पत्रकार सुशील शर्मा पर हुई एकतरफा कार्यवाही का कांकेर के पत्रकारों ने किया विरोध, सीएम के नाम कलेक्टर को सौपा ज्ञापन
कांकेर । वरिष्ठ पत्रकार सुशील शर्मा की अचानक एवं एक तरफा गिरफ्तारी का विरोध करते हुए कांकेर के प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारगण आज कांकेर कलेक्टर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम ज्ञापन सौपा है। जिसमें उल्लेख किया गया है कि सुशील शर्मा छत्तीसगढ़ के वरिष्ठतम पत्रकारों में से एक हैं । उनका स्वयं का साप्ताहिक अखबार बस्तर बन्धुु कांकेर से विगत 25 वर्षों से निरंतर प्रकाशित होता आ रहा है।
सुशील शर्मा प्रगतिशील दृष्टिकोण के पत्रकार हैं तथा निष्पक्षता के चलते किसी भी जातिवाद, धर्मवाद, अथवा पार्टीवाद से ऊपर उठकर पत्रकारिता करने में विश्वास करते हैं। उनके लिए पत्रकारिता एक मिशन है। भाजपा के 15 वर्षीय शासन में भी उन्होंने भ्रष्टाचार संबंधी अनेक भंडाफोड़ किए हैं जो बहुचर्चित एवं प्रशंसनीय हुए हैं।
सुशील शर्मा ने अनेक उच्च स्तरीय पत्रकारिता पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त किए हैं क्योंकि उन्होंने निडरता पूर्वक बस्तर के सुदूर नक्सल प्रभावित अंचलों में भी जाकर जमीनी रिपोर्ट तैयार करने एवं सत्य तथ्य प्रकाशित करने हेतु कई बार प्राणों की बाजी भी लगाई है। झीरम घाटी हत्याकांड तथा ताड़मेटला कांड तो इसके मात्र दो उदाहरण हैं। पत्रकार सुशील शर्मा को रायपुर की पुलिस ने बिना किसी आचार संहिता का पालन किए एक भ्रष्टाचार की आरोपी महिला अधिकारी की फर्जी आरोपों वाली शिकायत पर आनन-फानन में एफ आई आर दर्ज कर सीधे कांकेर स्थित उनके निवास पर थाना खमारडीह रायपुर से कोरोना काल के बावजूद पुलिस पार्टी भेजकर गिरफ्तारी कर 5000 रूपए के मुचलके पर रिहा किया गया है।
बस्तर बन्धुु का कार्य तथा न्याय क्षेत्र कांकेर होने के बावजूद रायपुर में रिपोर्ट लिखी गई और कांकेर के किसी भी पुलिस अधिकारी अथवा पत्रकार अथवा जनप्रतिनिधि को सूचित किए बिना, शासन के दिशा-निर्देशोंध्आचार संहिता को ताक में रखकर सीधे घर आकर गिरफ्तारी कर दी जिसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। और इसे प्रजातंत्र के चैथे स्तंभ पर हमला ही माना जाएगा। जबकि भ्रष्टाचार की आरोपी महिला पर सुशील शर्मा के अखबार बस्तर बन्धुु में जो आरोप लगाए गए हैं, उनमें से किसी पर भी उनसे आज तक कोई प्रश्न भी नहीं पूछा गया है ।
अतः हम सब पत्रकार गण इस एकतरफा तथा तानाशाही गिरफ्तारी का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि मामले की सूक्ष्म जांच करवाते हुए भ्रष्टाचार की आरोपी महिला अफसर के कारनामों की भी जांच की जाए और गलत ढंग से एफ आई आर दर्ज कर गिरफ्तारी किए जाने के दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई करते हुए सुशील शर्मा पर दर्ज धारा 504 व 509 के प्रकरण को समाप्त करने के निर्देश दिये जाने चाहिए । फरियादी महिला व प्रकाशन से प्रभावित अन्य सभी लोगों के लिए मानहानि का दावा करने का विकल्प सदा उपलब्ध है। पेपर छापे जाने पर समाचार से प्रभावित व्यक्तियों के इसी तरह थानों में सीधे संपादकोंध्पत्रकारों पर एफ आई आर दर्ज करने की नई परम्परा शुरू की जायेगी तब तो हो चुकी अभिव्यक्ति के अधिकारों व पत्रकारिता की रक्षा ।
सुशील शर्मा जी द्वारा बस्तर बन्धु में अनुराधा दुबे के खिलाफ जो स्पष्ट आरोप लगाये गये हैं की उन्होंने तथ्यो को छुपा कर कैबिनेट को अधेरे में रखकर अनुकूल फैसले करा लिए, उनकी पर्यटन मण्डल में निजी संगीत विद्यालय से पर्यटन अधिकारी के पद पर नियम विरुद्ध प्रतिनियुक्ति, फिर बर्खास्तगी के तथ्य छुपा कर पद न होते हुए भी उसी पर्यटन मंडल में केबीनेट से विशेष प्रकरण बतला निर्णय कराना बाद में जन सम्पर्क अधिकारी का पद बनाया गया, इन सारे आरोपों की न्यायिक जांच करा सरकार कार्रवाई करेगी हम सब ऐसी अपेक्षा रखते हैं।
आशा है, ज्ञापन सौंपने वाले पत्रकार शारीरिक दूरी बनाये रखते हुए कलेक्टोरेट पहुंचे थे, कलेक्टर कक्ष में महज तीन पत्रकार दाखिल हुए। ज्ञापन में राजेश शर्मा, टिनकेश्वर तिवारी, कमल शुक्ला, अमित चैबे, खालिद अख्तर, नरेश भीमगज, रूपेश नागे, नीरज तिवारी, गौरव श्रीवास्तव, सुशील सलाम, एस के खान, टोकेस्वर साहू, चंद्रजीतहल यादव, विनोद साहू, हिरेश्वर साहू, निपेन्द्र सिंह ठाकुर, तामेश्वर सिन्हा, राजेश सिन्हा, डाकेश्वर सोनी, सुनील ठाकुर, हबीब राज, दीपक पुड़ो, मोहनीश सोनी, प्रांजल झा, आशु शुक्ला आदि के हस्ताक्षर हैं ।