सत्य कभी मरता नहीं बस इसके लिए संघर्ष करना पड़ता है – पूर्व सी बी आई न्यायमूर्ति प्रभाकर ग्वाल।।
प्रभाकर ग्वाल न्याय पालिका पर पूरा भरोसा रखते हैं ! न्याय मिलेगा ?
लक्ष्मी नारायण लहरे
न्यायमूर्ति रहे प्रभाकर ग्वाल अगर स्वयं अदालत का दरवाजा खटखटाएँ और न्याय की गुहार लगाएं तो चर्चा होनी ही है । कार्यपालिका, व्यवस्थापिका , न्यायपालिका और पत्रकारिता ये चार स्तंभ हैं जो समाज की नींव है अगर एक पाया भी इधर – उधर हुआ समाज का विघटन सुनिश्चित है यह चार स्तंभ अपने अपने जगह में समाज और देश को दशा दिशा प्रदान करते हैं । पूर्व न्यायमूर्ति प्रभाकर ग्वाल की चर्चा करना आज इसलिए जरूरी लगता है कहीं कुछ चूक हुई है, जिसकी वजह से उन्हें बर्खास्त किया है आखिर क्यों ? उनकी बर्खास्ती हुई उनके विषय में बताया जाता है कि वे निष्पक्ष न्यायमूर्ति रहे हैं वह ऊंच-नीच अमीर गरीब को एक ही चश्मे से देखते थे ।लोग न्याय की उम्मीद रखते थे लोगों का विश्वास थे ।यह एक विडंबना है कि निष्पक्ष न्यायमूर्ति का बर्खास्त होना ।विगत माह मार्च में वे अपने गांव आए थे इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार सामाजिक कार्यकर्ता नीलकांत खटकर को अपने आप बीती घटना पर प्रकाश डालते हुए प्रेस वार्ता में अपनी बात रखें थे और बोले थे “मैं न्यायपालिका पर पूरा भरोसा करता हूं एक दिन मुझे जीत मिलेगी” पूर्व न्यायमूर्ति प्रभाकर की बर्खास्ती पर एक समीक्षा तो होनी चाहिए ।वह दिन बस्तर का यादगार दिन है जब 22 दिसंबर 2015 में करीब 1000 आदिवासियों को फर्जी गिरफ्तारी कर रहे थे जिसे तत्काल पुलिस पुलिस मुख्यालय पत्र लिखे थे यह वही निष्पक्ष न्यायमूर्ति हैं जो आज स्वयं न्याय के लिए भटक रहे हैं पूर्व न्यायाधीश प्रभाकर ग्वाल जी से हुई बातचीत प्रेस विज्ञप्ति की प्रमुख बातें जो बहुत कुछ कहती है उनके कुछ अंश इस प्रकार हैं सच को पहचानने और बोलने का विवेक और साहस बनाये रखिये ।आखिर क्या कहा प्रभाकर ने ,,,
सत्य कभी मरता नहीं बस इसके लिए संघर्ष करना पड़ता है – पूर्व सी बी आई न्यायमूर्ति प्रभाकर ग्वाल।।
2016 में न्यायपालिका से बर्खास्त पूर्व सी बी आई मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल ने विगत दिवस प्रेस प्रतिनिधियों को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर प्रथम नियुक्ति से लेकर बर्खास्तगी तक और बहाली के लिए जो संघर्ष कर रहे हैं उसके बारे में पूरी विस्तार से जानकारी दी। पूर्व न्यायमूर्ति ग्वाल ने बताया कि उनकी प्रथम नियुक्ति 2006 में जिला सत्र न्यायालय दुर्ग में द्वितीय श्रेणी न्यायाधीश के पद पर हुई। उसके बाद उनका स्थानांतरण इसी पद पर बेमेतरा, दुर्ग, जैजैपुर में हुआ।वे पदोन्नत होकर सिविल कोर्ट बिलासपुर में व्यवहार न्यायाधीश वर्ग – 1 पद पर कार्यरत रहे।वे रायपुर सिविल कोर्ट में प्रथम श्रेणी न्यायाधीश के पद पर साथ ही स्पेशल सी बी आई मजिस्ट्रेट रायपुर में अपनी सेवाएं दीं।फिर इनका न्यायिक मजिस्ट्रेट ब्यव्हार न्यायाधीश वर्ग 1 सह मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुकमा में पोस्टिंग हुई।
एक बेबाक और निर्भीक मजिस्ट्रेट होने के नाते वे कानूनन जो किसी जज को समाज के केअंतिम व्यक्ति के हक, अधिकार के पक्ष में फैसले दिय जाते ऊंची राजनीति वालों को इनका कार्य और जजमेंट सुहाता नहीं था। ऊंची राजनीति और माफिया के लोग इनकी शिकायतें अक्सर शासन प्रशासन और न्यायपालिका के पास करते थे।जो आज तक कोई न्यायमुर्ति समाज के अंतिम व्यक्ति के लिए न्यायिक फैसले नहीं सुना पाते थे। इन्होंने न्याय के असली हकदार को न्याय देते थे। जहां जहां रहे वे पूर्ण निर्भीकता के साथ अपना जजमेंट किया।इस वजह से न्याय के असली हकदारों,असहायों,बेगुनाह आदिवासियों के लिए प्रिय लगने लगे थे।पुलिस बहुतों निर्दोष आदिवासियों को बेवजह नक्सली के नाम से,नक्सलियों के संबंध का आरोप लगाकर जेल में ठूंस दिए जाते थे ?उनकी रिहाई के आदेश जारी होते थे जिससे ऊंचे लोगों को भाया नहीं गया इनके खिलाफ, 22 दिसंबर 2015 में करीब 1000 आदिवासियों को फर्जी गिरफ्तारी कर रहे थे, जिसे तत्काल पुलिस मुख्यालय पत्र लिखे थे । तत्कालीन सुकमा कलेक्टर नीरज बंसोड़ ने मेरे से पूछ कर निर्णय करने की धमकी और दबाव प्रभाकर ग्वाल पर बनाया था। इनके विरोध में ऊपर स्तर तक बार बार शिकायतें पहुंचने लगी।वे सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कई अहम फैसले दिये इनके निष्पक्ष फैसले से शासन प्रशासन में डर पैदा हो गया था। वे जहां भी कार्यरत रहें ऊंची पहुंच वाले, रसूखदारों ने अपने मुताबिक काम करने के लिए दबाव बनाते थे लेकिन वे हमेशा कानून की मुताबिक काम करते।शायद इसी वजह से इन्हें अपनी नौकरी खोनी पड़ी अंततः 01 अप्रैल 2016 को छ ग सरकार के विधि विभाग के अतिरिक्त सचिव ए के सिंघल महानदी भवन मंत्रालय रायपुर, हाईकोर्ट बिलासपुर छ ग से बर्खास्तगी का आदेश (क्र 3335/987/21 बी सी जी/16, अनुच्छेद 311, 235) मिला, जिसमे लिखा था कि प्रभाकर ग्वाल ने न्यायपालिका के विरोध में काम किया इसलिए इनको जनहित के नाम पर बर्खास्त किया जाता है और न्याय देने वाला न्यायमुर्ति की नौकरी समाप्त हो गई। ये जनहित होता कैसे, जो प्रभाकर ग्वाल के सेवा समाप्ति का करण बना?
पूर्व न्यायमुर्ति प्रभाकर ग्वाल की पत्नी प्रतिभा ग्वाल ने एक पर्ची के मध्याम से बताया की मेरे पति को तात्कालीन बीजेपी सरकार और तत्कालीन हाईकोर्ट प्रशासन के 1, 2 भ्रष्ट न्यायमुर्ति ने ईमानदारी की सजा दी है।
प्रभाकर ग्वाल की पत्नी श्रीमती प्रतिभा ग्वाल ने पर्ची से समाज को अवगत कराया हैं। पर्ची में कुल 11 कालम है जिसमें उल्लेख है कि पूर्व न्यायमुर्ति प्रभाकर ग्वाल के द्वारा चर्चित निष्पक्ष, निष्पक्ष, कानून सम्मत, समाज के अनुरूप फैसले दिए थे जो ये हैं – बिलासपुर भादौरा जमीन विवाद मामले में सजा के साथ 14 अन्य प्रकरण दर्ज, भदौरा – मस्तूरी जमीन में विवेचक के खिलाफ अपराध दर्ज करने का आदेश, रायपुर सी बी आई न्यायमुर्ति पी एम टी फैसले में सजा, एस पी के खिलाफ अपराध दर्ज करने का आदेश, स्व एस पी राहुल शर्मा हत्या मामले में कार्यवाही, बीजेपी विधायक रामलाल चौहान एवं पूर्व एस पी दीपांशु काबरा के खिलाफ शिकायत इन सब कारणों की वजह सी जी एम,सुकमा में फर्जी नक्सली कार्यवाही पर रोक, सुकमा में 2 इंजीनीयरों को कारावास की सजा के साथ 1 करोड़ का जुर्माना,हर सिविल मामले में निष्पक्षता से कार्यवाही किया , हर जेल विरूद्ध बंदी प्रकरणों में शीघ्रता से कार्यवाही किये , हर पदस्थ जगहों में सबसे बेहतरीन निष्कर्ष लेने वाले न्यायमुर्ति प्रभाकर ग्वाल को बीजेपी के राज्य सरकार और हाईकोर्ट के 1, 2 तत्कालीन भ्रष्ट न्यायमुर्ति की बात न मानने की सजा मिली। इन्होंने अपनी बहाली के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। पूर्व न्यायमुर्ति प्रभाकर ग्वाल का कहना है कि सत्य हमेशा परेशान होता है,सत्य कभी नहीं मरता और नहीं हताश होता है,सत्य के मार्ग में चलने वालों को हमेशा ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है और संघर्ष से जीत मिलती है। मैं न्यायपालिका पर पूरा भरोसा करता हूं कि एक दिन मुझे जीत मिलेगी और फिर से मुझे काम करने,सच के पक्ष में फैसले देने का मौका मिलेगा।
लक्ष्मी नारायण लहरे “साहिल”
युवा साहित्यकार पत्रकार
कोसीर,सारंगढ़
जिला रायगढ
छत्तीसगढ़