अंदरूनी क्षेत्रो में सर्व आदिवासी समाज ने कोरोना महामारी जागरूकता के लिए बीड़ा उठाया !
मंगल कुंजाम,
किरंदुल:- आज पूरा विश्व कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रहा है इस महामारी बीमारी से लाखों लोगों की जान जा चुकी है और लाखों लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। विश्व के बड़े बड़े देश अमेरिका और इटली जैसे देश घुटने टेक दिये हैं, इस बीमारी को खत्म करने के लिए तरह- तरह के प्रयोग व प्रक्रिया भी अपनाया जा रहा है l लाकडाऊन के साथ ही पूरा विश्व इस संक्रमण को खत्म करने के लिए वैक्सीन की खोज में लगा हुआ है l
छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा के अंदरूनी गांव जिसे दुनिया लालगढ़ से भी जानती है जो कि पूरी तरह नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण शासन- प्रसाशन की योजना का भी लाभ नहीं के बराबर पहुँचती है, आज वही बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों में भी आदिवासियों में कोरोना जैसे महामारी का ख़ौफ़ तो नहीं लेकिन हॉं सुरक्षात्मक दृष्टिकोण देखने को मिल रहा है?
इन क्षेत्रों में भी कोरोना वायरस जैसे महामारी न हो ,इसे बचने के तरीका को लेकर सर्व आदिवासी समाज दंतेवाडा के द्वारा गांव-गांव जाकर प्रचार-प्रसार अभियान चालू कर दिया है, आज शहरों में पुलिस प्रशासन के द्वारा बल प्रयोग कर लोगों को लॉक डॉउन के दौरान घर के अंदर रहने के लिए लाठी-डंडे का प्रयोग करते हुए पूरे भारत वर्ष में अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन वही पूरे भारत देश के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में जहां शासन प्रशासन नहीं पहुंच पाती है आज उन इलाकों के आदिवासियों को इस महामारी से क्या हाल होगा उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं, ना सरकार की सुविधाएं पहुंच रही है ना ही कोरोना वायरस से बचने के तरीके को बताया जा रहा है?
इस स्थिति में क्षेत्र के आदिवासी समाज के प्रतिनिधि मंडल के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर कोरोना वायरस से बचने के तरीके का अभियान चलाया जा रहा है
आज दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा जिले में सर्वआदिवासी समाज इकाई दंतेवाडा के द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पहुंच कर कोरोना वायरस से बचने के तरीके को बताया जा रहा है एवं क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और ग्रामीणों को समझाइश दी जा रही है कि एक दूसरे के संपर्क में ना आये और बाहरी क्षेत्र में जो भी लोग मजदूरी करने के लिए गए होंगे उनको गांव के अंदर में प्रवेश ना करा कर उनको अलग रखा जाए और तत्काल क्षेत्र के स्वास्थ्य अधिकारी को जानकारी देवें.?
सर्व आदिवासी समाज के सचिव धीरज राणा ने बताया की आदिवासी क्षेत्र में इस मौसम के समय में शादी-विवाह और मेला-मंडई होने जा रहा था कोरोना जैसे महामारी के चलते पूरे गांव-गांव में समाज के द्वारा प्रसार-प्रचार कर स्थगित कर दिया गया है, और अधिकतर दंतेवाड़ा जिले के ग्रामीण मजदूरी करने आंध्रप्रदेश और कर्नाटक के बेंगलुरु जैसे शहरों में जाते है, कुछ लोग लॉकडाउन के पहले आये हैं और कुछ ग्रामीण लॉकडाउन के कारण फसें हुए हैं उनसे संपर्क कर वही रहने के लिए सूचना दिया गया है कुछ लोग इस दौरान गांव वापस आने पर उन्हें समाज और क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के माध्यम से तत्काल मेडिकल जांच टीम के साथ पहुँच कर जांच किया जाएगा ।
जागरूकता अभियान दल के सदस्यों के द्वारा गांव-गांव भ्रमण कर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में सामाजिक दूरी बनाये रखते हुए स्थानीय बोली -भाषा में इस महामारी से बचाव के संबंध में जानकारी दी जा रही है। दल का विशेष ध्यान इस बात पर है कि जानकारी सरल और स्थानीय बोली-भाषा में हो जिससे सभी आयु-वर्ग के लोगों को अधिक से अधिक समझ में आये। दल के द्वारा विशेष रूप से व्यक्तिगत स्वच्छता, सामाजिक स्वच्छता, और खानपान पर विशेष ध्यान देने की बात पर जोर दिया जा रहा है ताकि लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बरकरार रहे। ग्रामीणों को समझाइश दी जा रही है कि वे बार-बार साबुन से हाथ धोते रहें लोगों से हाथ मिलाने से बचें, अगर किसी कारणवश लोगों से मिलना हो तो कम से कम दो मीटर की दूरी से मिलें, लोग अपने घरों में रहें और हमारी कोशिश हो कि कम से कम घर से बाहर निकलें। अगर किसी को सर्दी-जुकाम, खांसी की शिकायत हो तो तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर चिकित्सक का परामर्श लेवें और खांसते या छींकते समय अपने कुहनी, कपड़े या रुमाल से मुँह और नाक को ढंकें। बुजुर्गो, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से सावधान रहने की सलाह दी गई व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाये रखने के लिए समय पर पौष्टिक भोजन करने की भी समझाईश दी गई। साथ ही दल के सदस्यों के द्वारा ग्रामीणों को अपने दैनिक कार्य जैसे राशन की दुकान जाना, उचित मूल्य की दुकान जाना, नलों से पानी भरना, तालाबों व नलों में नहाते समय भी बारी-बारी से सामाजिक दूरी की बनाये रखते हुए कार्य करें। जिनके पास मास्क हो वो पहने और न होने पर मुँह पर साफ कपड़ा बांध कर ही कहीं बाहर निकलें। चूँकि जानकारी स्थानीय बोली में दी जा रही है तो अधिकांश लोगों के समझ मे आने की बात कही साथ ही दल के द्वारा दी गई जानकारी को कठोरता से अमल करने की बात भी कही साथ ही अन्य ग्रामीणों में भी प्रचार-प्रसार की बात कही।
विदित हो कि सदस्यों को प्रचार प्रसार की अनुमति अनुविभागीय कार्यालय बचेली के द्वारा दी गई है तथा जागरूकता प्रचार दल में सर्व आदिवासी समाज दंतेवाड़ा के श्री राजकुमार आयामी, श्री धीरज राणा, श्री मंगल कुंजाम, श्री राजू भास्कर, श्री नंदा कुंजाम, श्री तुलसी मंडावी किरंदुल पदस्थ पशुचिकित्सक डॉक्टर सुरेंद्र मरकाम आदि शामिल हैं, जो कि रोजाना अंचल के अंदरूनी क्षेत्रों में जाकर ग्रामीणों के छोटे समूह में जागरूकता का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।