गारे पेलमा सेक्टर 2 कोल ब्लॉक की पर्यावर्णीय स्वीकृति हेतु आयोजित लोकसुनवाई को निरस्त किया जाए : छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन
रायगढ़ । आज रायगढ जिले के तमनार तहसील ग्राम डोलेसरा में महाराष्ट्र पावर जनरेशन कंपनी की कोयला खदान के पर्यावर्णीय स्वीकृति हेतु लोक सुनवाई का प्रभावित 14 गांवों के 3000 से अधिक ग्रामीणों ने भारी विरोध किया। ग्रामीणों के आंदोलन को समर्थन देते हुए छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने इस लोकसुनवाई को निरस्त करने की मांग की ।
इस खनन परियोजना का प्रभावित ग्रामीण शुरू से ही विरोध कर रहे हैं। आज होने वाली लोक सुनवाई के स्थल को ग्रामीणों चारों ओर से घेर रखा था ताकि कंपनी के दलालों से धन लेकर कोई भी खदान के पक्ष में दलाली न कर सके। विदित हो कि भले ही खदान महाराष्ट्र सरकार की है परंतु इसके खनन विकास और संचालन(MDO,mine,develop,operate) का अधिकार गौतम अडानी की कंपनी के पास है। लगभग 2500 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैले इस खदान आबंटन के खिलाफ प्रभावित सभी गावों की ग्राम सभाओं ने प्रस्ताव पारित किया था, परंतु पिछली भाजपा सरकार और अडानी ने ग्राम सभाओं की अस्वीकृति को नजरअंदाज करते हुए वर्ष 2018 में लोकसुनवाई आयोजित करने की कोशिश की जिसके खिलाफ ग्रामीणों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किया था और उस आंदोलन का समर्थन करने वर्तमान मुख्यमंत्री और तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री भूपेश बघेल स्वयं तमनार आकर इस लोकसुनवाई और सम्पूर्ण खनन परियोजना को निरस्त की मांग रखी थी।
रायगढ़ जिले में तीन बड़े लौह संयत्र के साथ साथ अनेक प्रदूषणकारी कारखाने हैं । साथ ही एसइसीएल जिंदल आदि की कोयला खदानें हैं जिससे आसपास का पूरा इलाका कोयले के महीन धूल और कार्बन डाइऑक्साइड कार्बन मोनो आक्साईड जैसे जहरीले गैसों से प्रदूषित है । राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने इस क्षेत्र मे अब एक भी नए कारखाने अथवा खदान न खोलने की सिफारिश की है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रदूषण नियंत्रण के प्रभावशाली उपाय किए बिना नए खदान नहीं खोलने के निर्देश दिए हैं। परंतु अडानी के दबाव में केंद्र सरकार के साथ साथ अब छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार भी 26 मिलियन टन सालाना क्षमता वाला नया खदान खोलने की कोशिस में है।
जिस तरह दक्षिणी गोलार्ध में मकर रेखा पर स्थित अमेजन के जंगल सांस लेने के लिए जरूरी है ठीक उसी तरह से भारत के लगभग बीच से गुजरने वाली कर्क रेखा के ईर्द गिर्द के घने जंगल देश का श्वसन तंत्र है और उत्तरी एवं उत्तर पूर्वी छत्तीसगढ़ के ये घने जंगल जिन्हे हसदेव अरण्य व मांड रायगढ़ क्षेत्र कहते हैं और जो नर्मदा नदी, गंगा बेसिन और महानदी बेसिन की नदियों का जलग्रहण क्षेत्र है, यदि यह जंगल कटते हैं तो नर्मदा सोन सहित हसदेव, मांड महानदी जैसी नदियां मर जाएंगी और इस क्षेत्र का तापमान भी 3-4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा।
इस बात को स्वयं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हसदेव अरण्य क्षेत्र के मदनपुर मे छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के मंच पर स्वीकार किया था। परंतु राज्य में सरकार बनने के बाद लगता है चुनावी धन के आगे पर्यावरण की चिंता नगण्य हो गई। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार से मांग करता है कि वह गारे पेलमा 2 की पर्यावरण जन सुनवाई रद्द करे और ग्राम सभाओं के प्रस्ताओं का सम्मान करते हुए पांचवी अनुसूचित क्षेत्रो में खनन परियोजनाओं पर रोक लगाए ।