“LGBTQ” समुदाय और तृतीय लिंग…..

इस बारे में आज भी तथाकथित सभ्य समाज बात नहीं करना चाहता…. बहुत से सम्वेदनशील मुद्दे हैं जिनपर हमारा समाज नहीं बात करता धर्म,संस्कार और संस्कृति की दुहाई देते हुये… पर इन मुद्दों पर बात नहीं करना ही अपराध, शोषण और मानव अधिकारों के हनन का कारण बनता है… अतः आज की बात lgbtq समुदाय, तृतीय लिंग …तथा रायपुर में होने वाले राष्ट्रीय क़्वीर प्राइड मार्च के सम्बंध में…

बात करते हैं Lgbtq पर ….कि यह क्या है???

L- लेस्बियन
G- गे
B- बाईसेक्सयूएल
T- ट्रांसजेंडर
Q – क़्वीर

इन 5 प्रकारों को ही सामूहिक रूप से lgbtq कम्यूनिटी कहते हैं।

लेस्बियन-
यानी ऐसी महिला किसी महिला के प्रति ही आकर्षित होती है और उसकी पार्टनर महिला ही होती है…तथा शारीरक सम्बन्ध भी महिला के साथ ही स्थापित करती है।

गे-
ऐसे मे कोई पुरुष , पुरुष के प्रति ही आकर्षित होता है …उसका पार्टनर भी पुरुष ही होता है…तथा शारीरिक सम्बन्ध भी पुरुष से ही बनाता है।

बाईइसेक्सयूअल-
ऐसे में व्यक्ति, महिला और पुरुष दोनों के प्रति आकर्षित होता है ।

ट्रांसजेंडर—
ऐसे में व्यक्ति का जन्म जिस लिंग के साथ होता है….बड़े होने पर उसकी भावनाएं जन्मजात लिंग के विपरीत होने लगती हैं…

क़्वीर—
ऐसे व्यक्ति जो अपने लैंगिक पहचान को निश्चित ही नहीं कर पाते हैं….

भारत मे ipc की धारा – 377 के तहत समलैंगकता अपराध की श्रेणी में आता था…

लेकिन 6 सितंबर 2018 को वर्षों से चले आ रहे एक लंबे संघर्ष के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक क्रांतिकारी फैसला सुनाते हुए समलैंगिकता को वैध घोषित किया….

समलैंगिकता के वैध होने के इतिहास के तथा इससे जुड़े संघर्षों के बारे में जानने के लिए आप नीचे दिए गए लिंक पर विज़िट कर सकते हैं– youthkiawaaz.com

अब आते हैं तृतीय लिंग (third gender )पर……

तीन प्रश्न जो सामान्यतः ज़हन में आते हैं:—-

1.क्या प्रकृति ने सिर्फ 2 लिंगों का सृजन किया है??

2.क्या तृतीय लिंग को मान्यता प्रदान करना गलत है??

3.क्या महिला और पुरुष के अलावा खुद को कुछ और महसूस करना कोई मानसिक विकृति है???

उत्तर 1. :—–
क्या प्रकृति ने सिर्फ 2 लिंगों का सृजन किया है??

इस सवाल के जवाब में….

क्या हम प्रकृति को पूरी तरह से जान गए हैं….

नहीं ..प्रकृति के रहस्यों को समझना बेहद मुश्किल है,…हम जितना जान पाए हैं उसके हिसाब से

मनुष्यों के एक, दो और तीन लिंग बस नहीं हैं…अनेक लिंग हैं इस दुनिया में….और प्रकृति ने सभी लिंगों को बनाने में कोई भेद भाव नहीं किया….भेद हमने किया….और आज भी करते हैं..

उत्तर 2:——

क्या तृतीय लिंग को मान्यता प्रदान करना गलत है??

–हम होते कौन हैं किसी को मान्य या अमान्य करने वाले…?

लेकिन फिर भी प्रकृति की कृतियों पर ही हमने प्रश्न चिह्न लगाना शुरू किया ….एक मनुष्य होते हुए हमने खुद को सर्वस्व मान लिया औऱ हम ही निर्णय लेने लगे…

पर कई देशों में तृतीय लिंग को संवैधानिक मान्यता मिलने के बाद 2014 में भारत मे भी तृतीय लिंग को मान्यता मिली….सुप्रीम कोर्ट के पूरे फैसले को पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर विजिट करें—–jagranjosh.com

और तृतीय लिंग को मान्यता प्रदान करना बिल्कुल सही है…एक मानव होने के नाते हम सबको समान अधिकार हैं कि हम महिला हों , पुरुष हों या तृतीय लिंग के अंतर्गत आते हों….सम्मान से जीवन बिताएं….बिना किसी शर्मिंदगी के..पूरे स्वातंत्र्य के साथ….

अतः तृतीय लिंग को मान्यता प्रदान करना बिल्कुल गलत नहीं….

उत्तर:—3

.क्या महिला और पुरुष के अलावा खुद को कुछ और महसूस करना कोई मानसिक विकृति है???

—–बिल्कुल नहीं….यह कोई मानसिक विकार नहीं है….लेकिन हमारे धर्म गुरुओं तथा योग गुरुओं द्वारा इसे एक मानसिक विकार के रूप में प्रचारित किया गया…

एक आम समझ के कारण बहुतायत में लोग तृतीय लिंग के लोगों से हेय भाव रखने लगे….या यूं कहूँ कि उनकी इस भेद भाव वाली भावना को बल मिला….

तृतीय लिंग भी प्रकृति की ही एक रचना है….जिसे हम सब को खुले दिल से स्वीकार करने की ज़रूरत है।

उपरोक्त बातें आज इसलिए मैंने साझा की हैं…क्योंकि बीते 29 सितंबर को रायपुर में क़्वीर प्राइड मार्च आयोजित हुआ…समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटाये जाने के फैसले को एक साल पूरे होने के उपलक्ष्य में..देश भर से lgbtq समुदाय के लोग आए हुए थे….

मेरे एक साथी जिसके बारे में मैंने पहले भी लिखा है…उस लेख का लिंक भी पोस्ट कर रही हूँ..ने मुझे इस मार्च में शामिल होने को कहा….रोशनी बंजारे


पर किन्ही परिवारिक समस्याओं के कारण मुझे अचानक घर आना पड़ा जिसके कारण मैं उस प्राइड मार्च का हिस्सा नहीं बन सकी…लेकिन मैंने उस प्यारे से साथी से कुछ तस्वीरें मांगीं हैं जो यहाँ पोस्ट कर रही हूँ…..

Lgbtq समुदाय तथा तृतीय लिंग के व्यक्ति को भी समाज मे बराबरी का अधिकार है….इनके विरुद्ध होने वाले अपराध व शोषण के खिलाफ हमें खड़ा होना होगा…

विभिन्न धर्म समलैंगिकता को अपराध तथा अमानवीय बताते है पर इंसानियत ये कहती है कि हम सब इंसान है…और हम सब स्वतंत्र हैं…

अंत मे आप सब से आग्रह है कि अपनी मनुष्यता को बनाये रखें…तथा एक सुंदर दुनिया बनाने में सहयोग दें…..

—–रोशनी बंजारे “चित्रा” के फेसबुक वॉल से

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