्रकार गभीर कृत्य किया हैं, जिसमे जिला प्रशासन पूर्ण रूप से भागीदार हैं, मकान तोड़ने के बाद मलबे को भी उन्हीं लोगों को ले जाने का अधिकार दिया गया हैं। टंडन लाल कावरे के पुत्र ने तोड़ने से मना किया तो उन लोगो के द्वारा मारपीट किया गया,मारपीट करने वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत धारा लगाए जाने के बाद भी पुलिस प्रशासन द्वारा अब तक कोई कार्यवाही नही किया गया हैं, एसडीएम थॉमस सिल्ली को निलंबित कर अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही किया जावे। आदिवासी समाज के लोगो को डराने धमकाने वाले पुलिस कर्मियों व थाना प्रभारी के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग किया गया हैं। इतना ही नही बालोद पुलिस आपराधिक तत्वों को साथ मे लेकर बिना किसी सूचना पर बालोद के गंजपारा स्थित गोंडवाना भवन शक्तिपीठ में धुसकर समाज के पदाधिकारियों को धमकाने का कार्य कर रही हैं।
कन्नेवाडा में बने पक्के मकान को जेसीबी से तोड़ा गया
उपाध्यक्ष ईश्वर भुआर्य ने बताया कि ग्राम कन्नेवाडा निवासी जगमोहन सोरी,जगदीश सोरी व मिलाप सोरी के नाम पर 2001 से नायाब तहसीलदार बालोद द्वारा मकान का पट्टा दिया गया था,उस पर ये लोग कच्चा मकान बनाए थे, मकान अत्यंत जर्जर होने के कारण तोड़कर पक्का मकान बनाया गया था,जिसे ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच श्रीमती लीना डड़सेना के सह पर नायब तहसीलदार ने 18 जून 2019 को जेसीबी मशीन से पक्के मकान को तोड़वा दिया था,पटवारी से भी उपरोक्त सभी बिंदुओं में उल्लेखित बातों से यह पता चलता हैं कि प्रशासन आदिवासियों के साथ न्याय करना ही नही चाहती।इससे आदिवासी समाज मे नराजगी हैं। यदि इस आंदोलन से कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित होती हैं तो इसकी समस्त जवाबदारी जिला प्रशासन की होगी। आदिवासियों को न्याय दिलाने के लिए 2 सितंबर को सर्व आदिवासी समाज द्वारा आंदोलन करने का निर्णय लिया गया हैं।
ग्वालिन बाई की निर्माणाधीन मकान को पोकलैंड से तोड़ा गया
ज्ञापन में बताया गया कि ग्राम कन्नेवाडा की निवासी ग्वालिन बाई के निर्माणाधीन के निव को तत्कालीन सरपंच द्वारा तहसीलदार बालोद द्वारा गलत जानकारी देकर खसरा। नम्बर 154 का बेदखली वारंट लेकर खसरा नम्बर 164 में निर्माणाधीन ग्वालिन बाई के मकान के निव को पोकलैंड से तोड़ दिया,ग्वालिन बाई के द्वारा छग राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग रायपुर में शिकायत करने पर आयोग ने अपनी अनुशंसा में कलेक्टर बालोद को निर्देशित किया गया था कि उसकी जांच कर तोड़ने वाले के विरुध्द एफआईआर दर्ज कर अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत कार्यवाही करने निर्देशित किया था,लेकिन आज तक कलेक्टर द्वारा कोई कार्यवाही नही किया गया हैं।
खाली हाथ आया था परदेशिया खाली हाथ जाएगा कि तख्ती लेकर धरने पर बैठे रहे आदिवासी समाज के लोग
विभिन मांगो को लेकर जिले के सर्व आदिवासी समाज द्वारा धरना प्रदर्शन कर प्रशासन,भूमाफिया, के खिलाफ जमकर हमला किया गया,धरने में युवा वर्ग अपने हाथों में तख्ती लिए हुए थे, इस तख्ती में खाली हाथ आया परदेशिया योगेश गांधी ,खाली हाथ जाएगा योगेश गांधी , भूमाफिया और एसडीएम मुर्दाबाद के स्लोगन लिखे गए थे।जिसको लेकर नगर में आम लोगो मे जमकर चर्चा होने लगी। धरना प्रदर्शन में प्रमुख रूप से आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष बीपीएस नेताम,पूर्व सांसद सोहन पोटाई,कार्यकारी अध्यक्ष बीएस रावटे, प्रदेश युवा अध्यक्ष विनोद नागवंशी,पूर्व विधायक जनकलाल ठाकुर,सभाष पोर्ते, अजोर सिंह ठाकुर,संतोष नेताम,ईश्वर भुआर्य,रतिराम कोसमा,श्याम सिंह तारम, थानसिंह मंडावी,युआर गगराले,रेवा रावटे,सहित सैकड़ों की सख्या में आदिवासी समाज की महिलाए व पुरुष शामिल थे।
साभार: highwaycrimetime