देवजी भाई पटेल पाठ्य पुस्तक निगम की अनियमितताओं को अंजाम दिये जाने की ज़िम्मेदारियों से बच नहीं सकते हैं
तत्कालीन जीएम महज मोहरा था वह बलि का बकरा बन गया-नितिन राजीव सिन्हा
रायपुर । पाठ्य पुस्तक निगम के सदस्य नितिन राजीव सिन्हा ने पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक भाजपा के क़द्दावर नेता देवजी भाई पर आरोप लगाया है कि निगम में उनके स्वयं के कार्यकाल में अगस्त २०१५ से दिसंबर २०१८ के दौरान करोड़ों रुपयों का भ्रष्टाचार हुआ है जिसे भाजपा के संगठित आर्थिक अपराधियों के गिरोह ने बतौर काग़ज़ माफ़िया और प्रिंटिंग माफ़िया अंजाम दिया है ।
श्री सिन्हा ने कहा है कि बेहतर होगा कि वे स्वयं आगे आयें और ख़ुलासा करें कि रमन सरकार के पंद्रह साल घोर भ्रष्टाचार के साल रहे हैं उसमें उनका स्वयं का पाठ्य पुस्तक निगम का कार्यकाल भी शामिल है । तत्कालीन महाप्रबंधक अशोक चतुर्वेदी को पंचायत विभाग से प्रतिनियुक्ति पर उनकी पसंद पर ही पदस्थापना की गई थी जिसमें उच्च अधिकारियों की आपत्तियाँ भी शामिल थीं दस्तावेज़ी तथ्यों का हवाला यह है कि अशोक चतुर्वेदी को बलि का बकरा बनाया गया है दरअसल वह मोहरा बन गया था जो भाजपा की तत्कालीन सत्ता के आर्थिक अपराध तंत्र के राजनैतिक आकाओं के हाथों की कठपुतली बन कर इन दिनों करोड़ों रुपयों की आर्थिक अनियमितताओं की जाँच के दायरे में है और ईओडब्लू उसकी जाँच कर रही है ।
अगस्त २०१५ में देवजी भाई ने पाठ्य पुस्तक निगम में कार्यभार ग्रहण किया उसी समय अशोक चतुर्वेदी जों कि धरसीवा जहाँ से देवजी विधायक थे वहाँ के जनपद पंचायत के सीईओ थे उन्हें महाप्रबंधक पद पर लाने के लिये देवजी भाई ने कथित तौर पर ज़ोर लगा दिया था सेवा भर्ती नियम के अनुसार महाप्रबंधक का पद प्रथम श्रेणी के अधिकारी का है उसका पे स्केल तब (२०१५ में) १४३००/-१८०००/ होना चाहिये था जबकि चतुर्वेदी का पे स्केल उससे कम था वह द्वितीय श्रेणी का था वह पदस्थापना के तय मापदंड पर खरा नहीं उतर रहे थे फिर भी उन्हें वहाँ रमन सिंह के दबाव में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया ।
वहीं पेपर और प्रिंटिंग के विशेषज्ञ अधिकारियों और कर्मचारियों को देवजी के कार्यकाल में षड्यंत्र पूर्वक प्रताड़ित किया जाने लगा और अनिवार्य सेवा निवृत्तियां दे दी गई जिससे पेपर और प्रिंटिंग टेस्टिंग की विभागीय क्षमतायें प्रभावित हुई परिणाम स्वरूप माफ़िया ने मनमाने ढंग से काम को अंजाम दिया,विभाग को करोड़ों रूपयों का चूना लगा दिया गया ।
नवीन श्रीवास्तव नामक एक अधिकारी को जो कि प्रिंटिंग विशेषज्ञ है वह प्रिंटिंग मैनेजर था उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति १५ दिसंबर २०१७ को जिन वजहों से दी गई थी उसमें एक यह थी कि उसनें जून जुलाई २०१५ में टेक्नो प्रिंटर्स,राम राजा प्रिंटर्स और प्रगति प्रिंटर्स का विभाग में पंजीयन किया था और इन फ़र्मों के दस्तावेज जाँच में फर्जी पाये गये थे इस कार्यवाही की तह में जो मामले उजागर हुये हैं वह यह है कि नियमानुसार इन तीनों फ़र्मों को ब्लैक लिस्टेड किया जाना चाहिये था जो कि देवजी के पूरे कार्यकाल में नहीं किया गया इस संबंध में देवजी भाई को आगे आकर यह बताना चाहिये कि आख़िर उनकी क्या मजबूरियाँ थीं जो कि विभाग पर माफियाराज उनके कार्यकाल में चलता रहा और वे मूक दर्शक बने रहे ।
छत्तीसगढ पाठ्य पुस्तक निगम में तीन पद तकनीकी अधिकारियों के हैं जो प्रिंटिंग वर्क और काग़ज़ क्रय के तय मापदंड के परीक्षण करने हेतु हैं ये मुख्यालय के पद हैं देवजी भाई के अध्यक्ष बनने के बाद मैनेजर प्रिंटिंग नवीन श्रीवास्तव को २०१६ मे जगदलपुर तबादला कर दिया गया वहीं २०१५ में डिप्टी मैनेजर प्रिंटिंग संजय पिल्ले को जशपुर डिपो तबादला कर दिया गया एक अन्य डिप्टी मैनेजर( प्रिंटिंग)रूपेश गभने को २०१५ में कांकेर डिपो भेज दिया गया था वे अक्टूबर २०१९ तक कांकेर में रहे मसलन तकनीकी पक्ष शून्य करके माफ़िया को फ़्री हैंड दे दिया गया प्रश्न यह उठता है कि सैकड़ों करोड़ रूपयों का काम इस बीच निगम में हुआ पर,तकनीकी जाँच का पक्ष शून्य रहा या कहें कि जानबूझकर षड्यंत्र पूर्वक ऐसा किया गया,बेलगाम भ्रष्टाचार को ज़िम्मेदारियों से मुक्त रखनें का कारनामा देवजी भाई पटेल के कार्यकाल में मूर्त रूप लिया भी,वह फला और फूला भी।