हम सोए हैं !! सब कुछ लुटा के होश में आएंगे तो क्या पाएंगे ?
एमटीएनएल बीएसएनएल पर बंद होने का ख़तरा आ चुका है। कई ट्रेनें और स्टेशन निजी हाथों में सौंप दिये जाने वाले हैं। और इन्हीं सब के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय के निजीकरण की शुरुआत भी हो गयी है।
साल भर से दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ जिस MoU का विरोध कर रहा था, हफ़्ते भर पहले दिल्ली विश्वविद्यालय ने गुपचुप उस पर हस्ताक्षर कर दिये हैं।
यह MoU विश्वविद्यालय की फ़ंडिंग से संबंधित है। इसके मुताबिक़ अब कॉलेज स्वायत्त होंगे, यानी ख़ुद संसाधन जुटायेंगे। सीधा अर्थ यह है कि फ़ीस बढ़ेंगी, संसाधन न जुटा पाने वाले कोर्स बंद होंगे, नौकरियाँ ख़त्म होंगी।
पिछले कुछ समय से NAAC के नाम पर जो खेल चल रहा था, उसका असली मक़सद अब खुल गया है। कॉलेजों को फ़ंड देने वाली एजेंसी अब HEFA होगी, हायर एजूकेशन फ़ंडिंग एजेंसी। यह UGC की तरह अनुदान नहीं देगी, बल्कि क़र्ज़ देगी, जिसे संस्थान को चुकाना पड़ेगा। ज़ाहिर ही, यह क़र्ज़ विद्यार्थियों से वसूला जाएगा। क़र्ज़ की राशि संस्थान की परफ़ॉर्मेंस पर निर्भर होगी। NAAC द्वारा दिये ग्रेड इसे तय करेंगे।
इस बीच विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए दरवाज़े खोल ही दिये गये हैं।
एक बहुत बड़े तबके का उच्च शिक्षा से बहिष्करण हो जायेगा।
जनता के पैसे से बने संचार के इंफ़्रास्ट्रक्चर एमटीएनएल बीएसएनएल से छीनकर jio को दे दिये जायेंगे। जनता के पैसे से बना रेलवे का तंत्र निजी लाभ के लिए कंपनियों को सौंप दिया जायेगा। जनता के पैसे से जनता के लिए बने विश्वविद्यालय निजी मुनाफ़े के सुपुर्द कर दिये जायेंगे।
हम सोये हैं। सब कुछ लुटा के होश में आयेंगे तो क्या पायेंगे?