सर्व आदिवासी समाज की बैठक में आदिवासी नेताओं ने बोधघाट परियोजना को जल, जंगल, जमीन और आदिवासी अस्तित्व के लिए खतरा बताया
सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग ने बोधघाट परियोजना के समग्र आंकलन के लिए दो समिति का गठन किया
नवनीत चांद
जगदलपुर (भूमकाल समाचार) :- बोधघाट बहुउद्देशीय जल परियोजना के क्रियान्वयन को लेकर बस्तर संभाग के सर्व आदिवासी समाज के द्वारा विधायक , जिला पंचायत सदस्य ,जनपद सदस्य एवं सरपंचों के साथ चर्चा की । सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग के अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने इस परियोजना के संबंध में एक-एक करके लगभग 25 जनप्रतिनिधि एवं सर्व आदिवासी समाज के प्रमुखों से उनकी राय ली ।
इस चर्चा में चित्रकोट विधायक राजमन बेंजाम ने कहा कि बोधघाट जल परियोजना को लेकर माननीय मुख्यमंत्री जी से मैंने सबसे पहले पुनर्वास की व्यवस्था करने के लिए कहा है । जिसमें लगभग चित्रकोट विधानसभा के 28 गांव और 12 ग्राम पंचायत डूबा में आ रहा है । मैंने सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री जी के प्रथम बैठक में कहा था कि भूमि अधिग्रहण करने से पहले हमारे डूबा क्षेत्र के लोगों को आदर्श पूर्वक विस्थापन की व्यवस्था के साथ स्थानीय लोग जैसे सरपंच , सिरहा, गुनिया एवं समाज के प्रमुखों से सभाओं जुड़कर उनकी राय मनसा पूछा जाए मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी से बोला हूं । जमीन के बदले जमीन की मांग को भी पूर्व बैठक में बात रखा हुँ । मैं आदिवासी अंचल के सभी परिस्थितियों को सामना के साथ माननीय मुख्यमंत्री को अवगत कराया हूं इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए इसके पश्चात बोधघाट परियोजना का स्वरूप तैयार किया जाएगा अन्यथा नहीं
दंतेवाड़ा विधायक देवती कर्मा ने कहा कि बोधघाट जल परियोजना प्रभावित आदिवासी कहां रखा जाएगा, मैंने इस बात को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को भी बात रखी हूं साथ में मैंने यह भी कही हूं कि जंगल में निर्भर रहने वाले आदिवासियों बेदखल करने से पूर्व हजार बार सोचना पड़ेगा क्योंकि गाय चराने वाले को हम कैसे विस्थापित करेंगे ? इन सभी बात को लेकर मैं माननीय मुख्यमंत्री की बैठक में बात रखी हूं मुख्यमंत्री के द्वारा कहा गया है कि अगर डूबान क्षेत्र के लोग सहमत नहीं है तो इस प्रोजेक्ट को बंद करने कर दिया जाएगा *
दंतेवाड़ा पूर्व विधायक नंदाराम सोढ़ी बताया कि बोधघाट परियोजना की परिकल्पना मध्य प्रदेश सरकार के समय नीव रखी गयी थी उस दौरान मैंने दंतेवाड़ा का विधायक रहते हुए उसका विरोध किया और मैंने सरकार समक्ष मांग रखा तो इस कारण सरकार ने मांग को अनदेखी कर बंद कर दिया गया।
तुलसी नेताम (दंतेवाड़ा) उन्होंने कहा कि सरकारी दस्तावेज को प्रस्तुत करके बताया कि कुल जल ग्रहण क्षेत्र 15280. 90 वर्ग km, जलाशय का वितरण में बांध का उच्च स्तर बोधघाट का 471 मीटर ,उपयोगी जल भंडारण 3715.40 मि. घ. मी.,पूर्ण जल स्तर डूबा क्षेत्र13783.147 हेक्टेयर, सिंचाई का क्षमता 366580 हेक्टेयर ,विद्युत उत्पादन 300 मेगावाट, डुबान प्रभावित गांव 42 विस्थापित होने वाले परिवारों की संख्या 12888 विस्थापित होने वाले कुल ग्राम पंचायत12 को शामिल किया गया है।
केबीकेएस के सेनापति अश्वनी कांगे ने कहा कि 40 साल पूर्व की योजना को अचानक अमल करना ही योजना ही फ्लॉप है। यह योजना उस समय की जरूरत थी वर्तमान समय में जैव विविधता व पर्यावरण विनाश के शिवाय कुछ नहीं है। सरकार कहती है कि इस योजना से बस्तर के लोगों का प्रत्यक्ष विकास होगा लेकिन हम पूछते हैं कैसे विकास होगा ? जल विद्युत उत्पादन कोयला से विद्युत उत्पादन से महंगी होती है। सिंचाई की पैरवी सरकार कर रही है जबकि पूरा दक्षिण बस्तर की भौगोलिक स्थिति में असम्भव है। राज्य में कोयला तापीय विद्युत उत्पादन देश में सर्वाधिक है। राज्य विद्युत दूसरे राज्यों को बेचती है। फिर बोधघाट में जैव विविधता पर्यावरण जनजाति समुदाय के विनाश कर कैसा विकास करने की योजना है।
कांकेर के जिला पंचायत सदस्य हेमलाल मरकाम ने बताया कि हमारी जल , जंगल ओर जमीन की शान को बचाये रखना हमारी शान है, तो सर्व आदिवासी समाज को एकत्रित होकर संवैधानिक रूप से लड़ाई लड़ने की आवश्यकता है । बोधघाट परियोजना से हमारी सामाजिक ,आर्थिक और संवैधानिक अधिकार छीना जा रहा है । हम अपने आदिवासी की पहचान कैसे कर पाएंगे ,क्योंकि हमारी धरोहर संस्कृति को हम बचा नही सकेंगे ।हमारे खान-पान वेशभूषा रहन-सहन बोलचाल संस्कृति आदिवासियों की एकता का प्रतीक हैं ।
आदिवासियों को बेदखल कर दिया जाता है तो प्रकृति की व्यवस्था खत्म हो जाएगी । आदिवासियों के संविधान के अधिकार खत्म करने के लिए सरकार ने कई तरह के कानून ला रही है । इसको हमें विरोध करना चाहिए पाँचवी अनुसूचित क्षेत्र में मंडी चुनाव ,पंचायत चुनाव, विधानसभा चुनाव ,लोकसभा चुनाव एवं अन्यचुनाव को खत्म कर देना चाहिए ।इस चुनाव के कारण हमारे पारंपरिक व्यवस्था को प्रभावित कर रही है ।पांचवी अनुसूची के बारे में हमें समाज के युवा जागरुक लोगों को एक पहल करने की आवश्यकता है
दंतेवाड़ा से धीरज राणा ने बताया कि बस्तर के आदिवासियों का सारा जीवन प्रकृति के गोद पलते बढ़ते हैं , बोधघाट जल परियोजना से हमें कोई लाभ नहीं होगा बल्कि हमारी लोक संस्कृति ,लोक नृत्य ,लोक पर्व के साथ पारंपरिक त्यौहार माटी तिहार , अमुस तिहार, नयाखानी , दियारी के साथ पर्यावरण जैवविविधता का नुकसान होगा ।क्योंकि हमारी पहचान हमारी संस्कृति हमारी धरोहर है लेकिन परियोजना बनने से हमारी संस्कृति धरोहर विलुप्त हो जाएगी । बोध घाट परियोजना एक बोध मछली के कारण जाना जाता है बोध मछली आदिवासियों अपना गोत्र मानकर उनकी सेवा करते हैं अगर बोध मछली विलुप्त हो जाएगा ।
सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग के अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर के बताया की द्वारा दो सदस्यीय समिति का गठन करने का निर्णय लिया गया। एक समिति प्रस्तावित गांवों के लोगों की जन भावनाओं वन, खेती जमीन, जैव विविधता, गुड़ी, गांव की प्राचीनता, समृद्ध संस्कृति की रिपोर्ट तैयार करेगी जिसमें अश्वनी कुमार कांगे(काँकेर ),नवनीत चांद (जगदलपुर),हेमलाल मरकाम(काँकेर ),महेंद्र कुमार उसेंडी (नारायणपुर), गंगा राम नाग (बस्तर), सुरेश कर्मा (दंतेवाड़ा), पण्डि राम बट्टे (नारायणपुर), विशेल नाग(नारायणपुर) एवं बगा राम सोढ़ी(कोंडागांव) तथा दूसरी समिति जनजाति सलाहकार परिषद के सदस्यों, महामहिम राज्यपाल महोदया व प्रदेश के मुख्यमंत्री व मंत्री गणों से संवैधानिक, जैविकीय, आर्थिक, भौगोलिक, सामाजिक पक्षों पर लगातार बात करने के उपरांत समाज निष्कर्ष पर पहुंच कर राज्यपाल, अध्यक्ष जनजाति सलाहकार परिषद को अनुसूचित क्षेत्र की संवैधानिक प्रावधान के तहत निर्णय से अवगत कराया जाएगा जिसमें प्रकाश ठाकुर , बलदेव मौर्य , रुक्मणि कर्मा , संतु राम मौर्य, पूरन सिंह कश्यप , हरीश कश्यप, पिताम्बर कवाशी, बसन्त कश्यप, सर्गिम कवाशी, भारत कश्यप, हिड़मो मड़ावी , रामलाल नेताम, तुलशी नेताम , धीरज राणा , कुजा राम मरकाम आदि को शामिल किया गया है।
इस दौरान सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर , चितरकोट विधायक राजमन बेजाम ,दंतेवाड़ा विधायक देवती कर्मा, दंतेवाड़ा जिला पंचायत अध्यक्ष तूलिका कर्मा, सर्व आदिवासी समाज संभागीय महिला अध्यक्ष रुकमणी कर्मा , शारदा कश्यप , हेमलाल मरकाम, अश्वनी कांगे , रामलाल नेताम ,संदीप नेताम ,नंद किशोर बघेल, बलदेव मौर्य, माशा राम कुंजाम , पण्डि बट्टे, विसेल नाग संतूराम मौर्य , हेमराज बघेल, गंगाराम नाग , नवनीत चांद , पुसकुमार कश्यप आदि उपस्थित रहे ।
नवनीत चांद