पत्रकार मनीष सोनी के खिलाफ दर्ज फर्जी प्रकरण वापस हो और दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही हो : पीयूसीएल
रायपुर । छत्तीसगढ़ पीयूसीएल ने राज्य सत्ता के द्वारा पत्रकारों के प्रताड़ना और भयादोहन की घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ में आए दिन पत्रकारों के खिलाफ फर्जी मामले बनाकर उन्हें प्रताड़ित करने की घटनाएं हो रही हैं। राज्य गठन के बाद से छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की हत्याएं और उनके खिलाफ झूठे मुकदमों के मामलों में बढ़ोतरी हुआ है। अखबारों में सरकार के गलत नीतियों के खिलाफ लिखने वालों को तरह- तरह से परेशान किया जा रहा है। सोशल मीडिया में विचार अभिव्यक्ति के मामलों पर भी पुलिस लोगों को गिरफ्तार कर रही हैं।
आज जारी एक विज्ञप्ति में पीयूसीएल के प्रदेश अध्यक्ष डिग्री प्रसाद चौहान और सचिव शालिनी गेरा ने कहा है कि कोरोना काल में भी बस्तर में आदिवासी मुद्दों पर लगातार लिखने वाले पत्रकार मंगल कुंजाम को माओवाद प्रभावित क्षेत्र के चक्रव्यूह में फ़साने की साजिशें राज्य के इशारे पर जारी है. दंतेवाड़ा के पत्रकार प्रभात सिंह ने 25 जुलाई 2020 को राज्य के मुख्यमंत्री के नाम लिखे एक पत्र में उल्लेख किया है कि पुलिस उनके और उनके परिवार की संदेहास्पद तरीके से निगरानी और जानकारी एकत्र कर रही है । कांकेर में बस्तर बंधु के पत्रकार सुशील शर्मा को प्रशासनिक भ्रष्टाचार को उजागर करने के कारण मई में गिरफ्तार कर लिया गया है ।
मनीष कुमार सोनी न्यूज़24, ए एन आई तथा पी टी आई के वरिष्ठ संवाददाता है। विदीत हो कि पत्रकार मनीष कुमार सोनी द्वारा पिछले कुछ महीनों से अपने सोशल मीडिया एकाउंट में यह आशंका जताई जा रही थी की सरगुजा पुलिस उनकी पत्रकारिता से खुश नहीं है तथा उन्हें फर्जी प्रकरण में राजद्रोह आदि धारा लगाकर फंसाया जा सकता है। सोनी ने 25 मार्च 2020 को अपने फेसबुक एकाउंट 21 मार्च 2020 को सुकमा नक्सली हमले में शहीद हुए सुरक्षाकर्मियों को लेकर अपने विचार व्यक्त करते हुए लिखा है की मरने वाले सुरक्षा कर्मी तथा मारने वाले नक्सली दोनों ही आदिवासी समुदाय से ही होंगे। उन्होंने आगे लिखा कि इन्हें कौन मरवा रहा है। मृतकों को शहीद कहकर सलाम कर हम सभी भूल जाते हैं जब तक की ऐसी कोई नई घटना घटित ना हो जाए। अपने पोस्ट के अंत में उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए लिखा है कि “आदिवासी को आदिवासी से लड़ा कर ही जंगलों पर कब्जा किया जा सकता है।”
साल 2019 में पुलिस अभिरक्षा में पंकज बेक नामक आदिवासी युवक की मृत्यु हुई थी पुलिस के अनुसार पंकज बेक ने अभिरक्षा से भागकर आत्महत्या की है परंतु मृतक के परिवार का आरोप है की पंकज बेक की मृत्यु पुलिस द्वारा अभिरक्षा में पंकज बेक पर कारित हिंसा व प्रताड़ना के कारण हुई है। इस प्रकरण में पुलिस जांच लंबित है। पत्रकार मनीष कुमार सोनी द्वारा पंकज बेक प्रकरण में अपनी रिपोर्टिंग के द्वारा पुलिस की कहानी व कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल किए गए हैं। इसी क्रम में उन्होंने पुलिस अधिकारियों के प्रेस वार्ता में भी पुलिस अधिकारियों से पंकज बेक प्रकरण के संबंध में वाजिब सवाल किए जो कि पुलिस विभाग तथा पुलिस अधिकारियों को पसंद नहीं आए। इसके बाद से उन्हें सूत्रों के हवाले से यह खबर मिल रही थी की उन्हें फर्जी अपराध में राजद्रोह आदि धारा में फसाया जा सकता है। इस संबंध में प्रदेश के मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, पुलिस महानिदेशक रायपुर तथा पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा रेंज को पत्र द्वारा सूचित किया है तथा जिस पर राज्य गृह मंत्रालय ने जांच के आदेश भी जारी किए हैं। सरगुजा पुलिस द्वारा पत्रकार मनीष कुमार सोनी के विरुद्ध दिनांक 16 अगस्त 2020 को अंबिकापुर कोतवाली में पांच माह पुरानी फेसबुक पोस्ट को आधार बनाकर सरगुजा पुलिस ने धारा 153(A), 153(B) , 505(2) भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है।
छत्तीसगढ़ पीयूसीएल, राज्य सत्ता के इस कृत्य को दुर्भावना से प्रेरित मानते हुए पत्रकारों के खिलाफ दमन की कार्यवाही के रूप में देखती है। बस्तर में पत्रकार प्रभात सिंह, मंगल कुंजाम, सुशील शर्मा के विरुद्ध पुलिस द्वारा बेबुनियाद आरोप लगाकर दुर्भावनापूर्ण कार्यवाही की गई है जिसका मकसद पत्रकारों को भयभीत कर ईमानदार तथा निष्पक्ष पत्रकारिता करने से रोकने का दबाव बनाते हुए सरकार तथा सरकारी पदों पर आसीन व्यक्तियों की आलोचना और गलतियों के बारे में प्रेस में उजागर नहीं करने का संदेश दिया जा रहा है। पीयूसीएल वर्तमान सत्तारूढ़ सरकार को चुनाव पूर्व उसके द्वारा पत्रकारों के लिए दर्शाई गई प्रतिबद्धता तथा पत्रकार सुरक्षा कानून लाने के वादे का स्मरण कराते हुए पत्रकारों के दमन को रोकने का आह्वान करते हुए पत्रकार सुरक्षा कानून को जल्द से जल्द प्रभाव में लाने की मांग करती है। पत्रकार मनीष कुमार सोनी के विरुद्ध पंजीबद्ध प्रकरण को वापस लेने तथा जांच कर जिम्मेदार पुलिसकर्मियों तथा अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करने की मांग करती है।