दिल्ली में कैद है पत्थलगांव की महिला, भूखे पेट लिया जाता है काम बदले में मिलती है गालियां पुलिस के नजर में यह प्रताड़ना नहीं
सुरेंद्र चेतवानी
छत्तीसगढ़ पत्थलगांव (भूमकाल समाचार)। पांच माह से लापता लुड़ेग की महिला के मामले को लेकर पुलिस उदासीन बनी हुई है। पुलिस ने अभी तक महिला को वापस लाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है और तो और पुलिस पति को ही दिल्ली जाकर महिला को वापस लाने की सलाह दे रही है।
क्या ये प्रताड़ना नहीं?!!
मालकिन कर देती है घर में बंद, खाने को मिलती है एक रोटी, परिजनों से बात करने रस्सी से लेना पड़ता है पड़ोसी से फोन, भूखे पेट लिया जाता है काम, बदले में मिलती है गालियां… भूख से हुई कमजोर…
परन्तु पत्थलगांव पुलिस की नजर में ये प्रताड़ना नहीं…. प्लेसमेंट एजेंट की बात पर पुलिस को है पूरा भरोसा…?? !!
दिल्ली में फंसी महिला की मार्मिक दास्तान
ज्ञात हो कि रायगढ़ जिले का यह इलाका छत्तीसगढ़ में होने वाले मानव तस्करी का सबसे बड़ा केंद्र है। इस रवैये से मानव तस्करी को लेकर पुलिस की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है। उल्लेखनीय है कि लुड़ेग के प्रेमनगर सुकबासुपारा निवासी मुन्ना पैंकरा की पत्नी कमला पैंकरा बीते पांच माह से लापता है। वह 19 फरवरी को मायके जाने के लिए अपने घर से निकली थी। वह अपने मायका गांव पहुंची थी परंतु वहां दलालों के चंगुल में फंस गई। महिला के पति मुन्ना पैंकरा की पड़ताल में उसके दिल्ली में फंसे होने का खुलासा हुआ।
बताया जाता है कि वह दिल्ली के रोहिणी में एक घर में घरेलू काम करती है। मुन्ना पैंकरा ने पास के ही गांव पतईबहार भेलवा निवासी सीतकुमार पर उसकी पत्नी को बहला-फुसला कर दिल्ली ले जाने और बेच देने का आरोप लगाया है। उसने इसे लेकर पत्थलगांव थाने में शिकायत भी दर्ज कराई है। पुलिस का रवैया इस मामले में हैरान करने वाला है। पुलिस का कहना है कि कोरोना के मामलों की वजह से उसके लिए वर्तमान में दिल्ली जाना संभव नहीं है। पुलिस का यह भी कहना है कि महिला के बारे में प्लेसमेंट एजेंट से बात हो चुकी है और महिला अभी सुरक्षित है। वह घरेलू काम कर रही है और वहां उसे बंधक बना कर नहीं रखा गया है अथवा उसे प्रताड़ित नहीं किया जा रहा है। उनका कहना है प्लेसमेंट एजेंट द्वारा कोरोना का लाॅकडाउन समाप्त होने पर एक माह बाद उसे वापस भेजने की बात कही गई है। मानव तस्करी को लेकर पुलिस के रवैये पर लोगों ने हैरानी जताई है। लोगों का कहना है कि केवल फोन पर हुई चर्चा से पुलिस यह कैसे सुनिश्चित कर सकती है कि महिला सुरक्षित है और प्रताड़ित नहीं किया जा रहा है। जबकि अपने पति से हुई चर्चा में महिला रो-रोकर उसे प्रताड़ित किए जाने की बात बता रही है और पति को दिल्ली आकर उसे वापस ले चलने की गुहार लगाती हुई सुनी जा रही है। उल्लेखनीय है कि महिला की उसके पति के साथ हुई बातचीत का आॅडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हुआ था। महिला के पति का कहना है कि बूढ़ी और बीमार मां तथा 14 वर्षीय पुत्र की जिम्मेदारी के साथ ही आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होने तथा शहर के बारे में कोई जानकारी नहीं होने से उसके लिए दिल्ली जा पाना संभव नहीं है अन्यथा वह खुद ही दिल्ली चला जाता।
क्या ये प्रताड़ना नहीं?
महिला के पति मुन्ना पैंकरा ने बताया कि जिस घर में उसे काम पर लगाया गया है वहां उसे बाहर निकलने नहीं दिया जाता है। उसकी मालकिन काम पर जाते समय कमला को घर के भीतर बंद कर बाहर से ताला लगाकर जाती है। उसे फोन पर बात तक करने नहीं दिया जाता है। यहां तक कि फोन लगाने पर दूसरी ओर से फोन रिसीव भी नहीं किया जाता है जिससे कि महिला की स्थिति के बारे में उसे पता भी नहीं चल पाता है। उसने यह भी बताया कि महिला दिल्ली में उसकी मालकिन के पड़ोसियों से फोन मांगकर उसे लगाती है। महिला घर की पहली मंजिल पर रहती है जबकि पड़ोसी ग्राउंड फ्लोर पर। ऐसी स्थिति में रस्सी के जरिए फोन नीचे लटकाकर महिला फोन हासिल करती है और फिर वापस पहुंचाती है। मुन्ना ने बताया कि महिला को भरपेट भोजन भी नहीं दिया जाता है। सुबह के नाश्ते के साथ ही दोपहर और रात के भोजन के समय केवल एक रोटी ही थोड़ी सी सब्जी के साथ दी जाती है जिससे उसका पेट नहीं भर पाता और दिन भर भूखे रहना पड़ता है। निरंतर भूखे रहने से उसमें कमजोरी आ गई है और ठीक से बात करने में भी उसे तकलीफ होती है।
अपराध भी नहीं हुआ दर्ज
महिला के पति की शिकायत के बावजूद पुलिस ने इस मामले में अभी तक किसी के भी खिलाफ अपराध दर्ज नहीं किया है। पुलिस का कहना है कि महिला बालिग है और हो सकता है कि वह खुद ही काम करने के लिए गई हो। जैसे कई लोग जाते हैं और वापस भी आते हैं। ऐसे में जब तक महिला वापस न आ जाए और उसका बयान न हो जाए यह पता नहीं लगाया जा सकता कि उसके साथ वास्तव में क्या हुआ। यदि महिला वापस आने के बाद उसके बयान में यदि किसी तथ्य का पता चलता है तो अवश्य अपराध दर्ज किया जाएगा। उधर पुलिस के इस रवैये से लोग हैरान हैं।
लोगों का कहना है कि मानव तस्करी जिले में एक संगठित अपराध माना जाता रहा है। पुलिस के उच्चाधिकारियों द्वारा भी मानव तस्करी से जुड़ा कोई भी मामला सामने आने पर तत्काल अलग-अलग धाराओं में अपराध दर्ज करने के निर्देश दिए जाते रहे हैं। यहां तक कि बाद में अपराध नहीं होने की स्थिति में केस का खात्मा तक की छूट पुलिस को दी जाती रही है परंतु मानव तस्करी के इस मामले में पुलिस का रवैया असंवेदनशील बना हुआ है। लोगों का कहना है कि महिला के साथ कोई दुर्घटना हो जाने की स्थिति में इसका जिम्मेदार आखिर कौन होगा?
(सुरेंद्र चेतवानी नई दुनिया के पत्रकार हैं और यह खबर नई दुनिया में प्रकाशित हो चुकी है : साभार )