पुजारी और जंगली भालुओं का संबंध परिवार की तरह, झलप के मंदिर में शाम होते ही पहुंच जाते हैं जंगली भालू का परिवार

रायपुर । मित्रों, इंसान और जानवरों के बीच प्यार के कई किस्से हम सुनते आ रहे हैं । आज जब भागदौड़ भरी जिंदगी में इंसानी रिश्ते कमजोर पड़ रहे हैं और सोशल मीडिया के दौर में रिश्ते निभाने का लोगों के पास समय नहीं है, वहीं जानवर अंतिम सांस तक साथ निभाते हैं ऐसा कहा जाता है । एक मंदिर के पुजारी और भालू परिवार का ऐसा ही रिस्ता पिछले करीब 20 सालों से भी ज्यादा समय से चला आ रहा है । इंसान के पास जज्बात जाहिर करने के लिए शब्द हैं, लेकिन बेजुबान जानवर भी प्यार को महसूस करते हैं । इसका एक उदाहरण पिछले दिनों मुझे प्रत्यक्ष देखने को मिला । पैर में चोट लगने से भालू का यह बच्चा लंगड़ा कर चल रहा था । मंदिर के पुजारी ने उसे अपने पास बुलाया और उसके चोट लगे पैर को देखना चाहा । पहले भी जब उसे हल्की चोट लगी थी तब पुजारी ने ही दवा लगाकर उसे ठीक किया था । इस बार भालू का यह बच्चा इंसानों के बच्चों की तरह नखरे करने लगा और जमीन पर लोट गया जैसे कह रहा हो- मुझे डर लगता है मत देखो, दवाई भी मत लगाना प्लीज……। इंसान और भालू के परिवार में एक दूसरे के प्रति प्रेम देखना है तो आप मुंगइ माता मंदिर जाईये । रायपुर से करीब 80 किलोमीटर आगे संबलपुर रोड पर झलप के पहले सड़क से लगी हुई एक पहाड़ी है । इसी पहाड़ी के नीचे सड़क पर ही मुंगई माता का प्रसिद्ध मंदिर है। देवी मंदिर होने के कारण यह स्थान काफी प्रसिद्ध तो है ही । एक भालू परिवार जिसमें दो बच्चे और मां हैं, के कारण भी यह स्थान अब काफी प्रसिद्ध हो गया है। पिछले कई वर्षों से एक भालू का परिवार यहां रोज शाम को आता है। मंदिर के पुजारी टिकेश्वर दास वैष्णव के अनुसार यह भालू की तीसरी पीढ़ी है जो लगातार मंदिर में आ रही है। पुजारी और इन भालूओं का संबंध एक परिवार की तरह हो गया है । दोनो को अब एक दूसरे से कोई खतरा नहीं है। चित्र में ही देख लीजिए अपने जखमी पैर को नहीं दिखाने के लिए भालू का यह बच्चा किस तरह पुजारी के सामने जमीन पर लोट रहा है

गोकुल सोनी

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