सरकार की प्राथमिकता क्या है कोरोना या मोरोना
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कोरोना महामारी के मद्देनजर लॉक डाऊन के दौरान शराब दुकानें खोले जाने के राज्य सरकार के फैसले की तीखी निंदा की है और पूछा है कि सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि उसकी प्राथमिकता क्या है : कोरोना या मोरोना? पार्टी ने कहा है कि आम जनता की जिंदगी की कीमत पर मुनाफा कमाने की सरकार को इजाजत नहीं दी जा सकती।
◆ आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि लॉक डाऊन के दौरान प्रदेश की 80% आबादी के सामने आजीविका बर्बाद होने के कारण रोजी-रोटी की समस्या आ खड़ी हुई है। अभी तक सरकार ने दो माह के मुफ्त अनाज की घोषणा के अलावा आम जनता को राहत देने के कोई भी कदम नहीं उठाए हैं। मुफ्त राशन वितरण में भी आदिवासी अंचलों में भारी गड़बड़ियां होने की शिकायतें सामने आ रही है। लॉक डाऊन के दौरान सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर तबकों और बेसहारा लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था करने के मामले में भी यह सरकार एनजीओ पर ही निर्भर होकर रह गई है और सरकारी व्यवस्था का खोखलापन सामने आ गया है। ऐसी स्थिति में शराब दुकानें खोलने का निर्णय इन गरीब परिवारों को और तबाही की ओर ही ढकेलने वाला साबित होगा।
◆ #माकपाराज्यसचिवसंजयपराते* ने कहा है कि विश्वव्यापी कोरोना संकट के मद्देनजर वक़्त की जरूरत है कि पूरी सरकारी मशीनरी की ताकत स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने, फिजिकल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन कराने, आम जनता को सुरक्षा किट उपलब्ध कराने तथा उनकी प्रतिरोधक क्षमता को बनाये रखने के लिए उन तक खाद्यान्न और अन्य पोषण-आहार की निर्बाध आपूर्ति में लगना चाहिए, न कि शराब बेचकर राजस्व कमाने में।
◆ माकपा नेता ने कहा कि एक ओर तो सरकार बस व ट्रक मालिकों पर बकाया 331 करोड रुपयों का कर माफ करती है, तो दूसरी ओर शराब दुकानें खोलकर राजस्व बढ़ाना चाहती है। इससे ही कोरोना संकट से निपटने के लिए उसके “मोरोना” का पता चल जाता है।
◆ माकपा नेता ने कहा है कि छत्तीसगढ़ उन राज्यों में हैं, जहां प्रति व्यक्ति शराब की खपत सबसे ज्यादा होती है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार शराब के नशे में होने वाले अपराधों की सूची में देश में छत्तीसगढ़ टॉप पर है और साल में 250 से ज्यादा लोगों की मौत शराब पीने से होती है। अतः इस समय फिजिकल डिस्टेंसिंग को बनाये रखने के साथ ही समाज और घर-परिवार में शांति बनाए रखना भी राज्य सरकार की ही जिम्मेदारी बनती है।
◆ माकपा ने मांग की है कि बड़े लोगों पर बकाया कर माफी का फैसला रद्द करके शराब राजस्व में हो रहे नुकसान की भरपाई की जाए, ताकि लॉक डाऊन के दौरान शराब दुकानों को खोलने की जरूरत ही न पड़े और शराबियों के व्यवहार के कारण कोरोना से लड़ने की कोशिशों में कोई रुकावट न आये।