जारवा आदिवासियों के बीच कोरोना का डर
अंडमान के आदिम आदिवासी यानी जारवाओं के बीच कोरोना फैलने का डर बताया जा रहा है।
दरअसल ‘अंडमान आदिम जनजाति विकास समिति’ के स्टाफ के 5 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।
पूजा पवार
यह समिति जरवाओं के बीच कार्य करती है। इनका आवा-गमन जरवाओं के क्षेत्र में लगातार बना रहता है। अब जब 5 स्टाफ मेम्बर्स कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं तो जरवाओं के बीच भी इस वायरस के पहुंचने का बड़ा खतरा बन गया है।
जारवा आदिवासी अंडमान में हज़ारों सालों से आदिम स्थितियों में रहते आ रहे हैं। भारत सरकार की ओर से इन आदिवासियों के संरक्षण के लिए बाहरी लोगों और पर्यटकों के इन क्षेत्रों में जाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। लेकिन फिर भी इनकी संख्या मात्र 400 के आसपास बची है।
कई स्टाफ मेम्बर्स पैसों के लालच में पर्यटकों को इन क्षेत्रों में ले जाते हैं और जरवाओं को खाने के बदले विदेशियों के सामने नचवाते हैं।
इस संदर्भ में 2013 में BBC की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन के एक अख़बार ‘ऑब्ज़र्वर’ ने जारवा आदिवासी महिलाओं के अर्धनग्न रूप में नाचते हुए दो वीडियो जारी किए थे और बताया था कि इन महिलाओं को पुलिस वालों के सामने नचाया जा रहा था। साथ ही अखबार ने यह भी बताया कि ऐसा अक्सर विदेशी पर्यटकों के लिए भी करवाया जाता रहता है। इसके लिए सुरक्षाकर्मियों को मोटा पैसा मिलता है।
बाहरी लोगों का नज़रिया आदिवासियों के प्रति किसी ‘देखने-दिखाने वाली अजूबा चीज़’ के रूप में ही हमेशा से रहा है।
यह और कुछ नही वर्चस्ववादी मानसिकता का परिचायक है। जो हमसे अलग है वह हेय है।
इसके अतरिक्त अब जो यह कोरोना की समस्या इस क्षेत्र में पसर रही है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि जरवाओं के बीच यह वायरस यदि पहुंचता है तो इसकी पूरी ज़िम्मेदारी सरकार और समिति की ही होगी।
पूजा पवार