आर्सेलर मित्तल निपाल इंडिया कंपनी द्वारा अवैध लौह डंपिंग के मामले में सरकार और राज्यपाल से की कार्यवाही की मांग
बस्तर कमिश्नर द्वारा गठित जांच टीम पहुची मौके पर आरोप को पाया सहीं
दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा के किरंदुल में स्थित आर्सेलर मित्तल निपाल इंडिया कंपनी द्वारा शासकीय रूप से आवंटित भूमि में अवशेष का भंडारण करने के आदेश की अवहेलना करते हुये निजी जमीन में पेशा कानून व खनिज नियमों व पर्यावरण नियमों की धज्जियां उड़ाते हुये अवैध भंडारण करने करने की बस्तर कमिश्नर से शिकायत के बाद डिप्टी कमिश्नर माधुरी सोम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच टीम आज जांच के लिये किरंदुल के कडमपाल पहुंची।इस जांच टीम में डिप्टी कमिश्नर माधुरी सोम, खनिज अधिकारी हेमंत चेरपा, डिप्टी कमिश्नर डी सिद्धार्थ शामिल थे। इस दौरान जांच टीम ने मौके का मुआयना करने के बाद पाया कि बस्तर अधिकार संयुक्त मुक्ति मोर्चा के द्वारा बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल और बस्तर कमिश्नर से की गई शिकायत पूरी तरह सही हैं। जांच टीम ने मौके का मुआयना करने पर पाया कि दो तालाब जो पूर्व में निर्मित थे। वह आर्सेलर मित्तल निपाल इंडिया कंपनी के द्वारा अवशिष्ट पदार्थों से पूरी तरह पाट दिया गया था। बस्तर कमिश्नर द्वारा बनाए गए इस जांच दल के मौके पर पहुंचने पर जांच टीम के साथ कई बड़े आदिवासी नेता सोनी सोढ़ी, सुजीत कर्मा, जया कश्यप जैसे कई जाने-माने आदिवासी नेता वहां एकजुट होकर पहुंचे। वही बस्तर अधिकार सयुक्त मुक्ति मोर्चा के सयोंजक व प्रवक्ता नवनीत चाँद ने घटना स्थल को जांच कमेटी को दिखा कम्पनी के अवैध कार्य की कलई खोल बस्तर के शोषण का आरोप लगा खनिज अधिनियम 2009 के नियमो व पर्यावरण व जल संरक्षण अधियनम व पैशा कानून का मख़ौल उड़ाने का आरोप कम्पनी पर लगा सरकार पर कार्यवाही की मांग की वही कंपनी के द्वारा खेती युक्त जमीन पर अपशिष्ट पदार्थों के अवशेष फेंकने के मामले पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। मौके का निरीक्षण करने के बाद आदिवासी नेताओं की आंखें फटी रह गई कि किस प्रकार आर्सेलर मित्तल निपाल इंडिया कंपनी द्वारा भोले भाले आदिवासियों की जमीन पर अपशिष्ट पदार्थ का भंडारण कर उनकी खेती युक्त जमीन को बंजर बनाया जा रहा है। और यह सब देखने के बाद आदिवासी नेता उग्र होने लगे उन्होंने कहा कि आज भी आदिवासियों का शोषण लगातार हो रहा है। आजादी के इतने वर्ष बाद भी सरकार द्वारा आदिवासियों के भलाई की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसके कारण आर्सेलर मित्तल जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियां उनका शोषण कर रही है। जांच टीम द्वारा मौके पर शोषित किसानों का भी बयान लिया गया और अच्छी तरह मौके का मुआयना कर अपनी जांच रिपोर्ट बनाई गई। गौर करने वाली बात है कि बस्तर अधिकार संयुक्त मुक्ति मोर्चा द्वारा इस मामले को प्रकाश में लाने के बाद आसपास के सभी लोग जागरूक होकर उनका सपोर्ट करते हुए आदिवासियों का हो रहे शोषण के खिलाफ एकजुट होने लगे हैं। इस दौरान मोर्चा के नवनीत चांद, बेनी फर्नांडीस, आरिफ पवार, सुजीत नाग, उपेंद्र बांधे भी उपस्थित रहे। इस दौरान आदिवासी नेता सुजीत कर्मा ने निपाल इंडिया कंपनी को आड़े हाथों लिया। और किसानों की कब्जा की गई जमीन के मुआवजे की मांग की गयी।उन्होंने कहा कि कंपनी को किसानों को 1 एकड़ जमीन के बदले पचास लाख रुपये व उनके परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाना चाहिये। क्योंकि उनकी कृषि योग्य भूमि कंपनी द्वारा अपशिष्ट पदार्थ का भंडारण कर बंजर कर दी गई है। आर्सेलर मित्तल निपान इंडिया कंपनी द्वारा तालाब पाटे जाने पर सरकार द्वारा कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गयी। इस पर जांच टीम ने कहा कि पंचनामा बनाया गया और इस मामले में जांच कर आवश्यक कार्यवाही की जायेगी। किसानों की मिट्टी का भी नमूना ले लिया गया हैं। सभी तथ्यों का अवलोकन कर आवश्यक कार्यवाही की जायेगी।