डा.बीके बनर्जी द्वारा की गई यौन हिंसा और लगातार प्रताड़ना की आप बीती, पीडित नेहा ने लगाये आरोप .
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ज़िले के सेंदरी इलाके में स्थित राज्य मानसिक चिकित्सालय में एक महिला नेहा (परिवर्तित नाम) के साथ बलात्कार का मामला सामने आया है.
प्रियंका शुक्ला की रिपोर्ट
पीड़ित महिला ने सेंदरी मानसिक चिकित्सालय के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. बी.के. बैनर्जी पर कार्य स्थल पर यौनिक हिंसा, मानसिक प्रताड़ना,पीछा करना, मारपीट, और बलात्कार करने का आरोप लगाया है.
नेहा ने बात करते हुए अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की जानकारी दी. उनके बयान के मुताबिक़ डॉ. बैनर्जी 2015 से लगातार उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे. फ़ोन पर बार-बार मैसेज करते थे,अकेले में मिलने के लिए ज़िद करते थे, आपत्तिजनक इशारे करते थे. जब नेहा ने इसका विरोध किया और इन घटनाओं की जानकारी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नंदा को दी तब डॉ. बैनर्जी ने उन्हें और ज़्यादा प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. “तुम तो फ़लां डॉक्टर की रखैल हो”, “तुम फ़लां डॉक्टर के साथ सोती हो”, “तुम्हारा तो फ़लां डॉक्टर के साथ बड़ा याराना है”, “मेरे साथ भी वो सब करो” इस तरह की घटिया बातें किया करते थे.
नेहा बिलासपुर में किराए का घर लेकर रहती हैं. उन्होंने बताया कि डॉक्टर बैनर्जी की नीयत इतनी ज़्यादा ख़राब थी कि एक दिन तो उनका पीछा करते हुए वो घर तक पहुच गए, ज़बरदस्ती घर में घुसे, लात घूंसों से उन्हें पीटा, बलात्कार किया और विडियो बना लिया. नेहा ने पुलिस में शिकायत करने की बात कही, इस पर डॉक्टर बैनर्जी ने नेहा को धमकी दी कि अगर ये बात उसने किसी को बताई तो वो उसे जान से मरवा देंगे.
नेहा सन 2015 से अपने साथ हो रही प्रताड़ना की जानकारी समय-समय पर राज्य मानसिक चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. नंदा को देती थीं और उनसे इस सम्बन्ध में कार्यवाही करने का अनुरोध भी करती थीं. परन्तु सिवाए झूठे आश्वासनों के अधीक्षक महोदय ने कोई कार्रवाई नहीं की.
नेहा ने इन घटनाओं की जानकारी आरोपी (डॉ.बैनर्जी) की पत्नी जो अमरकंटक विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत हैं उन्हें भी दी और कहा कि वे अपने पति को समझाएं कि वो मुझे इस तरह प्रताड़ित न करें पर —-बैनर्जी ने ये कह कर बात ताल दी कि ये तुम दोनों का आपसी मामला है.
हर तरफ़ से निराश हताश नेहा बड़ी हिम्मत जुटाकर पुलिस के पास पहुंचीं. पर यहां भी उनका अनुभव बुरा ही रहा. नेहा ने बताया कि कोनी पुलिस स्टेशन में उनकी FIR ही दर्ज नहीं की जा रही थी. जब वो थाने जातीं तो पुलिस वाले आरोपी डॉक्टर बुला लेते और समझौता कर लेने का दबाव बनाने लगते. लगातार 6 दिनों तक पुलिस स्टेशन के चक्कर लगाने पड़े. एडिशनल एसपी प्रशांत अग्रवाल ने मामले में हस्तक्षेप किया तब कहीं जाकर FIR दर्ज हो पाई.
आरोपियों ने जो किया सो तो किया ही, उसकी जांच होगी और सच जीत ही जाएगा. परन्तु इस मामले में पुलिस बलात्कार पीड़ित महिला के नहीं बल्कि आरोपियों की मदद करती नज़र आई. छत्तीसगढ़ पुलिस की धूमिल छवि को इस मामले ने और दागदार किया है. नेहा पर अभी भी समझौते का दबाव बनाया जा रहा. एक महिला का संबल बनने की बजाए हमारा सिस्टम उसका साहस तोड़ रहा है.
अगला महीना आज़ादी का महीना है, सब तिरंगा लहराकर देशभक्ति का जश्न मनाएंगे. और इस बात को बिलकुल भूल जाएंगे कि रिसर्चने भारत को महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश माना है.
साभारः cgbasket.in