मूंगफली और मसाले खरीदते आदिवासी लड़कों को थाने ले गई नक्सली बता पुलिस कह रही ये हैं नक्सलियों के सप्लायर

प्रभात सिंह

दंतेवाड़ा । बस्तर में कुछ समय पहले भाजपा की सरकार में आदिवासियों को फर्जी मामले में गिरफ्तार करने, नक्सलियों के नाम पर उनकी हत्या करने एवं फर्जी मामलों में आत्मसमर्पण कराने के हजारों मामले चर्चा में आये थे।

    चुनाव पूर्व किये वादे के मुताबिक मौजूदा कांग्रेस सरकार ऐसे फर्जी मामलों में फँसाये गए निर्दोष आदिवासियों को जेल की सलाखों से बाहर निकालने की कोशिश भी कर रही है। लेकिन बस्तर में तैनात पुलिस अफसर मैडल की लालच में आदिवासियों को फर्जी मामले में फँसाने की नाकाम कोशिश में  अब भी लगे हुए हैं। 

         ताजा मामला बस्तर संभाग अंतर्गत दंतेवाड़ा जिले के बारसूर थाना क्षेत्र का है। जहाँ दो आदिवासी लड़कों को बारसूर पुलिस ने नक्सलियों का मददगार होने के आरोप में गिरफ्तार किया है। रविवार और शुक्रवार को गीदम और बारसूर के बाजार में दूरदराज के आदिवासी ग्रामीण तेल, मसाले, गुटखा और गुड़ाखु आदि खरीदने आते हैं। मिली जानकारी के मुताबिक बैसुराम नेताम उम्र 17 वर्ष और तुलसु तामो उम्र 19 वर्ष निवासी पटेलपारा कोशलनार के दोनों लड़के बारसूर के एक प्रतिष्ठित किराने की दुकान में हल्दी, जीरा, मूंगफली, सब्जी मसाला, गुड़ आदि ख़रीदने आज रविवार दोपहर को पहुँचे थे। ये दोनों लड़के अपने गाँव में गुड़ाखु तेल मसाला आदि जरूरत का सामान नजदीकी बाजार से खरीदकर अपने गाँव कोशलनार ले जाकर बेचते हैं।

       प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक पुलिस का एक जवान उक्त दुकान के बाजू में बैठा हुआ था। बहुत देर तक उक्त स्थान पर बैठे पुलिसवाले ने उस दुकान में सामान्य शहरियों के खरीदी पर उनसे कोई पूछताछ नहीं कि लेकिन जब दो आदिवासी लड़के हल्दी, जीरा, सब्जी मसाला, मूंगफली आदि खरीद रहे थे तो उक्त पुलिसवाले ने उन आदिवासी लड़कों को सामान सहित थाने ले गए।

            जब इस बात की सूचना हमें मिली तो हमने थाना प्रभारी सावन सारथी से इस बारे में जानकारी चाही तो उन्होंने बताया कि पुलिस ने दो लोगों को बारसूर से सातधार की ओर सडार जाने वाले मार्ग से गिरफ्तार किया है। हमारे सवाल पर की इनको तो बारसूर के किसी किराने की दुकान से समान खरीदते पकड़ा है तो इस बात को वे स्पष्ट तौर पर खारिज करते हुए कहते हैं कि इनकी गिरफ्तारी सडार जाने वाले मार्ग से किया गया है। इनके पास से हल्दी 1 पैकेट, सब्जी मसाला (जेएमडी कंपनी) 2 पैकेट, जीरा 1 पैकेट, फल्लीदाना 3 किलो एवं सोडा (श्री गणेश कुकिंग कंपनी) 10 पैकेट एवं गुड़ ढ़ेला अज्ञात मात्रा में के साथ 05 नग सफेद रंग के पोस्टर और लाल रंग के कपड़े में लिखा बैनर जप्त किया है। बैनर पोस्टर में शासन विरोधी बातें लिखी गई हैं। थानेदार साहब ने जानकारी दी है कि बैनर पोस्टर में 30 को भारत बंद और जम्मू-कश्मीर आदि लिखा है।

         थानेदार साहब ने आगे बताया कि इन्होंने कुबूल किया है कि इन्हें नक्सली मुरली, संतोष, राजेश आदि लोगों ने भेजा था ये अपने आप को मिलिशिया सदस्य बता रहे हैं और उन्हें अपना कमांडर। इन दोनों ने यह भी कुबूला है कि इन्होंने नक्सलियों के लिए 7-8 बार खरीदी किया है। ये कभी बाजार से तो कभी मार्केट में चौक की दुकान से खरीदकर समान नक्सलियों के लिए ले गए हैं। थाना प्रभारी सावन सारथी आगे कहते हैं कि इससे पहले भी कई दफे नक्सलियों को दैनिक उपयोग की सामग्री पहुँचाने वाले लोगों को गिरफ्तार किया गया है।  यह कार्रवाई उपनिरीक्षक जनक साहू द्वारा की जा रही है। हमने उपनिरीक्षक जनक साहू से उनके सेलुलर फोन पर संपर्क करने की कोशिश की पर उनसे बात नहीं हो पाई।

      आदिवासी लड़कों के परिजन नक्सलियों से उनके संबंधों के आरोपों को वे सिरे से खारिज करते हैं। इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यही है कि पुलिस जब इन आदिवासी लड़कों को बारसूर में दुकान से सामान खरीदते पकड़कर थाने ले गई तो फिर पुलिस यह स्टोरी क्यों प्लांट कर रही है कि पुलिस ने इन्हें सडार जाने वाले रोड से गिरफ्तार किया है ?

दूसरा सवाल यह कि नक्सली इतने बेवकूफ कब से हो गए हैं जिनके दल में हर मामलों के विशेषज्ञ होते हैं ऐसे नक्सलियों के नेता राशन खरीदने केंद्रीय अर्धसैनिक बल और बारसूर थाने से गुजरते हुए आदिवासी लड़कों के हाथ में बैनर पोस्टर भी थमा कर भेजेंगे ?

तीसरा सवाल यह कि नक्सलियों की टोली इतनी छोटी कैसे हो गई कि इनका काम एक दो मसाले की पैकेट में चल जाना है जिसे खरीदने अपने आदमियों को केंद्रीय अर्धसैनिक बल की 195 बटालियन के हाई सिक्योरिटी जोन और बारसूर थाने के सामने से गुजरकर बारसूर की दुकान में भेजेंगे ? पुलिस ने अब तक इनके गिरफ्तारी की सूचना भी इनके परिजनों को नहीं दिया है।

अब देखने वाली बात यह है कि कल परसों में अन्य मामलों की तरह इन आदिवासी लड़कों को पुलिस अधीक्षक के सामने खड़े कर फ़ोटो खिंचवाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया के माध्यम से जनता के सामने इन्हें नक्सलियों का साथी बनाकर पेश किया जाता है या प्रेस नोट को व्हाट्सएप और मेल द्वारा जारी कर इन्हें नक्सली सहयोगी साबित किया जाता है।

हमें जानकारी मिली है कि इससे पहले भी बारसूर पुलिस ने एक सप्लायर के दुकान से कुछ लड़कों को पकड़ा था। वह मामला सत्य के करीब था। पुलिस ने लड़कों को नक्सलियों का मददगार बताया था जबकि उनके साथ खरीदी में आये एक पंचायत स्तर के जन प्रतिनिधि को पुलिस ने छोड़ दिया। उस दुकानदार पर कार्रवाई तो दूर पूछताछ कर थाने से ऐसे ही छोड़ दिया गया था। इसके पीछे की कहानी यह सामने आ रही है कि वह केंद्रीय अर्धसैनिक बल का सप्लायर है उसकी गिरफ्तारी से पुलिस की छवि धूमिल होती इसलिए पुलिस ने उसे ऐसे ही छोड़ दिया।

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